ETV Bharat / state

प्लास्टिक पर प्रतिबंध से कुम्हारों में खुशी, रोजगार में बढ़ोतरी की जगी उम्मीद

सनातन धर्म के जानकार कहते हैं कि भगवान ने कुम्हारों को भी काफी महत्व दिया था. क्योंकि ये भी एक रचयिता हैं. इसीलिए जिस तरह ब्राह्मणों के नाम के आगे पंडित लगाया जाता है. उसी तरह कुम्हार के नाम के पीछे पंडित लगता है.

प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगने से कुम्हारों को रोजगार में बढ़ोतरी की उम्मीद
author img

By

Published : Oct 12, 2019, 9:16 PM IST

अररिया: दीपावली के करीब आते ही कुम्हार अपने पारंपरिक काम में जुट गए हैं. लेकिन इस बार इनके चेहरे पर दोहरी खुशी है. कुम्हारों का मानना है कि सरकार की तरफ से प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से उनके रोजगार में अब और बढ़ोतरी होने की उम्मीद जग गई है.

कुल्हड़ के आने लगे हैं आर्डर
दरअसल अररिया के कुम्हार टोली में मात्र चार ही परिवार बचे हैं. जो इस पारंपरिक कार्य से जुड़े हुए हैं. इनका कहना है कि हमारा कारोबार लगभग बंदी के कगार पर पहुंच चुका था. लेकिन सरकार के प्लास्टिक बंदी के फैसले के बाद, हमें कुछ उम्मीद जगी है और अब कुल्हड़ के आर्डर भी आने लगे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दीपावली का समय है, इसलिए हम लोग दिया, धूपदानी और मिट्टी के बर्तनों को बनाने में जुटे हुए हैं.

potters are happy due to ban on plastics
चंदन कुमार पंडित, कुम्हार

सरकार नहीं दे रही बढ़ावा
कुम्हारों ने बताया कि चाइनीज लाईट की बिक्री कम होने पर उनके व्यवसाय में भी बढ़ोतरी हुई है और अब लोग दिये की खरीदारी करते हैं. उनका कहना है कि सरकारी बढ़ावा नहीं मिलने के कारण उनके बच्चे इस काम से मुंह मोड़ने लगे हैं, जबकि कई पीढ़ियों से उनका ये कारोबार चलता आ रहा था.

कुम्हार का बयान

कुम्हार के नाम के पीछे लगता है पंडित
वहीं, सनातन धर्म के जानकार कहते हैं कि भगवान ने कुम्हारों को भी काफी महत्व दिया था. क्योंकि ये भी एक रचयिता हैं. इसीलिए जिस तरह ब्राह्मणों के नाम के आगे पंडित लगाया जाता है. उसी तरह कुम्हार के नाम के पीछे पंडित लगता है और जब तक पृथ्वी है, तब तक उनकी आवश्यकता कम नहीं होगी.

अररिया: दीपावली के करीब आते ही कुम्हार अपने पारंपरिक काम में जुट गए हैं. लेकिन इस बार इनके चेहरे पर दोहरी खुशी है. कुम्हारों का मानना है कि सरकार की तरफ से प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से उनके रोजगार में अब और बढ़ोतरी होने की उम्मीद जग गई है.

कुल्हड़ के आने लगे हैं आर्डर
दरअसल अररिया के कुम्हार टोली में मात्र चार ही परिवार बचे हैं. जो इस पारंपरिक कार्य से जुड़े हुए हैं. इनका कहना है कि हमारा कारोबार लगभग बंदी के कगार पर पहुंच चुका था. लेकिन सरकार के प्लास्टिक बंदी के फैसले के बाद, हमें कुछ उम्मीद जगी है और अब कुल्हड़ के आर्डर भी आने लगे हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दीपावली का समय है, इसलिए हम लोग दिया, धूपदानी और मिट्टी के बर्तनों को बनाने में जुटे हुए हैं.

potters are happy due to ban on plastics
चंदन कुमार पंडित, कुम्हार

सरकार नहीं दे रही बढ़ावा
कुम्हारों ने बताया कि चाइनीज लाईट की बिक्री कम होने पर उनके व्यवसाय में भी बढ़ोतरी हुई है और अब लोग दिये की खरीदारी करते हैं. उनका कहना है कि सरकारी बढ़ावा नहीं मिलने के कारण उनके बच्चे इस काम से मुंह मोड़ने लगे हैं, जबकि कई पीढ़ियों से उनका ये कारोबार चलता आ रहा था.

कुम्हार का बयान

कुम्हार के नाम के पीछे लगता है पंडित
वहीं, सनातन धर्म के जानकार कहते हैं कि भगवान ने कुम्हारों को भी काफी महत्व दिया था. क्योंकि ये भी एक रचयिता हैं. इसीलिए जिस तरह ब्राह्मणों के नाम के आगे पंडित लगाया जाता है. उसी तरह कुम्हार के नाम के पीछे पंडित लगता है और जब तक पृथ्वी है, तब तक उनकी आवश्यकता कम नहीं होगी.

Intro: दीपावली के करीब आते ही मिट्टी के कारीगर अब अपने पारंपरिक काम में जुट गए हैं बिहार सरकार के प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब कुम्हारों के चेहरे खिल उठे हैं और उम्मीदें बढ़ गई है


Body: दीपावली के करीब आते ही कुम्हार अपने पारंपरिक काम में जुट गए हैं लेकिन इस बार इनके चेहरे पर दोहरी खुशी है कुम्हारों का मानना है कि सरकार के बेहतर फैसले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से हम लोगों के रोजगार में अब और बढ़ोतरी होने की उम्मीद जग गई है । दरअसल अररिया के कुम्हार टोली में मात्र चार ही परिवार बचे हैं जो इस पारंपरिक कार्य से जुटे हुए हैं इनका कहना है कि हमारा कारोबार लगभग बंदी के कगार पर पहुंच चुका था लेकिन सरकार के प्लास्टिक बंदी के फैसले के बाद हमें कुछ उम्मीद जगी है और अब कुल्हड़ के आर्डर भी आने लगे हैं साथ ही मौका दीपावली का है इसलिए हम लोग दिए धूप दानी और मिट्टी के बर्तनों को बनाने में जुटे हुए हैं । चाइनीज लाईट की बिक्री काम होने पर हम लोगों के व्यवसाय में भी बढ़ोतरी हुई है और अब लोग दिए की खरीदारी करते हैं इसी को लेकर हम लोग इस काम में अब जुटे हैं । लेकिन सरकारी बढ़ावा नहीं मिलने के कारण हमारे बच्चे इस काम से मुंह मोड़ने लगे हैं जबकि कई पीढ़ियों से हमारा यह कारोबार चलता आ रहा था । वहीं सनातन धर्म के जानकार कहते हैं भगवान ने कुमार को भी काफी महत्व दिया था क्योंकि यह भी एक रचीयता है इसीलिए जिस तरह ब्राह्मणों के नाम के आगे पंडित लगाया जाता है उसी तरह कुम्हार के नाम के पीछे पंडित लगता है और जब तक पृथ्वी है तब तक उनकी आवश्यकता कम नहीं होगी ।
बाइट - चंदन कुमार पंडित, कुम्हार, अररिया ।
बाइट - कृष्णकांत तिवारी, महंत, ठाकुरबारी मंदिर अररिया।


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.