पटना: राष्ट्रीय जनता दल विधायक सह नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) शनिवार को पटना पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर पहले ही जनता दल यूनाइटेड (Janta Dal United) ने सदन में सरकार को समर्थन दे दिया है. बावजूद इसके उनके नेता कुछ से कुछ बोलते रहते हैं. उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी पर हमारा स्टैंड स्पष्ट है. राष्ट्रीय जनता दल हमेशा इसका विरोध करता रहेगा.
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''हम लोगों ने इसका सदन में सीएए का पुरजोर विरोध किया था. लोग सड़क पर भी आए थे और आज जब यह मामला सामने आया है तो जदयू के नेता कुछ से कुछ बयान बाजी कर रहे हैं. लोग समझते हैं कि कौन पक्ष में है और कौन विपक्ष में है और कौन इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है.''- तेजस्वी यादव,नेता प्रतिपक्ष, बिहार
PK को तेजस्वी ने किया इग्नोर: तेजस्वी यादव ने प्रशांत किशोर को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि प्रशांत किशोर कौन हैं, क्या हैं, कब आते हैं, कब जाते हैं, क्या बोलते हैं. इन पर हम कभी नोटिस ही नहीं लेते हैं. यह आप लोग हैं कि उनके बारे में पूछते हैं या बताते हैं, लेकिन हम या हमारी पार्टी उनकी बातों का कोई नोटिस नहीं लेती है. जब उनसे पूछा गया कि बिहार में वह राजनीति करने आए हैं. इस पर उन्होंने साफ-साफ कहा क्यों और क्या करने आए हैं, क्या करते थे, इन सब बातों से हमें क्या लेना देना.
सीएम नीतीश का CAA पर हालिया बयान: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar on CAA) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर दिए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, अभी तो कोरोना फिर से बढ़ने लगा है. हमें कोरोना से लोगों की रक्षा करने की ज्यादा चिंता है. लेकिन अगर कोई पॉलिसी की बात होगी तो उसे अलग से देखा जाएगा, पॉलिसी मैटर करता है.
"CAA पर जो भी केंद्र का निर्णय होगा उसे देखना होगा. लेकिन उससे पहले अभी कोरोना और बढ़ रहा है. हमें ज्यादा चिंता कोरोना से लोगों की रक्षा करने की है. जहां तक बात सीएए की है तो पॉलिसी की बात होगी तो उसे अलग से देखेंगे. हमने बाकी चीजों को अभी देखा नहीं है."- नीतीश कुमार,सीएम बिहार
सीएए को लेकर अब तक क्या हुआ है?: 11 दिसंबर 2019 को संसद में नागरिकता संशोधन अधिनियम बिल पारित किया गया था. तब केंद्र सरकार ने बताया था कि CAA का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों जैसे प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है. नागरिकता संशोधन अधिनियम के अनुसार, भारत के पड़ोसी देशों में रहने वाले जो लोग धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. 12 दिसंबर को इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई थी. इसके बाद गृह मंत्रालय ने इसे अधिसूचित किया था. हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है. बताया जाता है कि CAA के तहत नियम अभी बने नहीं हैं. करीब तीन साल तक इस बिल को लागू नहीं करने पर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए थे.
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