पटना: बिहार की राजधानी पटना के रंगमंच से निकलकर दक्षिण भारतीय फिल्मों (south indian movie)में जाना पहचाना नाम बन चुके अभिनेता पंकज केसरी (Actor Pankaj Kesari) अब राजगद्दी फिल्म के जरिए हिंदी फिल्मों में दस्तक देने जा रहे हैं. फिल्म राजगद्दी बिहार की छात्र राजनीति की कहानी पर आधारित है. यह फिल्म नवंबर में रिलीज की जाएगी. इस फिल्म में उनके साथ मान्या सिंह है जो पिछले वर्ष मिस इंडिया बनी थी. इसके बाद उनकी फिल्म भाग मोहब्बत आ रही है और इसके साथ ही वह एक वेब सीरीज पर भी काम कर रहे हैं, जो नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी. जल्द ही इसके नाम की घोषणा भी की जाएगी.
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साउथ की फिल्मों में ज्यादा स्कोपः पंकज केसरी अब तक 17 तेलुगु फिल्में कर चुके हैं. इससे पहले वह 44 भोजपुरी की फिल्मों में प्रमुख भूमिका भी निभा चुके हैं. बकलोल दूल्हा, प्रतिज्ञा, परिवार जैसी भोजपुरी के सुपरहिट फिल्मों में मुख्य भूमिका निभा चुके हैं. पिछले कई वर्षों से वह भोजपुरी से दूरी बनाकर पूरी तरह तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में रम गए हैं. पंकज का कहना है कि साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में अभिनय का बहुत स्कोप है और वहां क्रिएटिविटी को काफी महत्व दिया जाता है. उन्होंने बताया कि भोजपुरी फिल्में अधिक लाउड होती हैं, जबकि साउथ की फिल्मों में अभिनय को बहुत महत्व दिया जाता है. उनके पास अब भोजपुरी फिल्मों के फिर से काफी स्क्रिप्ट आ रहे हैं, लेकिन समय के अभाव में वह भोजपुरी फिल्में नहीं कर पा रहे हैं. वह चाहते हैं कि साल में कम से कम एक अच्छी भोजपुरी फिल्म (bhojpuri movie) वह करें.
अक्षय की 'बच्चन पांडे' पंकज की फिल्म का रिमेकः तेलुगू फिल्मों के बारे में उन्होंने बताया कि यहां हर फिल्म के लिए एक्टर का एक लुक डिसाइड किया जाता है. अभी भी वह जिस लुक में है वह एक फिल्म का लुक है, जिस फिल्म के बारे में वह डिस्क्लोज नहीं कर सकते हैं. उन्होंने एक तेलुगू फिल्म की थी गड्डाला कोंडा गणेश जिसमें पूजा हेगडे ने उनकी पत्नी का रोल निभाया था. जिस फिल्म का बॉलीवुड में रिमेक किया गया और अक्षय कुमार ने उसे बच्चन पांडे नाम से लाया. उन्होंने बताया कि एक साउथ फिल्म की हालिया बड़ी फिल्म की पार्ट 2 करने जा रहे हैं. जिसके बारे में जानकारी साझा करने से मना किया गया है. कई प्रोजेक्ट अभी फ्लोर पर है.पंकज केसरी बताते हैं कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने से कलाकारों का मनोबल काफी बढ़ा है और उन्हें अवसर भी भरपूर मिल रहे हैं. ओटीटी सभी कलाकारों के लिए एक वरदान के रूप में है और इससे टैलेंट छुपता नहीं है बल्कि सभी जगह दिख जाता है.
कम हुई है भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलताः भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता के विषय पर उन्होंने कहा कि अब हाल के दिनों में भोजपुरी में अच्छी फिल्में काफी बनने लगी हैं और अश्लीलता काफी कम हुआ है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने के लिए प्रदेश में गवर्नमेंट का सपोर्ट भी बहुत आवश्यक है. उन्होंने कहा कि आज वह जो भी हैं, भोजपुरी फिल्मों की वजह से हैं. भोजपुरी से उनका प्यार शुरू से अधिक रहा है. लेकिन अभी व्यस्तता है और ऐसे में अभी और कुछ समय तक वह भोजपुरी फिल्में नहीं कर पाएंगे. वैसे भी भोजपुरी में लिमिटेड स्कोप है और रिकवरी इसकी काफी कम है. भोजपुरी के साथ दुर्भाग्य कहा जाए या सौभाग्य की जिस सिनेमा हॉल में बॉलीवुड के बड़े बजट की फिल्में रिलीज होती है. उसी सिनेमा हॉल में भोजपुरी की फिल्में भी रिलीज होती है. ऐसे में दर्शकों को लगता है कि जिस पैसे से वह कोई भोजपुरी मूवी देखेंगे उतने में वह शाहरुख और सलमान की फिल्में देख लेंगे.
फाइट सीन देख तेलुगू निर्देशक ने दिया रोलः भोजपुरी से तेलुगू फिल्मों में आने के सवाल पर पंकज केसरी ने बताया कि वह एक भोजपुरी फिल्म की शूटिंग हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में कर रहे थे. इसी दौरान तेलुगु के बहुत बड़े फिल्म डायरेक्टर श्री प्रवीण फिल्म शूटिंग के लिए लोकेशन देखने आए थे और उन्होंने उनकी फाइट सीन देखी. इसके बाद श्री प्रवीण ने उन्हें बुलाया और पूछा कि क्या आप तेलुगु फिल्में करना चाहेंगे. इस पर मैंने कहा कि मुझे तेलुगु नहीं आती है तो उन्होंने कहा कि वह वॉइस मैनेज कर लेंगे. इसके बाद फिल्म के लिए फोटो शूट हुआ और फिल्म की शूटिंग हुई. फिल्म कालीचरण था जिसमें वह मुख्य विलेन के किरदार में थे और फिल्म को चार नंदी अवार्ड मिले. इसके बाद तेलुगु फिल्मों का उनका सफर शुरू हुआ और अब तक 17 तेलुगु फिल्में कर चुके हैं.
अच्छे कंटेट की वजह से बिहार-यूपी में तेलुगू फिल्में लोकप्रियः बिहार-यूपी के इलाकों में बॉलीवुड फिल्मों की बजाय साउथ इंडियन हिंदी फिल्में काफी लोकप्रिय हो रही हैं, इस सवाल पर पंकज केसरी ने बताया कि इसकी प्रमुख वजह है कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री के फिल्मों में काफी कंटेंट रहता है. फिल्मी रियलिस्टिक बनती है और दूसरी फिल्मों का रीमेक नहीं बनाया जाता. साउथ फिल्मों में तकनीक का बेहतर प्रयोग किया जाता है. साउथ की फिल्मों में शूटिंग के दौरान भी डिसिप्लिन काफी देखने को मिलता है शूटिंग का जो समय है उसके पहले सभी आर्टिस्ट पहुंच गए होते हैं और जो पैकअप का समय है तब तक पैकअप हो जाता है. साउथ की फिल्मों में बजट की भी कोई दिक्कत नहीं रहती है. क्योंकि उनका दर्शक वर्ग काफी बड़ा है और फिल्में तमिल, तेलुगू, कन्नड़ मलयालम और हिंदी में भी रिलीज होती हैं, ऐसे में रिकवरी काफी बढ़ जाती है.
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