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पटना: कालिदास रंगालय में 'त हम कुंवारे रहे' नाटक का हुआ मंचन, दर्शकोंं ने खूब बजाई तालियां - patna news

नाटक की कहानी के अंत में गांव की पंचायत के समय ज्ञान गुण सागर पहुंचता है. मुखिया से कहता है कि उसका बाप 10 लाख दहेज के लोभ में शादी नहीं करा रहा था. जिसके बाद एक आदमी आया और शादी कराने के नाम पर ठगी कर गया.

नाटक के बीच का दृश्य
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Published : Sep 11, 2019, 5:24 AM IST

Updated : Sep 11, 2019, 7:46 AM IST

पटना: राजधानी के गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय में 'त हम कुंवारे रहे' नाटक का मंचन किया गया. इसमें ज्ञान गुण सागर एक विकलांग लड़का रहता है. जो अनपढ़ और गवार है और उसे शादी करने का बहुत शौक है. वह निराश रहता है कि उसका कोई अगुआ नहीं आता है और उसका पिता तीन लोक उजागर प्रसाद 10 लाख दहेज लेने के लोभ में अपने बेटे की शादी नहीं कर रहा होता है.

पटना
नाटक के एक सीन में ठग और ज्ञान गुण सागर

पैसा लेकर भाग गया ठग
नाटक में दिखाया गया है कि एक दिन उसके घर पर एक ठग धूर्ता नंद अगुआ बनकर आता है. वह ज्ञान गुण सागर से कई सवाल पूछता है और उसके गलत जवाब में हां में हां मिलाता रहता है. ज्ञानगुण सागर को लगता है कि वह उसकी शादी करा देगा. जिसके बाद ज्ञान गुण सागर आए हुए अगुआ के साथ जाने को तैयार हो जाता है. अगुआ के रूप में आया ठग ज्ञान गुण सागर से उसकी सारी संपत्ति लेकर आने को कहता है. फिर ज्ञान गुण सागर अपने पिता को पीटकर सारी संपत्ति लेकर धूर्तानंद योगी के पास पहुंचता है. धूर्ता नंद ज्ञान गुण सागर का सारा खजाना लेकर भाग जाता है.

कालिदास रंगालय में "त हम कुंवारे रहे" नाटक का मंचन

गांव की पंचायत में हुआ फैसला
नाटक की कहानी के अंत में गांव की पंचायत के समय ज्ञान गुण सागर पहुंचता है. मुखिया से कहता है कि उसका बाप 10 लाख दहेज के लोभ में शादी नहीं करा रहा था. जिसके बाद एक आदमी आया और शादी कराने के नाम पर ठगी कर गया. उसकी समस्या सुनने के बाद मुखिया गांव के एक आदमी की साली को बुलाता है जो विकलांग रहती है. मुखिया दोनों की सभी गांव वालों के सामने शादी करा देता है. 'त हम कुंवारे रहे' नाटक सतीश कुमार की लोक भाषा पर आधारित रचना है और इसे नीरज कुमार ने निर्देशित किया. नाटक में हिंदी, भोजपुरी और मगही भाषा का समावेश रहा. इस नाटक में कई जगहों पर कॉमेडी था, जिसे दर्शकों ने खूब एंजॉय किया.

पटना: राजधानी के गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय में 'त हम कुंवारे रहे' नाटक का मंचन किया गया. इसमें ज्ञान गुण सागर एक विकलांग लड़का रहता है. जो अनपढ़ और गवार है और उसे शादी करने का बहुत शौक है. वह निराश रहता है कि उसका कोई अगुआ नहीं आता है और उसका पिता तीन लोक उजागर प्रसाद 10 लाख दहेज लेने के लोभ में अपने बेटे की शादी नहीं कर रहा होता है.

पटना
नाटक के एक सीन में ठग और ज्ञान गुण सागर

पैसा लेकर भाग गया ठग
नाटक में दिखाया गया है कि एक दिन उसके घर पर एक ठग धूर्ता नंद अगुआ बनकर आता है. वह ज्ञान गुण सागर से कई सवाल पूछता है और उसके गलत जवाब में हां में हां मिलाता रहता है. ज्ञानगुण सागर को लगता है कि वह उसकी शादी करा देगा. जिसके बाद ज्ञान गुण सागर आए हुए अगुआ के साथ जाने को तैयार हो जाता है. अगुआ के रूप में आया ठग ज्ञान गुण सागर से उसकी सारी संपत्ति लेकर आने को कहता है. फिर ज्ञान गुण सागर अपने पिता को पीटकर सारी संपत्ति लेकर धूर्तानंद योगी के पास पहुंचता है. धूर्ता नंद ज्ञान गुण सागर का सारा खजाना लेकर भाग जाता है.

कालिदास रंगालय में "त हम कुंवारे रहे" नाटक का मंचन

गांव की पंचायत में हुआ फैसला
नाटक की कहानी के अंत में गांव की पंचायत के समय ज्ञान गुण सागर पहुंचता है. मुखिया से कहता है कि उसका बाप 10 लाख दहेज के लोभ में शादी नहीं करा रहा था. जिसके बाद एक आदमी आया और शादी कराने के नाम पर ठगी कर गया. उसकी समस्या सुनने के बाद मुखिया गांव के एक आदमी की साली को बुलाता है जो विकलांग रहती है. मुखिया दोनों की सभी गांव वालों के सामने शादी करा देता है. 'त हम कुंवारे रहे' नाटक सतीश कुमार की लोक भाषा पर आधारित रचना है और इसे नीरज कुमार ने निर्देशित किया. नाटक में हिंदी, भोजपुरी और मगही भाषा का समावेश रहा. इस नाटक में कई जगहों पर कॉमेडी था, जिसे दर्शकों ने खूब एंजॉय किया.

Intro:राजधानी पटना के गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय मैं "त हम कुंवारे रहे" नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक में ज्ञान गुण सागर एक विकलांग लड़का रहता है जो अनपढ़ और गवार है और उसे शादी करने का बहुत शौक है. वह निराश रहता है कि उसका कोई अगुआ नहीं आता है और उसका पिता तीन लोक उजागर प्रसाद 10 लाख दहेज लेने के लोग में अपने बेटे की शादी नहीं कर रहा था.


Body:नाटक में दिखाया गया है कि एक दिन उसके घर पर एक धूर्त अगुआ बनकर आता है. वह वह ज्ञान गुण सागर से कई सवाल पूछता है और उसके गलत जवाब में हां में हां मिलाता रहता है. ज्ञान गुण सागर को लगता है कि वह उसका शादी करा देगा जिसके बाद ज्ञान गुण सागर आए हुए अगुआ के साथ जाने को तैयार हो जाता है. अगुआ के रूप में आया ठगा नंद ज्ञान गुण सागर से उसकी सारी संपत्ति लेकर आने को कहता है जिसके बाद ज्ञान गुण सागर अपने बाप को पीटकर सारी संपत्ति लेकर धूर्तानंद योगी के पास पहुंचता है. धूर्ता नंद और ठगा नंद ज्ञान गुण सागर के सारे खजाने लेकर भाग जाते हैं.


Conclusion:नाटक की कहानी के अंत में गांव की पंचायती के समय ज्ञान गुण सागर पहुंचता है और मुखिया से कहता है कि उसका बाप 10 लाख दहेज कि लोभ में उसका शादी नहीं कर रहा था जिसके बाद एक आदमी आया और शादी कराने के नाम पर ठगी कर गया. उसकी समस्या सुनने के बाद मुखिया गांव के एक आदमी की साली को बुलाता है जो विकलांग रहती है. मुखिया दोनों की सभी गांव वालों के सामने शादी करा देता है.

यह नाटक सतीश कुमार की लोक भाषा पर आधारित रचना है और इसे नीरज कुमार ने निर्देशित किया. नाटक में हिंदी भोजपुरी मगही भाषा का समावेश रहा. इस नाटक में कई जगहों पर कॉमेडी थी जिसे दर्शकों ने खूब इंजॉय किया.
Last Updated : Sep 11, 2019, 7:46 AM IST
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