पटना : जेडीयू अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह (Jdu President Lalan Singh ) ने नीतीश कुमार के मिशन 2024 (Nitish Kumar Mission 2024) को लेकर बड़ा बयान दिया है. ललन सिंह ने कहा है कि ''लोगों की भावना होगी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव (CM Nitish Contest Lok Sabha Elections from Phulpur) लड़ें. इस बात का हमलोगों को गर्व हो रहा है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि सीएम नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट (Phulpur Loksabha Seat) से चुनाव लड़ सकते हैं.
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''अभी तो लोकसभा चुनाव का ऐलान नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे कि नहीं लड़ेंगे यह तो समय आने पर पता चलेगा. पर ये बात जरूर है कि कई राज्यों से चुनाव लड़ने का सुझाव आ रहा है. यूपी के फूलपुर के साथ-साथ अंबेडकर नगर, मिर्जापुर से भी चुनाव लड़ने की कार्यकर्ताओं की मांग है. जब चुनाव होगा तब पता चलेगा कि वो चुनाव लड़ेंगे कि नहीं लड़ेंगे, लड़ेंगे तो कहां से लड़ेंगे. ये तो उस समय निर्णय होगा. ये लोगों का स्नेह है और नीतीश कुमार ने अपनी छवि बनायी है और 9 अगस्त के बाद से जिस मुहीम में नीतीश कुमार लगे हुए हैं उसका परिणाम है कि जगह-जगह से लोग मांग कर रहे हैं कि वह चुनाव लड़ें.''- ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू
नीतीश के लिए फूलपुर मुफीद क्यों? : बड़ा सवाल ये है कि नीतीश आखिर फूलपुर से ही क्यों चुनाव लड़ सकते हैं. दरअसल, यहां के 18 लाख वोटरों में से 17 फीसदी मतदाता पटेल (कुर्मी) समुदाय से हैं. इस कारण से चुनावी लिहाज से फूलपुर का सबसे अहम जातीय समुदाय है. इसकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1984-99 तक यहा पटेल समुदाय का नेता ही चुनाव जीतता रहा है.
फूलपुर में किस जाति के कितने वोट? : जातीय समीकरण की बात करें तो फूलपुर सीट पर जातीय आधार पर करीब तीन लाख से ज्यादा कुर्मी वोटर है, ढाई लाख यादव मतदाता, ढाई लाख मुस्लिम, तीन लाख दलित, डेढ़ लाख ब्राह्मण, पचास हजार ठाकुर, डेढ़ लाख वैश्य, और डेढ़ लाख बिंद, निषाद, दो लाख प्रजापति और विश्वकर्मा, एक लाख कायस्थ, एक लाख मौर्य, कुशवाहा के साथ ही 75 हजार बंगाली और ईसाई मतदाता हैं.
फूलपुर में कुर्मी समाज के कई सांसद : फूलपुर लोकसभा सीट से कुर्मी समाज के कई सांसद बने हैं. इसके अलावा फूलपुर सीट पर एसपी का भी मजबूत जनाधार है. यही वजह है कि 1996 से लेकर 2004 और 2018 के उपुचनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने यहां से जीत दर्ज की. 1996 और जंग बहादुर पटेल दो बार समाजवादी पार्टी (SP) के टिकट पर सांसद रह चुके हैं. उन्होंने फूलपुर से 1996 और 1998 में समाजवादी पार्टी से जीत दर्ज की. 1999 में एसपी के धर्मराज पटेल को जीत मिली. इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में एसपी ने अतीक अहमद को फूलपुर से प्रत्याशी बनाया जो विजयी रहे. लेकिन साल 2009 के चुनाव में बीएसपी के टिकट पर पंडित कपिल मुनि करवरिया चुनाव जीते.
नेहरू की विरासत फूलपुर लोकसभा सीट : प्रयागराज जिले में दो संसदीय क्षेत्र हैं. इनमें से एक है फूलपुर. इस क्षेत्र से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू आजादी के बाद हुए चुनावों में लगातार तीन बार सांसद चुने गए थे. उनके निधन के बाद 1964 में हुए उप चुनाव में उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित यहां से चुनाव जीती थीं. उन्हें 1967 के आम चुनाव में लगातार दूसरी जीत मिली थी.
आपातकाल में कांग्रेस के हाथ से खिसक गई फूलपुर : 1969 में विजय लक्ष्मी के इस्तीफे के बाद उपचुनाव में कांग्रेस ने केशव देव मालवीय उतरे, जिन्हें सोशलिस्ट पार्टी के जनेश्वर मिश्र मात देकर सांसद बने. कांग्रेस ने इस सीट को दोबारा पाने के लिए 1971 में वीपी सिंह को मैदान में उतारा और वो जीत दर्ज करके सांसद बने. इसके बाद 1977 में आपातकाल के दौर में एक बार कांग्रेस के हाथों से फूलपुर सीट खिसक गई. 1980 में हुए चुनाव में फूलपुर से लोकदल के प्रत्याशी बीडी सिंह जीतकर सांसद बने. 1984 में कांग्रेस ने दोबारा से रामपूजन पटेल को मैदान में उतारा. इस बार कांग्रेस की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए उन्होंने जीत दर्ज की. लेकिन इसके बाद वो जनता दल में शामिल हो गए और लगातार तीन बार चुने गए.
फूलपुर में 2014-2019 में खिला कमल : इस सीट पर पहली बार बीजेपी का खाता 2014 में खुला जब केशव प्रसाद मौर्य ने जीत दर्ज की. हालांकि फूलपुर ने 2018 में ही पासा पलट दिया. यूपी विधानसभा चुनाव के बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में सपा और बसपा गठबंधन के प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह पटेल ने बीजेपी उम्मीदवार कौशलेंद्र सिंह पटेल को हराकर सीट पर कब्जा कर लिया. जिस सीट पर केशव प्रसाद मौर्य ने तीन लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की थी वहां हार मिलना बीजेपी के लिए सदमे से कम नहीं था. लेकिन 2019 में एक बार फिर बीजेपी के केशरी देवी पटेल 544701 वोटों के साथ विजेता बने.