पटना: चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व चैती छठ व्रत (Chaiti Chhath Puja In Bihar) की शुरूआत आज, मंगलवार से नहाय खाय के साथ हो रही है. 6 अप्रैल 2022 को खरना, 7 अप्रैल को संध्या अर्घ्य एवं दिनांक 8 अप्रैल को प्रातः अर्घ्य के साथ इस महापर्व का समापन होगा. छठ पूजा के अवसर पर व्रतियों की सुविधा, भीड़ नियंत्रण एवं शांतिपूर्ण ढंग से त्यौहार को संपन्न कराने के उद्देश्य से दंडाधिकारी पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति करने हेतु संयुक्त आदेश निर्गत कर दिया गया है.
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इस बार पटना शहरी क्षेत्र स्थित कुल 26 घाटों को छठ पर्व हेतु जिला प्रशासन द्वारा उपयुक्त घोषित किया गया है. इसमें पटना सदर अनुमंडल अंतर्गत 14 घाट, पटना सिटी अनुमंडल अंतर्गत 7 घाट एवं दानापुर अनुमंडल अंतर्गत 5 घाट हैं. कुल 24 घाटों को खतरनाक/अनुपयुक्त घोषित किया गया है. जिला प्रशासन द्वारा जारी खतरनाक घाटों पर आमजनों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक रहेगी.
सुरक्षित और खतरनाक दोनों तरह के घाटों पर वरीय दंडाधिकारी, स्टैटिक दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की गई है. साथ ही जिला नियंत्रण कक्ष पटना में पालीवार सुरक्षित दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है. इस प्रकार चैती छठ पर्व को सफल बनाने में 100 से भी अधिक दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का आदेश जिला प्रशासन द्वारा जारी किया गया है.
5 अप्रैल की सुबह 6:00 बजे से ही दंडाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी अपने-अपने छठ घाटों पर पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात हैं.
सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय : व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं. इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय कहलाता है. मुख्यतौर पर इस दिन छठ व्रती लौकी की सब्जी और चने की दाल ग्रहण करते हैं. इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया जाता है. खाना पकाने के दौरान साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. खाना पकाने के दौरान भी छठव्रती छठी मईया की गीतों से आराधना करती नजर आती हैं.
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व्रती के बाद ही घर के अन्य सदस्य करते हैं भोजन: नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नियम का पालन करते हुए छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के बाकि सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं. यह व्रत काफी कठिन होता है. इसलिए बीमार या शारीरिक रूप से कमजोर लोग इस व्रत को नहीं कर सकते हैं.
छठ 36 घंटे का निर्जला व्रत : 36 घंटे निर्जला रहने वाले छठ व्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं बल्कि आसान लगता है. व्रत करने वाला व्यक्ति यानी छठव्रती व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोते हैं. नहाय खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है. जो खाना इस दिन बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. उसके बाद छठ व्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं.
इन नियमों का करें पालन (Chhath Puja Pujan Vidhi): नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए. नहाय खाए से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं. घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए. मदिरा पान, धूम्रपान आदि न करें. किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता है. इसलिए साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें. छठ की छटा नहाय खाय के साथ ही चारों ओर देखने को मिलती है.
4 दिनों की है पूरी विधि : बता दें कि आज 5 अप्रैल 2022 मंगलवार को नहाय खाय है. नहाय खाय से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है. 6 अप्रैल बुधवार के दिन खरना किया जाएगा. 7 अप्रैल गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 8 अप्रैल शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.
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