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निर्दलीय जीते 4 विधान पार्षदों पर डोरे डालने का खेल शुरू, सदन में अंकगणित मजबूत करने में जुटी पार्टियां - ईटीवी बिहार

बिहार विधान परिषद (Bihar MLC Election 2022) की 24 सीटों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. इसमें बीजेपी ने 7, जेडीयू ने 5, आरजेडी ने 6, कांग्रेस और रालोजपा (पारस) ने 1-1 सीट पर जीत हासिल की है. वहीं 4 निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है. अब राजनीतिक पार्टियां इन 4 निर्दलीय एमएलसी को लुभाने में जुट गयी हैं. पढ़ें पूरी खबर..

Bihar MLC Election 2022
Bihar MLC Election 2022
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Published : Apr 13, 2022, 8:25 AM IST

पटना: बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव के परिणाम (Bihar MLC Election Result) घोषित हो गए हैं. इसमें बीजेपी ने 7, जेडीयू ने 5, आरजेडी ने 6, कांग्रेस और रालोजपा (पारस) ने 1-1 सीट पर जीत हासिल की है, 4 निर्दलीय भी जीते हैं. अब राजनीतिक दलों ने बागी होकर चुनाव जीतने वाले चार एमएलसी पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. बैठकों और मुलाकातों का दौर शुरू हो गया. शीघ्र ये निर्दलीय इस बारे अपने रुख साफ कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Bihar MLC Election Result: NDA को झटका देकर RJD ने हासिल की बड़ी उपलब्धि

जदयू अब भी सबसे बड़ी पार्टी: भले ही इस चुनाव में जेडीयू तीसरे नंबर पर रही, लेकिन अभी वह विधान परिषद में सबसे बड़ी पार्टी (JDU largest party in Legislative Council) है. अभी सदन में जदयू के 28 विधान पार्षद है. भाजपा के 22 और राजद के 11 सदस्य हैं. इसके अलावा चार निर्दलीय चुनाव जीतकर आए हैं. निर्दलीय विधान पार्षदों के सहारे तमाम दल परिषद में अपनी संख्या में इजाफा करना चाहते हैं.

सीएम से मिल चुके हैं अशोक यादव: विधान परिषद चुनाव के नतीजों में खास बात यह रही कि बागियों ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. कुल चार बागी नेता चुनाव जीते हैं. इन बागी नेताओं पर राजनीतिक दलों ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. जदयू रेस में सबसे आगे दिख रही है. राजबल्लभ यादव के भतीजे अशोक यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर ली है. वह जदयू के बड़े नेताओं के संपर्क में भी हैं. आपको बता दें कि निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद अशोक यादव पहले तेजस्वी यादव से मिले थे.

राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव की पत्नी अंबिका गुलाब यादव बागी होकर चुनाव लड़ी थीं और उन्हें जीत भी मिली. राजद को इनसे काफी उम्मीदें हैं. महेश्वर यादव भी चुनाव जीते हैं. महेश्वर यादव राजद के उपाध्यक्ष थे. टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए और विधान परिषद चुनाव में अपना दम दिखाया. उन्हें भी बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल हुई है. राजद महेश्वर यादव को लेकर भी उम्मीद लगाए बैठी है.

सच्चिदानंद राय को फैसला लेने में जल्दबाजी नहीं: भाजपा ने अपने सिंटिंग विधान पार्षद सच्चिदानंद राय का टिकट काट दिया था. सच्चिदानंद राय इस चुनाव उतरे निर्दलीय और भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की. वहां पर राजद प्रत्याशी दूसरे और बीजेपी प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे. सच्चिदानंद राय से भाजपा को काफी उम्मीदें हैं. आपको बता दें कि सच्चिदानंद राय को भाजपा ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है. सच्चिदानंद राय ने कहा है कि पार्टी ने मुझे बेटिकट किया, फिर भी मैं चुनाव जीतने में कामयाब रहा. मेरे लिए तमाम तरह के विकल्प खुले हैं. मुझे फैसले लेने की फिलहाल कोई जल्दबाजी नहीं है.

ये भी पढ़ें: बिहार एमएलसी चुनाव परिणाम पर बोले उमेश कुशवाहा- 'माइक्रो लेवल पर कर रहे हैं समीक्षा'

'ज्यादातर हमारे उम्मीदवार बागी थे. जो लोग बागी होकर चुनाव लड़े थे, उनकी आस्था लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव में है. जो लालू यादव के सामाजिक न्याय में भरोसा करते हैं, वह हमारे साथ आएंगे.'- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर ज्यादातर नेता भाजपा में आना चाहते हैं. जो चार विधान पार्षद जीते हैं, वह सभी भाजपा खेमे में आएंगे.' -विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता

'जो विकास चाहता है वह नीतीश कुमार के साथ आएगा और जो विनाश चाहता है वह नीतीश कुमार से अलग राह अख्तियार करेगा. निर्दलीय उम्मीदवार ज्यादातर हमारे पक्ष में आएंगे. इस पर निर्णय शीर्ष नेतृत्व को लेना है'.- निखिल मंडल, जदयू प्रवक्ता

ये भी पढ़ें: बिहार एमएलसी चुनाव परिणाम पर सीएम का बड़ा बयान, बोले- 'नतीजों से मैं आश्चर्यचकित हूं'


वहीं, वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि चार की संख्या में निर्दलीय चुनाव जीत कर आए हैं. ज्यादातर उम्मीदवार वैसे हैं, जिन्हें पार्टी ने बेटिकट कर दिया था. नेताओं के पास अभी कोई जल्दबाजी नहीं है लेकिन जोड़-तोड़ की राजनीति में जदयू को महारत हासिल है. निर्दलीय अगर अधिक संख्या में जदयू के साथ चले जाएं तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी.

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पटना: बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए हुए चुनाव के परिणाम (Bihar MLC Election Result) घोषित हो गए हैं. इसमें बीजेपी ने 7, जेडीयू ने 5, आरजेडी ने 6, कांग्रेस और रालोजपा (पारस) ने 1-1 सीट पर जीत हासिल की है, 4 निर्दलीय भी जीते हैं. अब राजनीतिक दलों ने बागी होकर चुनाव जीतने वाले चार एमएलसी पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. बैठकों और मुलाकातों का दौर शुरू हो गया. शीघ्र ये निर्दलीय इस बारे अपने रुख साफ कर सकते हैं.

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जदयू अब भी सबसे बड़ी पार्टी: भले ही इस चुनाव में जेडीयू तीसरे नंबर पर रही, लेकिन अभी वह विधान परिषद में सबसे बड़ी पार्टी (JDU largest party in Legislative Council) है. अभी सदन में जदयू के 28 विधान पार्षद है. भाजपा के 22 और राजद के 11 सदस्य हैं. इसके अलावा चार निर्दलीय चुनाव जीतकर आए हैं. निर्दलीय विधान पार्षदों के सहारे तमाम दल परिषद में अपनी संख्या में इजाफा करना चाहते हैं.

सीएम से मिल चुके हैं अशोक यादव: विधान परिषद चुनाव के नतीजों में खास बात यह रही कि बागियों ने मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है. कुल चार बागी नेता चुनाव जीते हैं. इन बागी नेताओं पर राजनीतिक दलों ने डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. जदयू रेस में सबसे आगे दिख रही है. राजबल्लभ यादव के भतीजे अशोक यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर ली है. वह जदयू के बड़े नेताओं के संपर्क में भी हैं. आपको बता दें कि निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद अशोक यादव पहले तेजस्वी यादव से मिले थे.

राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव की पत्नी अंबिका गुलाब यादव बागी होकर चुनाव लड़ी थीं और उन्हें जीत भी मिली. राजद को इनसे काफी उम्मीदें हैं. महेश्वर यादव भी चुनाव जीते हैं. महेश्वर यादव राजद के उपाध्यक्ष थे. टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए और विधान परिषद चुनाव में अपना दम दिखाया. उन्हें भी बड़े मतों के अंतर से जीत हासिल हुई है. राजद महेश्वर यादव को लेकर भी उम्मीद लगाए बैठी है.

सच्चिदानंद राय को फैसला लेने में जल्दबाजी नहीं: भाजपा ने अपने सिंटिंग विधान पार्षद सच्चिदानंद राय का टिकट काट दिया था. सच्चिदानंद राय इस चुनाव उतरे निर्दलीय और भारी मतों के अंतर से जीत दर्ज की. वहां पर राजद प्रत्याशी दूसरे और बीजेपी प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे. सच्चिदानंद राय से भाजपा को काफी उम्मीदें हैं. आपको बता दें कि सच्चिदानंद राय को भाजपा ने 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है. सच्चिदानंद राय ने कहा है कि पार्टी ने मुझे बेटिकट किया, फिर भी मैं चुनाव जीतने में कामयाब रहा. मेरे लिए तमाम तरह के विकल्प खुले हैं. मुझे फैसले लेने की फिलहाल कोई जल्दबाजी नहीं है.

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'ज्यादातर हमारे उम्मीदवार बागी थे. जो लोग बागी होकर चुनाव लड़े थे, उनकी आस्था लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव में है. जो लालू यादव के सामाजिक न्याय में भरोसा करते हैं, वह हमारे साथ आएंगे.'- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर ज्यादातर नेता भाजपा में आना चाहते हैं. जो चार विधान पार्षद जीते हैं, वह सभी भाजपा खेमे में आएंगे.' -विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता

'जो विकास चाहता है वह नीतीश कुमार के साथ आएगा और जो विनाश चाहता है वह नीतीश कुमार से अलग राह अख्तियार करेगा. निर्दलीय उम्मीदवार ज्यादातर हमारे पक्ष में आएंगे. इस पर निर्णय शीर्ष नेतृत्व को लेना है'.- निखिल मंडल, जदयू प्रवक्ता

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वहीं, वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि चार की संख्या में निर्दलीय चुनाव जीत कर आए हैं. ज्यादातर उम्मीदवार वैसे हैं, जिन्हें पार्टी ने बेटिकट कर दिया था. नेताओं के पास अभी कोई जल्दबाजी नहीं है लेकिन जोड़-तोड़ की राजनीति में जदयू को महारत हासिल है. निर्दलीय अगर अधिक संख्या में जदयू के साथ चले जाएं तो यह आश्चर्य की बात नहीं होगी.

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