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'मैं नया लेखक हूं पटना से सपोर्ट चाहिए'...एक्टिंग में हुए फेल, तो पत्नी ने कहा लेखक बन जाओ

एक युवा लेखक पटना की सड़कों पर अपनी किताब बेच रहा है. इस काम में उस लेखक की पत्नी भी भरपूर मदद कर रही है. यह लेखक माया नगरी मुंबई में एक्टिंग के क्षेत्र में भाग्य आजमाने गया था लेकिन कामयाब नहीं हो पाया. अपनी इस पुस्तक में लेखक अरुण ने बॉलीवुड के अपने खट्टे-मिठे अनुभवों का निचोड़ पेश किया है. पढ़ें यह खबर.

author Arun selling book on Patna streets
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Published : Mar 11, 2022, 10:31 AM IST

Updated : Mar 11, 2022, 5:40 PM IST

पटना: लेखक अरुण कुमार और उनकी पत्नी पटना की सड़कों पर रोजोना 8 से 10 घंटे खड़े होकर अपने हाथों में पोस्टर लेकर किताब को बेचते (Arun selling book on Patna streets with wife) नजर आ रहे हैं. उस पोस्टर में लिखा हुआ है 'मैं नया लेखक हूं और पटना से सपोर्ट चाहिए'. पटना यूनिवर्सिटी के पास पति-पत्नी एक टेबल लगाकर किताबें बेचते हैं. वहां से गुजरने वाले युवक और युवती एक बार रुक कर उनकी किताब देख भी रहे हैं और खरीद भी रहे हैं. खास बात यह है कि सिर्फ एक टेबल है जिस पर कुछ किताबें रखी हुई है. बैठने के लिए इनके पास कुछ भी नहीं है.

देखें वीडियो

दरअसल, पटना के रहने वाले अरुण कुमार 12वीं पास हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए घर-बार छोड़कर 7 साल पहले मुंबई का रूख. लेकिन काफी साल तक स्ट्रगल करने के बाद भी फिल्म इंडस्ट्री में मौका नहीं मिला. ऐसे में अरुण के पास बिहार वापस आने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था. लेकिन बड़ा सवाल था कि अब आगे क्या?. जब अरुण से जिंदगी सवाल पूछ रही थी कि जिंदगी में आगे क्या करना तो उस वक्त उनका साथ उनकी हमसफर ने दिया. पत्नी ने कहा तुम कुछ लिखते क्यों नहीं हो? काफी सोचने के बाद अरुण ने कलम थामी और किताब लिखने बैठ गया. अरुण ने अपने जीवन में घटित घटनाओं के साथ-साथ अन्य कई मुद्दों पर किताब लिखी.


ये भी पढ़ें: औरंगजेब की तुलना सम्राट अशोक से की, विवाद बढ़ते ही लेखक के खिलाफ मामला दर्ज

दरअसल, अरुण की किताब का नाम है 'वीरा की शपथ'. पुस्तक की शुरुआत में ही एक दोहा लिखा लिखा है जो मंत्रमुग्ध कर रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान लेखक अरुण कुमार ने बताया कि यह उपन्यास 5 फरवरी को दिल्ली में लांच की थी. इसके बाद वह पटना आए और कई पब्लिशरों से किताब छापने के साथ-साथ उसको प्रमोट करने की भी गुजारिश की परंतु कोई राजी नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की लिखी हुई किताब को सड़क पर खड़े होकर बेचने का निर्णय लिया.

लेखक अरुण कुमार ने बताया कि अब तक करीबन 900 किताबों की बिक्री हो चुकी है. जब हमने उनसे पूछा कि दिन भर आप हाथ में पोस्टर लेकर और खड़े होकर किताब बेचते हैं. आपको तकलीफ नहीं होती, उन्होंने कहा कि असफलता से बड़ा कोई दर्द नहीं होता है. पटना यूनिवर्सिटी के सड़क के किनारे बेच रहे लेखक अपनी किताब के जरिये यह बताने की कोशिश कर रहे है कि कर्मठ कभी बहाने नहीं बनाते हैं. इसके अलावा अमेजॉन पर भी उनकी यह किताब उपलब्ध है. वहां से भी लोग खरीदारी कर रहे हैं.

लेखक अरुण कुमार बताते हैं कि प्रेम और असफलता जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा होती है. प्रेम जो हमारे साथ खड़ी है, उनकी पत्नी. उन्होंने बताया कि साल 2011 में वह घर छोड़कर अभिनेता बनने के लिए मुंबई गए थे और फेल होने के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें शायर-लेखक बनने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद आज वह कामयाब हुए और अपनी किताब लिखी है.

ये भी पढ़ें: लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ पटना में FIR, बिहार BJP अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दर्ज करवाया मामला

उन्होंने कहा कि कभी जीवन में मैंने लेखक बनने के बारे में सोचा नहीं था. मैं मैथ और साइंस का स्टूडेंट था परंतु पत्नी के प्रेरित करने के बाद मैंने कुछ लिखना शुरू किया. आज मेरी किताब लोगों को, युवाओं को पसंद आ रही है. यह कोई पहला या अंतिम संस्करण नहीं है. हर साल इसके संस्करण में बढ़ोतरी होगी. इस किताब की विशेषता यह है कि इसमें जो कहानी उन्होंने लिखी है, वह नियति, प्रेरणा, संघर्ष और प्रेम के आसपास घूमती है. इस किताब में शायरी, गजल, दोहे, रोमांस सबका मिश्रण है. इस वजह से युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग लोग भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

कहा जाता है कि पुरुष की कामयाबी के पीछे महिला का हाथ होता है. लेखक अरुण कुमार भी इसमें अपनी पत्नी का बहुत योगदान मानते हैं. उनकी पत्नी ने इस किताब को लिखने के लिए प्रेरित किया. आज वे धीरे-धीरे कामयाब हो रहे हैं और उम्मीद है कि भविष्य में बहुत कामयाब होंगे. अरुण कुमार की पत्नी नियति ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के बारे में बताया कि मैंने अपनी लाइफ में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं. ऐसा भी समय था जब मेरे पति अरुण सफलता हासिल करने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे. तब हमने सिर्फ खिचड़ी और मैगी खाकर कई रातें गुजारी हैं. अरुण और नियति की लव मैरिज है. उनका कहना है कि वह जब स्ट्रगल कर रहे हैं तो उनके परिवार का भी उनको सपोर्ट मिल रहा है.

ये भी पढ़ें: साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की 101वीं जयंती, पदाधिकारियों ने माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

उनकी पत्नी नियति ने कहा कि हमें पटना वासियों ने जितना ज्यादा प्यार दिया है, हमें इसकी उम्मीद नहीं थी. मात्र कुछ दिनों के अंदर ही हमने अपनी 900 किताबें बेची हैं. इसका अगला संस्करण जल्द ही लाया जायेगा. इस किताब का नाम 'वीरा की शपथ' का मकसद है कि वह हर व्यक्ति वीरा है जो अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहता है, कुछ पाना चाहता है. पहले जो परेशानी उन्हें झेलनी पड़ती थी, अब वैसी स्थिति नहीं हैं. प्रतिदिन 70 से 80 किताबें बिक रही हैं.

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पटना: लेखक अरुण कुमार और उनकी पत्नी पटना की सड़कों पर रोजोना 8 से 10 घंटे खड़े होकर अपने हाथों में पोस्टर लेकर किताब को बेचते (Arun selling book on Patna streets with wife) नजर आ रहे हैं. उस पोस्टर में लिखा हुआ है 'मैं नया लेखक हूं और पटना से सपोर्ट चाहिए'. पटना यूनिवर्सिटी के पास पति-पत्नी एक टेबल लगाकर किताबें बेचते हैं. वहां से गुजरने वाले युवक और युवती एक बार रुक कर उनकी किताब देख भी रहे हैं और खरीद भी रहे हैं. खास बात यह है कि सिर्फ एक टेबल है जिस पर कुछ किताबें रखी हुई है. बैठने के लिए इनके पास कुछ भी नहीं है.

देखें वीडियो

दरअसल, पटना के रहने वाले अरुण कुमार 12वीं पास हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए घर-बार छोड़कर 7 साल पहले मुंबई का रूख. लेकिन काफी साल तक स्ट्रगल करने के बाद भी फिल्म इंडस्ट्री में मौका नहीं मिला. ऐसे में अरुण के पास बिहार वापस आने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था. लेकिन बड़ा सवाल था कि अब आगे क्या?. जब अरुण से जिंदगी सवाल पूछ रही थी कि जिंदगी में आगे क्या करना तो उस वक्त उनका साथ उनकी हमसफर ने दिया. पत्नी ने कहा तुम कुछ लिखते क्यों नहीं हो? काफी सोचने के बाद अरुण ने कलम थामी और किताब लिखने बैठ गया. अरुण ने अपने जीवन में घटित घटनाओं के साथ-साथ अन्य कई मुद्दों पर किताब लिखी.


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दरअसल, अरुण की किताब का नाम है 'वीरा की शपथ'. पुस्तक की शुरुआत में ही एक दोहा लिखा लिखा है जो मंत्रमुग्ध कर रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान लेखक अरुण कुमार ने बताया कि यह उपन्यास 5 फरवरी को दिल्ली में लांच की थी. इसके बाद वह पटना आए और कई पब्लिशरों से किताब छापने के साथ-साथ उसको प्रमोट करने की भी गुजारिश की परंतु कोई राजी नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की लिखी हुई किताब को सड़क पर खड़े होकर बेचने का निर्णय लिया.

लेखक अरुण कुमार ने बताया कि अब तक करीबन 900 किताबों की बिक्री हो चुकी है. जब हमने उनसे पूछा कि दिन भर आप हाथ में पोस्टर लेकर और खड़े होकर किताब बेचते हैं. आपको तकलीफ नहीं होती, उन्होंने कहा कि असफलता से बड़ा कोई दर्द नहीं होता है. पटना यूनिवर्सिटी के सड़क के किनारे बेच रहे लेखक अपनी किताब के जरिये यह बताने की कोशिश कर रहे है कि कर्मठ कभी बहाने नहीं बनाते हैं. इसके अलावा अमेजॉन पर भी उनकी यह किताब उपलब्ध है. वहां से भी लोग खरीदारी कर रहे हैं.

लेखक अरुण कुमार बताते हैं कि प्रेम और असफलता जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा होती है. प्रेम जो हमारे साथ खड़ी है, उनकी पत्नी. उन्होंने बताया कि साल 2011 में वह घर छोड़कर अभिनेता बनने के लिए मुंबई गए थे और फेल होने के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें शायर-लेखक बनने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद आज वह कामयाब हुए और अपनी किताब लिखी है.

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उन्होंने कहा कि कभी जीवन में मैंने लेखक बनने के बारे में सोचा नहीं था. मैं मैथ और साइंस का स्टूडेंट था परंतु पत्नी के प्रेरित करने के बाद मैंने कुछ लिखना शुरू किया. आज मेरी किताब लोगों को, युवाओं को पसंद आ रही है. यह कोई पहला या अंतिम संस्करण नहीं है. हर साल इसके संस्करण में बढ़ोतरी होगी. इस किताब की विशेषता यह है कि इसमें जो कहानी उन्होंने लिखी है, वह नियति, प्रेरणा, संघर्ष और प्रेम के आसपास घूमती है. इस किताब में शायरी, गजल, दोहे, रोमांस सबका मिश्रण है. इस वजह से युवाओं के साथ-साथ बुजुर्ग लोग भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं.

कहा जाता है कि पुरुष की कामयाबी के पीछे महिला का हाथ होता है. लेखक अरुण कुमार भी इसमें अपनी पत्नी का बहुत योगदान मानते हैं. उनकी पत्नी ने इस किताब को लिखने के लिए प्रेरित किया. आज वे धीरे-धीरे कामयाब हो रहे हैं और उम्मीद है कि भविष्य में बहुत कामयाब होंगे. अरुण कुमार की पत्नी नियति ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के बारे में बताया कि मैंने अपनी लाइफ में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे हैं. ऐसा भी समय था जब मेरे पति अरुण सफलता हासिल करने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे. तब हमने सिर्फ खिचड़ी और मैगी खाकर कई रातें गुजारी हैं. अरुण और नियति की लव मैरिज है. उनका कहना है कि वह जब स्ट्रगल कर रहे हैं तो उनके परिवार का भी उनको सपोर्ट मिल रहा है.

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उनकी पत्नी नियति ने कहा कि हमें पटना वासियों ने जितना ज्यादा प्यार दिया है, हमें इसकी उम्मीद नहीं थी. मात्र कुछ दिनों के अंदर ही हमने अपनी 900 किताबें बेची हैं. इसका अगला संस्करण जल्द ही लाया जायेगा. इस किताब का नाम 'वीरा की शपथ' का मकसद है कि वह हर व्यक्ति वीरा है जो अपनी जिंदगी में कुछ करना चाहता है, कुछ पाना चाहता है. पहले जो परेशानी उन्हें झेलनी पड़ती थी, अब वैसी स्थिति नहीं हैं. प्रतिदिन 70 से 80 किताबें बिक रही हैं.

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Last Updated : Mar 11, 2022, 5:40 PM IST
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