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जानिए बिहार की इस 'मर्दानी' फातिमा को,  पूरे देश की महिलाओं के लिए कैसे बनी मिसाल

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Published : Mar 7, 2019, 2:58 PM IST

फारबिसगंज के रेड लाइट एरिया में चंद पैसों के लिए 9 साल की उम्र में बेची गई फातिमा खातून की कहानी बड़ी ही दर्दनाक है.

फातिमा खातून

अररियाः इतिहास की किताबों में झांसी की रानी की जंग तो सबने पढ़ी हैं, लेकिन बिहार की एक ऐसी मर्दानी है, जिसकी लड़ाई के बारे में शायद आपने नहीं सुना होगा. इसने जंग तो लड़ी लेकिन हथियारों के बल पर नहीं अपने हौंसले और सूझबूझ के बल पर. आज ये मर्दानी पूरे देश में महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन गई है. महिला दिवस के मौके पर पेश है एक खास रिपोर्ट.

जिले के फारबिसगंज के रेड लाइट एरिया में चंद पैसों के लिए 9 साल की उम्र में बेची गई फातिमा खातून की कहानी बड़ी ही दर्दनाक है. उनकी ये दर्दनाक दास्तां 2014 में KBC के हॉट सीट पर सबके सामने आई. उस वक्त फातिमा के ऊपर बनाई गई फिल्म मर्दानी की नायिका रानी मुखर्जी भी हॉट सीट पर उनका साथ देने के लिए मौजूद थीं. तब से लेकर आज तक कई तरह के इनाम से उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है. इस साल भी 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर उन्हें बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार के जरिए लखनऊ में पुरस्कार दिया जाएगा.

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ईटीवी भारत के संवाददाता से बात करती फातिमा

9 साल की उम्र में हुई शादी
दरअसल, नेपाल की रहने वाली फातिमा खातून की शादी उनके मां-बाप ने चंद पैसों की खातिर फारबिसगंज के रेड लाइट इलाके में कर दी थी. जिस घर में उनकी शादी हुई, वह पूरा परिवार देह व्यपार के धंधे से जुड़ा था. 9 साल की बच्ची फातिमा की शादी 35 साल के लड़के शोएब के साथ हुई. खेलने कूदने की उम्र में जब फातिमा इस माहौल में आई तो कुछ समझ ना पाई. धीरे-धीरे सब कुछ समझ में आने लगा. फिर क्या था यहीं से शुरू हो गई अपने ही घर वालों के साथ फातिमा की जंग.

सुसराल वालों से लड़ी जंग
ये जंग किसी देश की आजादी के लिए नहीं थी, बल्कि लड़कियों पर हो रहे ऐसे जुल्म के खिलाफ थी, जो आज भी लड़कियों और महिलाओं के लिए अभिशाप बनी हुई है. जिस दलदल में फंस कर आज भी ना जाने कितनी लड़कियां और महिलाएं सिसकियां ले रहीं है. इस लड़ाई में फतिमा को उसके ससुराल वालों ने हर रोज प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. कई बार भुखा रखा गया, कमरे में बंद कर दिया गया. मजबूर किया गया कि वह वह अपने ससुराल वालों की बात मान ले. लेकिन फतिमा जरा भी नहीं झुकी. अपनी लड़ाई जारी रखी. अपने ससुराल से सबसे पहले फतिमा 5 लड़कियों को भगाने में कामयाब रही.

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fatima khatoon with amitabh bachchanand rani mukharji
फातिमा अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी के साथ

महिला सशक्तीकरण की मिसाल
उसके बाद एक दिन मौका देखकर किसी तरह फातिमा अपने ससुराल से निकल गई. अब वह जिस्मफरोशी के धंधे में धकेली जा रही लड़कियों को नई जिंदगी देने की राह पर चल पड़ीं. इसी राह में उन्हें एक एनजीओ का सहारा मिला. तब से अब तक उन्होंने सैकड़ों लड़कियों को उस दलदल से निकाला. साथ ही साथ इन लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एनजीओ द्वारा सिलाई, कढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर की भी शिक्षा दी जाती है. आज गरीब यतीम और मजबूर बच्चों को मुफ्त शिक्षा खुद फातिमा देती हैं. कई बार उन्हें जान से मारने की कोशिश भी की गई. लेकिन वो हिम्मत कभी नहीं हारी और आगे बढ़ती गईं.

क्या है फतिमा की अपील
उन्होंने ने इस महिला दिवस के मौके पर सारे भारतवासियों सेनिवेदन किया है कि हमें आप लोग सहयोग करें और लड़कियों को आत्म निर्भर बनाया जाए. मेरी लड़ाई में आप सब सहयोग करें. आज भी उनका मकसद सामाज में लड़कियों के साथ हो रहे भेद भाव को खत्म करना है चाहे उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

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अररियाः इतिहास की किताबों में झांसी की रानी की जंग तो सबने पढ़ी हैं, लेकिन बिहार की एक ऐसी मर्दानी है, जिसकी लड़ाई के बारे में शायद आपने नहीं सुना होगा. इसने जंग तो लड़ी लेकिन हथियारों के बल पर नहीं अपने हौंसले और सूझबूझ के बल पर. आज ये मर्दानी पूरे देश में महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन गई है. महिला दिवस के मौके पर पेश है एक खास रिपोर्ट.

जिले के फारबिसगंज के रेड लाइट एरिया में चंद पैसों के लिए 9 साल की उम्र में बेची गई फातिमा खातून की कहानी बड़ी ही दर्दनाक है. उनकी ये दर्दनाक दास्तां 2014 में KBC के हॉट सीट पर सबके सामने आई. उस वक्त फातिमा के ऊपर बनाई गई फिल्म मर्दानी की नायिका रानी मुखर्जी भी हॉट सीट पर उनका साथ देने के लिए मौजूद थीं. तब से लेकर आज तक कई तरह के इनाम से उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है. इस साल भी 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर उन्हें बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार के जरिए लखनऊ में पुरस्कार दिया जाएगा.

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ईटीवी भारत के संवाददाता से बात करती फातिमा

9 साल की उम्र में हुई शादी
दरअसल, नेपाल की रहने वाली फातिमा खातून की शादी उनके मां-बाप ने चंद पैसों की खातिर फारबिसगंज के रेड लाइट इलाके में कर दी थी. जिस घर में उनकी शादी हुई, वह पूरा परिवार देह व्यपार के धंधे से जुड़ा था. 9 साल की बच्ची फातिमा की शादी 35 साल के लड़के शोएब के साथ हुई. खेलने कूदने की उम्र में जब फातिमा इस माहौल में आई तो कुछ समझ ना पाई. धीरे-धीरे सब कुछ समझ में आने लगा. फिर क्या था यहीं से शुरू हो गई अपने ही घर वालों के साथ फातिमा की जंग.

सुसराल वालों से लड़ी जंग
ये जंग किसी देश की आजादी के लिए नहीं थी, बल्कि लड़कियों पर हो रहे ऐसे जुल्म के खिलाफ थी, जो आज भी लड़कियों और महिलाओं के लिए अभिशाप बनी हुई है. जिस दलदल में फंस कर आज भी ना जाने कितनी लड़कियां और महिलाएं सिसकियां ले रहीं है. इस लड़ाई में फतिमा को उसके ससुराल वालों ने हर रोज प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. कई बार भुखा रखा गया, कमरे में बंद कर दिया गया. मजबूर किया गया कि वह वह अपने ससुराल वालों की बात मान ले. लेकिन फतिमा जरा भी नहीं झुकी. अपनी लड़ाई जारी रखी. अपने ससुराल से सबसे पहले फतिमा 5 लड़कियों को भगाने में कामयाब रही.

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fatima khatoon with amitabh bachchanand rani mukharji
फातिमा अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी के साथ

महिला सशक्तीकरण की मिसाल
उसके बाद एक दिन मौका देखकर किसी तरह फातिमा अपने ससुराल से निकल गई. अब वह जिस्मफरोशी के धंधे में धकेली जा रही लड़कियों को नई जिंदगी देने की राह पर चल पड़ीं. इसी राह में उन्हें एक एनजीओ का सहारा मिला. तब से अब तक उन्होंने सैकड़ों लड़कियों को उस दलदल से निकाला. साथ ही साथ इन लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एनजीओ द्वारा सिलाई, कढ़ाई के साथ-साथ कंप्यूटर की भी शिक्षा दी जाती है. आज गरीब यतीम और मजबूर बच्चों को मुफ्त शिक्षा खुद फातिमा देती हैं. कई बार उन्हें जान से मारने की कोशिश भी की गई. लेकिन वो हिम्मत कभी नहीं हारी और आगे बढ़ती गईं.

क्या है फतिमा की अपील
उन्होंने ने इस महिला दिवस के मौके पर सारे भारतवासियों सेनिवेदन किया है कि हमें आप लोग सहयोग करें और लड़कियों को आत्म निर्भर बनाया जाए. मेरी लड़ाई में आप सब सहयोग करें. आज भी उनका मकसद सामाज में लड़कियों के साथ हो रहे भेद भाव को खत्म करना है चाहे उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े.

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Intro:देह व्यापार के ख़िलाफ़ ज़ंग लड़ रही बिहार की मर्दानी। 2014 में KBC के हॉट सीट पर बैठ सुनाई अपनी दास्तान। झांसी की रानी की कहानी तो किताबों में सब लोगों ने पढ़ा है, पर अररिया ज़िले के फारबिसगंज अनुमंडल में रेड लाइट एरिया में नेपाल के माँ बाप के दुवारा चंद पैसों के लिए बेची गई फ़ातिमा को किसी ने नहीं सुना और न ही पढ़ा होगा। ये लड़ाई इन्होंने ने देश की आज़ादी के लिए नहीं बल्कि लड़कियों पर हो रहे तमाम तरह की ज़ुल्म से बचाने के लिए।


Body:बिहार के सीमांचल का सबसे पिछड़ा ज़िला अररिया, यहां से नेपाल की दूरी सिर्फ़ 55 किलोमीटर का है, यहाँ के रहने वाले लोग दोनों देशों के बीच व्यापार और शादी जैसे सम्बंध है। नेपाल की फ़तिमा की शादी 9 साल के उम्र में ही उनके माँ बाप ने चंद पैसों की ख़ातिर 35 साल के शोएब से अररिया के फारबिसगंज अनुमंडल के रेड लाइट एरिया में हुई थी। उसके बाद से उसके ससुराल वालों का पडताड़न झेलना पड़ा जिस वजह से वो वहाँ से निकल कर जिस्म फ़रोशी के धंधे में धकेली जा रही लड़कियों को नई जिंदगी बसाने की राह पर चल पड़ी और इस राह में उनका साथ एक एनजीओ ने सहारा दिया और तबसे अब तक उन्होंने सैकड़ों से ज़्यादा लड़कियों को छुड़ाया है, साथ ही साथ इस एनजीओ ने छुड़ाई गई लड़कियों को आत्म निर्भर बनाने के लिए सिलाई, कढ़ाई के साथ साथ कंप्यूटर की भी शिक्षा दिया जाता है छोटे ग़रीब यतीम मजबूर के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा ख़ुद फ़तिमा देती है। कई बार उन्हें जान से मारने की कोशिश भी की गई पर वो अपना हिम्मत कभी नहीं हारी और आगे बढ़ती गई। 2104 में जब वो KBC के हॉट सीट पर बैठी तो उन्हें साथ देने के लिए फ़ातिमा के ऊपर बनाई गई फ़िल्म की नायिका रानी मुखर्जी ने साथ दिया और तब से अब तक कई तरह के इनाम से उन्हें पुरस्कृत किया जा चुका है। आगामी 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर उन्हें बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार के दुवारा लखनऊ में पुरस्कार दिया जाएगा।


Conclusion:उन्होंने ने इस महिला दिवस के मौक़े पर सारे भारत वासी से एक निवेदन की है कि हमें आप लोग सहयोग करें और लड़कियों को आत्म निर्भर बनाया जाए। मेरी लड़ाई में आप सब सहयोग करें। आज भी उनका मक़सद सामाज में लड़कियों के साथ हो रहे भेद भाव को ख़त्म करना है चाहे उसकी जान चली क्यों ना जाए।
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