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बिहार में तबादलों पर सियासत, विपक्ष ने लगाया आरोप- 'राज्य में चल रहा है ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग'

बिहार में हर साल तबादले को लेकर कांग्रेस के जमाने से आरोप लगते रहे हैं. लालू राबड़ी के शासनकाल में भी तबादले के नाम पर उगाही के आरोप लगते रहे और नीतीश कुमार के शासन में भी आरोप लग रहे हैं. कुल मिलाकर देखें तो बिहार में तबादले के नाम पर उगाही बंद नहीं हुई है. भले ही चर्चा में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (Revenue and Land Reforms Department) है लेकिन दूसरे विभाग भी आरोप से अछूते नहीं है. पढ़ें पूरी खबर...

बिहार सचिवालय
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Published : Jul 10, 2022, 7:41 PM IST

पटनाः बिहार में वर्षों से सरकारी विभागों में तबादलों का खेल चल रहा है और एक समय तो इसे बिहार का बड़ा उद्योग का नाम भी दिया जाने लगा क्योंकि तबादलों के माध्यम से बड़े पैमाने पर पूरे साल उगाही होती रही और इसी को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने विभागीय मंत्री को केवल जून महीने में ही तबादले करने का अधिकार दिया इस साल भी जून में अधिकांश विभागों ने अपने अधिकारियों कर्मचारियों और अभियंताओं का तबादला किया है. राजस्व भूमि एवं सुधार विभाग हर बार तबादलों को लेकर चर्चा में (Politics On Transfer Posting In Bihar) आ जाता है. इस बार भी चर्चा में है और शिकायत मिलने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी तबादले को विभाग ने रद्द भी कर दिया है.

पढ़ें- तबादले पर BJP-JDU में तकरार? : RJD बोली- बिहार में फल-फूल रहा ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग

मंत्री रामनारायण मंडल के समय हुआ था विवादः कुछ साल पहले भी तत्कालिन भूमि सुधार और राजस्व विभाग के मंत्री रामनारायण मंडल के समय में भी तबादलों को रद्द किया गया था. विपक्ष एक बार फिर से सरकार पर निशाना साध रहा है और कह रहा है कि बिहार में तबादले के नाम पर जबरदस्त धन की उगाई हो रही है. यह उभरता हुआ उद्योग बन रहा है. ऐसे मंत्री के बयान के बाद से जदयू और बीजेपी के बीच एक नया विवाद भी शुरू है. वहीं बीजेपी के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा है.

"बिहार में ट्रांसफर पोस्टिंग एक बड़ा उद्योग के रूप में उभर रहा है. बीजेपी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इसका खुलासा किया था कि बिना चढ़ावा के किसी का ट्रांसफर पोस्टिंग बिहार में नहीं होता है. नीतीश जी को बताना चाहिए कि सीओ के ट्रांसफर पर रोक लगाने के पीछे आखिर क्या वजह है, क्योंकि बीजेपी के मंत्री जो सुशासन पर दाग लगा रहे हैं.'' -एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता


''लालू-राबड़ी के शासन के समय ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग का रूप ले चुका था लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे देखते हुए सरकार में एक सिस्टम डिवेलप किया और जून महीने में ही सिर्फ मंत्रियों को तबादले का अधिकार दिया गया. जहां तक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के ट्रांसफर रद्द करने का मामला है, मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और विभागों की समीक्षा करते रहते हैं. शिकायत मिली है तो मुख्यमंत्री समीक्षा कर पूरी स्थिति के बारे में देख रहे हैं और आगे फैसला लेंगे.''- अरविंद निषाद प्रवक्ता जदयू

"आरजेडी के लोगों को बोलने का कोई हक नहीं है क्योंकि उस समय तो सालों भर तबादले होते थे और यह उद्योग बन गया था ऐसे भी जंगल राज था उस समय. मुख्यमंत्री को शिकायतें मिली होगी और उसी आधार पर उन्होंने फैसला लिया है लेकिन मंत्री की भी बात उन्हें सुननी चाहिए''-विनोद शर्मा प्रवक्ता बीजेपी


जून महीने में तबादला की है नीतिः नीतीश सरकार ने जून महीने में मंत्रियों को अधिकार दिया कि विभागीय स्तर पर तबादले का फैसला ले सकते हैं और उसके बाद तबादला मुख्यमंत्री के स्तर पर ही होगा. सभी विभाग जून महीने में हर साल बड़े पैमाने पर तबादले करते रहे हैं. इस साल भी अधिकांश विभागों ने तबादले किए हैं. जून के अंतिम 2 दिनों में लगभग डेढ़ हजार अधिकारियों कर्मचारियों और अभियंताओं सहित विभिन्न पदों पर तबादले किए गए हैं. उदाहरण के तौर पर स्वास्थ्य विभाग में 11 सिविल सर्जन और 323 डॉक्टरों के तबादले किए गए. ग्रामीण विकास विभाग में 75 वीडियो के तबादले किए गए. समाज कल्याण विभाग में 145 सीडीपीओ का तबादला किया गया. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में एक सौ से अधिक सीओ सहित 149 अधिकारी बदले गए. भवन निर्माण विभाग में 8 अफसरों सहित 162 जूनियर इंजीनियर के तबादले किए गए. खान एवं भूतत्व विभाग मैं 12 खनिज विकास पदाधिकारियों के साथ एक खान निरीक्षक का भी तबादला किया गया.

तबादला रद्द होने के बाद से बवालः मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने 3 जिलों के अवर निबंधक का तबादला किया गया. पथ निर्माण विभाग में एक दर्जन सहायक अभियंता बड़ी संख्या में कार्यपालक अभियंता सहित मुख्य अभियंता तक के तबादले किए गए. शिक्षा विभाग में 106 शिक्षा अधिकारियों के तबादले किए गए, जिसमें 11 डीईओ भी शामिल है. इसी तरह अन्य विभागों में भी अधिकारी कर्मचारी और अन्य पदों पर काम करने वाले का तबादला किया गया है. लेकिन चर्चा सबसे अधिक है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की हो रही है और शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग ने तबादलों को रद्द कर दिया गया है.

पढ़ें- 'जब मंत्री का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं, तो विभाग चलाने से क्या फायदा', ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक से भड़के रामसूरत

पटनाः बिहार में वर्षों से सरकारी विभागों में तबादलों का खेल चल रहा है और एक समय तो इसे बिहार का बड़ा उद्योग का नाम भी दिया जाने लगा क्योंकि तबादलों के माध्यम से बड़े पैमाने पर पूरे साल उगाही होती रही और इसी को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने विभागीय मंत्री को केवल जून महीने में ही तबादले करने का अधिकार दिया इस साल भी जून में अधिकांश विभागों ने अपने अधिकारियों कर्मचारियों और अभियंताओं का तबादला किया है. राजस्व भूमि एवं सुधार विभाग हर बार तबादलों को लेकर चर्चा में (Politics On Transfer Posting In Bihar) आ जाता है. इस बार भी चर्चा में है और शिकायत मिलने के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी तबादले को विभाग ने रद्द भी कर दिया है.

पढ़ें- तबादले पर BJP-JDU में तकरार? : RJD बोली- बिहार में फल-फूल रहा ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग

मंत्री रामनारायण मंडल के समय हुआ था विवादः कुछ साल पहले भी तत्कालिन भूमि सुधार और राजस्व विभाग के मंत्री रामनारायण मंडल के समय में भी तबादलों को रद्द किया गया था. विपक्ष एक बार फिर से सरकार पर निशाना साध रहा है और कह रहा है कि बिहार में तबादले के नाम पर जबरदस्त धन की उगाई हो रही है. यह उभरता हुआ उद्योग बन रहा है. ऐसे मंत्री के बयान के बाद से जदयू और बीजेपी के बीच एक नया विवाद भी शुरू है. वहीं बीजेपी के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा है.

"बिहार में ट्रांसफर पोस्टिंग एक बड़ा उद्योग के रूप में उभर रहा है. बीजेपी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इसका खुलासा किया था कि बिना चढ़ावा के किसी का ट्रांसफर पोस्टिंग बिहार में नहीं होता है. नीतीश जी को बताना चाहिए कि सीओ के ट्रांसफर पर रोक लगाने के पीछे आखिर क्या वजह है, क्योंकि बीजेपी के मंत्री जो सुशासन पर दाग लगा रहे हैं.'' -एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता


''लालू-राबड़ी के शासन के समय ट्रांसफर पोस्टिंग उद्योग का रूप ले चुका था लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे देखते हुए सरकार में एक सिस्टम डिवेलप किया और जून महीने में ही सिर्फ मंत्रियों को तबादले का अधिकार दिया गया. जहां तक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के ट्रांसफर रद्द करने का मामला है, मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और विभागों की समीक्षा करते रहते हैं. शिकायत मिली है तो मुख्यमंत्री समीक्षा कर पूरी स्थिति के बारे में देख रहे हैं और आगे फैसला लेंगे.''- अरविंद निषाद प्रवक्ता जदयू

"आरजेडी के लोगों को बोलने का कोई हक नहीं है क्योंकि उस समय तो सालों भर तबादले होते थे और यह उद्योग बन गया था ऐसे भी जंगल राज था उस समय. मुख्यमंत्री को शिकायतें मिली होगी और उसी आधार पर उन्होंने फैसला लिया है लेकिन मंत्री की भी बात उन्हें सुननी चाहिए''-विनोद शर्मा प्रवक्ता बीजेपी


जून महीने में तबादला की है नीतिः नीतीश सरकार ने जून महीने में मंत्रियों को अधिकार दिया कि विभागीय स्तर पर तबादले का फैसला ले सकते हैं और उसके बाद तबादला मुख्यमंत्री के स्तर पर ही होगा. सभी विभाग जून महीने में हर साल बड़े पैमाने पर तबादले करते रहे हैं. इस साल भी अधिकांश विभागों ने तबादले किए हैं. जून के अंतिम 2 दिनों में लगभग डेढ़ हजार अधिकारियों कर्मचारियों और अभियंताओं सहित विभिन्न पदों पर तबादले किए गए हैं. उदाहरण के तौर पर स्वास्थ्य विभाग में 11 सिविल सर्जन और 323 डॉक्टरों के तबादले किए गए. ग्रामीण विकास विभाग में 75 वीडियो के तबादले किए गए. समाज कल्याण विभाग में 145 सीडीपीओ का तबादला किया गया. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में एक सौ से अधिक सीओ सहित 149 अधिकारी बदले गए. भवन निर्माण विभाग में 8 अफसरों सहित 162 जूनियर इंजीनियर के तबादले किए गए. खान एवं भूतत्व विभाग मैं 12 खनिज विकास पदाधिकारियों के साथ एक खान निरीक्षक का भी तबादला किया गया.

तबादला रद्द होने के बाद से बवालः मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने 3 जिलों के अवर निबंधक का तबादला किया गया. पथ निर्माण विभाग में एक दर्जन सहायक अभियंता बड़ी संख्या में कार्यपालक अभियंता सहित मुख्य अभियंता तक के तबादले किए गए. शिक्षा विभाग में 106 शिक्षा अधिकारियों के तबादले किए गए, जिसमें 11 डीईओ भी शामिल है. इसी तरह अन्य विभागों में भी अधिकारी कर्मचारी और अन्य पदों पर काम करने वाले का तबादला किया गया है. लेकिन चर्चा सबसे अधिक है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की हो रही है और शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग ने तबादलों को रद्द कर दिया गया है.

पढ़ें- 'जब मंत्री का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं, तो विभाग चलाने से क्या फायदा', ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक से भड़के रामसूरत

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