पटना: राजधानी पटना के गांधी मैदान में बिहार दिवस के मौके पर फूड प्वाइजनिंग का मामला (Children Sick In Bihar Diwas Program) अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था. कि धनरूआ के महमदपुर प्राथमिक विद्यालय में बच्चों के मध्याह्न भोजन में प्लास्टिक का चावल खिलाने का मामला सामने आया है. जिसको लेकर ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए घंटों जमकर बवाल काटा. इसको लेकर लोगों ने आगामी 26 तारीख को धनरूआ में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में ग्रामीणों ने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के सामने इस मामले को उठाने की बात कही है. वहीं इस पूरे मामले में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी नवल किशोर ने दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है.
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बच्चों को खाने में दिया गया प्लास्टिक का चावल: मिली जानकारी के अनुसार, धनरूआ प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय महमदपुर में बच्चों के खाने वाले चावल में प्लास्टिक का चावल मिलाकर दिया गया था. ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों के खाने में प्लास्टिक का चावल मिला है. जिससे बच्चे बीमार हो सकते है. यह एक बड़ी साजिश है. जिसकी जांच होनी चाहिए. एमडीएम का चावल स्कूल तक पहुंचाने वाले संवेदक और प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई होनी चाहिए. गांव के वार्ड सदस्य ने मामले में प्रधानाध्यापक और एमडीएम के चावल पहुंचाने वालों पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि बच्चों के खाने में जहर मिलाया जा रहा है. जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
MDM के चावल में प्लास्टिक का चावल मिला: इसको लेकर धनरूआ प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय महमदपुर में आज घंटों हंगामा होता रहा. वार्ड सदस्य रेखा सिन्हा ने मामले में शिकायत दर्ज कराई है. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने इस पर जांच कर कार्रवाई की बात कही है. इसके अलावा ग्रामीणों ने आगामी 26 तारीख को मुख्यमंत्री के भ्रमण के दौरान यह मामला उठाने की बात कही है.
बिहार दिवस पर बच्चे फूड प्वाइजनिंग का हुए थे शिकार: गौरतलब है कि पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में बिहार दिवस कार्यक्रम (Bihar Diwas 2022) में शामिल होने वाले कई बच्चे फूड प्वाइजनिंग (Children Sick In Bihar Diwas Program) के शिकार हो गए थे. इस पर शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि जो भी दोषी अधिकारी होंगे उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. मामले को लेकर जांच के आदेश दे दिए गए हैं. दरअसल लगभग 150 बच्चे बीमार हुए थे, जिनमें से 11 बच्चों का पीएमसीएच में इलाज चल रहा था, जबकि लगभग 60 बच्चों का इलाज गांधी मैदान में बने अस्थाई अस्पताल में चल रहा था.
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