अररिया: बिहार के अररिया से 239 हज यात्रियों का जत्था ट्रेन से कोलकाता के लिए रवाना हुआ. पहला जत्था शनिवार को अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन से रवाना हो गया। बता दें की इस वर्ष जिले से कुल 239 हाजी हज के लिए जा रहे हैं. इसको लेकर जिले के ज्यादातर हाजियों का पहला जत्था अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन पहुंचा था. यहां से हाजी ट्रेन पकड़ कर कोलकाता के लिए रवाना हो गए. ट्रेन पकड़ने आये हज यात्रियों की संख्या दो सौ से अधिक थी.
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स्टेशन पर बड़ी संख्या में पहुंचे थे: परिजन हज पर जाने वाले यात्रियों को पहुंचाने उनके परिजन बड़ी संख्या में स्टेशन पहुंचे थे. इसलिए कोर्ट रेलवे स्टेशन लोगों से खचाखच भरा हुआ था. एक ओर हज पर जाने की खुशी सबके चेहरे पर दिख रही थी. वहीं दूसरी ओर परिजन के आंखों में खुशी के आंसू भी दिख रहे थे. सभी एक दूसरे को हाथ और गले मिलकर सलामती की दुआ दे रहे थे. इस जत्थे में महिला हज्जिन की संख्या भी काफी थी. चूंकि हज पर जाने वाले ज्यादातर लोग बुजुर्ग होते हैं. वैसे में कई हाजियों के परिजन उन्हे कोलकाता तक छोड़ने जा रहे थे.
हज हाउस में ठहराए जाएंगे यात्री: कोलकाता पहुंचने पर रविवार को हज हाउस में उन्हें ठहराया जाएगा. उसके बाद एक दिन वहां प्रशिक्षण देकर मक्का मदीना में पूरे किए जाने वाले तमाम अरकान की विस्तार से जानकारी दी जाएगी. कोलकाता से सभी हाजी तीस मई और एक जून को अलग-अलग हवाई जहाज से मदीना के लिए रवाना होंगे. मदीना में दस दिन गुजारने के बाद सभी हाजियों को मक्का भेजा जाएगा. इस तमाम अरकान को पूरा करने में हाजियों को 42 दिनों का समय लगेगा. उसके बाद सभी हाजी अपने अपने घर वापस आ जाएंगे.
मुस्लसमानों के लिए हज सबसे महत्वपूर्ण: पहली बार हज पर जा रहे अररिया शहर के अब्दुल करीम ने बताया कि ये मेरी जिंदगी की सबसे महत्पूर्ण यात्रा है. उन्होंने बताया कि मजहब ए इस्लाम की पांच बुनियादी अरकानों में हज सबसे मत्वपूर्ण है, जो वैसे मुसलमानों के लिए फर्ज है जो सभी जिम्मेदारी को पूरा कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि हज के 42 दिनों की यात्रा में कई अरकान को पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा खुशनसीब हैं वे लोग जिसे मक्का मदीना जाना, यानी हज करना नसीब होता है. अब्दुल करीम ने कहा कि मक्का जाकर अपने जिले और देश के अमन शांति की दुआ करूंगा.
"ये मेरी जिंदगी की सबसे महत्पूर्ण यात्रा है. मजहब ए इस्लाम की पांच बुनियादी अरकानों में हज सबसे मत्वपूर्ण है, ये वैसे मुसलमानों के लिए फर्ज है जो सभी जिम्मेदारी को पूरा कर चुके हैं. हज के 42 दिनों की यात्रा में कई अरकान को पूरा किया जाएगा"- अब्दुल करीम, हज यात्री, अररिया