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अब जातीय जनगणना को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की तैयारी में RJD, कांग्रेस ने झाड़ा पल्ला

पीएम मोदी के कृषि कानून (Farm Law) वापस लेने के साथ ही अब राजद जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाएगा. लेकिन, कांग्रेस ने राजद के इस प्रस्ताव से पल्ला झाड़ लिया है. कांग्रेस का कहना है कि जिसे जातीय जनगणना के नाम पर राजनीति करनी है, वह करता रहे. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

बिहार में जातीय जनगणना
बिहार में जातीय जनगणना
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Published : Nov 22, 2021, 8:53 PM IST

पटना: केंद्र सरकार ने जब से कृषि कानून (Farm Law) वापस लिया है, उसके बाद से विपक्ष के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं. बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) का कहना है कि वो अब जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाएगा. राजद ने कहा कि जातीय जनगणना होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. इधर, कांग्रेस ने राजद के इस प्रस्ताव से पल्ला झाड़ लिया है और कहा कि बिहार में और भी कई मुद्दे हैं, जिन पर एक राय बनाना जरूरी है.

ये भी पढ़ें- ETV भारत के सवाल पर बोले CM नीतीश- खुद ही कराना होगा जातीय जनगणना, तो हम करेंगे विचार

एक साल से केंद्रीय कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे विपक्ष और किसानों ने तब जीत का जश्न मनाया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन तीनों कानून को वापस लेने का एलान किया. पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रीय जनता दल ने कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन किया था. तब से जितनी बार भी इसके विरोध में बंद और प्रदर्शन हुए तब राजद ने इसे पुरजोर समर्थन दिया. इस कानून को वापस लेने को राजद ने किसानों की बड़ी जीत बताया और अब उसी तरीके से जातीय जनगणना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाने की बात कह रहा है.

देखें रिपोर्ट

दरअसल, जातिगत जनगणना की मांग करते हुए तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी, जिसके बाद बिहार के कई दलों का शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिला था. हालांकि, केंद्र सरकार ने बाद में स्पष्ट कर दिया कि इसे कराने का उनका कोई विचार नहीं है. अगर कोई राज्य चाहे तो खुद के स्तर पर जातिगत जनगणना करा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- बिहार कांग्रेस प्रभारी बोले- केंद्र के भरोसे ना रहें नीतीश, बिहार में खुद कराएं जातीय जनगणना

''जातीय जनगणना पर पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसी से पता चलेगा कि हमें महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ कैसे समाज के जरूरतमंद तबके तक पहुंचाना है.''- रामानुज प्रसाद, प्रदेश प्रवक्ता और विधायक राजद

जातीय जनगणना के लेकर राजद ने बिहार में पहल की थी और प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखी थी और यही वजह है कि इस पहल को राजद अब आगे जारी रखना चाहता है. पीएम मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने के बाद राजद का मनोबल बढ़ा है. हालांकि, राजद के प्रमुख सहयोगी रहे कांग्रेस ने अब इससे पल्ला झाड़ लिया है और कहा कि कई अन्य मुद्दे भी हैं, जिन पर एक राय बनाना जरूरी है.

''बिहार में बाढ़, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर हम सब को एक राय बनाना जरूरी है, ताकि इस दिशा में बेहतर परिणाम सामने आ सकें. कांग्रेस नेता ने कहा यह मुद्दा अब खत्म हो चुका है, लेकिन जिसे जातीय जनगणना के नाम पर राजनीति करनी है, वह करता रहे.''- प्रेमचंद्र मिश्र, कांग्रेस एमएलसी

''राजद चाहे जो दावा करें, लेकिन इस बारे में नीतीश कुमार अपनी राय स्पष्ट कर चुके हैं और उनका प्रयास भी जारी है. राजद हमेशा अपने परिवार को प्रमोट करने में आगे रहा है, उन्हें जनता से जुड़े मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है.''- अंजुम आरा, जदयू प्रदेश प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- सुशील मोदी ने जातीय जनगणना पर केंद्र के फैसले को बताया सही, कहा- राज्य सरकार चाहे तो अपने स्तर से करा ले

इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार अपनी राय जाहिर कर चुकी है और यह भी स्पष्ट है कि कोई राज्य अगर चाहे तो अपने स्तर से जातिगत जनगणना करा सकता है. कुल मिलाकर देखें तो विपक्ष की तरफ से राष्ट्रीय जनता दल की मांग कायम है और राजद ने जिस तरह से पहल करके मुख्यमंत्री समेत अन्य दलों के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, इस पहल को आगे बढ़ाते हुए अब राजद केंद्रीय कृषि कानून की तर्ज पर जातीय जनगणना के लिए भी राज्य और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है.

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पटना: केंद्र सरकार ने जब से कृषि कानून (Farm Law) वापस लिया है, उसके बाद से विपक्ष के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं. बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) का कहना है कि वो अब जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाएगा. राजद ने कहा कि जातीय जनगणना होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. इधर, कांग्रेस ने राजद के इस प्रस्ताव से पल्ला झाड़ लिया है और कहा कि बिहार में और भी कई मुद्दे हैं, जिन पर एक राय बनाना जरूरी है.

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एक साल से केंद्रीय कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे विपक्ष और किसानों ने तब जीत का जश्न मनाया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन तीनों कानून को वापस लेने का एलान किया. पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रीय जनता दल ने कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन किया था. तब से जितनी बार भी इसके विरोध में बंद और प्रदर्शन हुए तब राजद ने इसे पुरजोर समर्थन दिया. इस कानून को वापस लेने को राजद ने किसानों की बड़ी जीत बताया और अब उसी तरीके से जातीय जनगणना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाने की बात कह रहा है.

देखें रिपोर्ट

दरअसल, जातिगत जनगणना की मांग करते हुए तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी, जिसके बाद बिहार के कई दलों का शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिला था. हालांकि, केंद्र सरकार ने बाद में स्पष्ट कर दिया कि इसे कराने का उनका कोई विचार नहीं है. अगर कोई राज्य चाहे तो खुद के स्तर पर जातिगत जनगणना करा सकते हैं.

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''जातीय जनगणना पर पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसी से पता चलेगा कि हमें महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ कैसे समाज के जरूरतमंद तबके तक पहुंचाना है.''- रामानुज प्रसाद, प्रदेश प्रवक्ता और विधायक राजद

जातीय जनगणना के लेकर राजद ने बिहार में पहल की थी और प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखी थी और यही वजह है कि इस पहल को राजद अब आगे जारी रखना चाहता है. पीएम मोदी द्वारा कृषि कानून वापस लेने के बाद राजद का मनोबल बढ़ा है. हालांकि, राजद के प्रमुख सहयोगी रहे कांग्रेस ने अब इससे पल्ला झाड़ लिया है और कहा कि कई अन्य मुद्दे भी हैं, जिन पर एक राय बनाना जरूरी है.

''बिहार में बाढ़, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर हम सब को एक राय बनाना जरूरी है, ताकि इस दिशा में बेहतर परिणाम सामने आ सकें. कांग्रेस नेता ने कहा यह मुद्दा अब खत्म हो चुका है, लेकिन जिसे जातीय जनगणना के नाम पर राजनीति करनी है, वह करता रहे.''- प्रेमचंद्र मिश्र, कांग्रेस एमएलसी

''राजद चाहे जो दावा करें, लेकिन इस बारे में नीतीश कुमार अपनी राय स्पष्ट कर चुके हैं और उनका प्रयास भी जारी है. राजद हमेशा अपने परिवार को प्रमोट करने में आगे रहा है, उन्हें जनता से जुड़े मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है.''- अंजुम आरा, जदयू प्रदेश प्रवक्ता

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इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार अपनी राय जाहिर कर चुकी है और यह भी स्पष्ट है कि कोई राज्य अगर चाहे तो अपने स्तर से जातिगत जनगणना करा सकता है. कुल मिलाकर देखें तो विपक्ष की तरफ से राष्ट्रीय जनता दल की मांग कायम है और राजद ने जिस तरह से पहल करके मुख्यमंत्री समेत अन्य दलों के साथ प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी, इस पहल को आगे बढ़ाते हुए अब राजद केंद्रीय कृषि कानून की तर्ज पर जातीय जनगणना के लिए भी राज्य और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है.

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