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कृषि कानून पर फंसी जेडीयू: पहले समर्थन अब गोलमोल जवाब, विपक्ष के निशाने पर नीतीश कुमार - JDU on Three Farm Laws

किसानों के आंदोलन के कारण केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून वापस (Farm Laws Repealed) लेने का फैसला लेना पड़ा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने खुद घोषणा की है, लेकिन बिहार में जेडीयू (JDU) इस निर्णय का न तो समर्थन कर रहा है ना ही विरोध. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अपने पहले के बयानों को लेकर अब विपक्ष के निशाने पर हैं. पढ़ें खास रिपोर्ट...

कृषि कानून पर जेडीयू का रुख
कृषि कानून पर जेडीयू का रुख
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Published : Nov 21, 2021, 6:05 PM IST

पटना: बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सत्ता संभालने के एक साल बाद ही यानी 2006 में बाजार समिति को भंग कर एपीएमसी कानून (APMC Laws in Bihar) लागू किया गया था, लेकिन आज तक बाजार समिति के स्थान पर किसी तरह की कोई नई व्यवस्था नहीं की गई है. केंद्र में जब कृषि कानून लागू किया गया तो नीतीश कुमार ने उसका समर्थन किया था. उन्होंने यहां तक कहा था कि बिहार में तो पहले से लागू है. अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने तीनों कृषि कानून को वापस (Farm Laws Repealed) लेने की घोषणा की है तो सीएम कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं. वे ना तो विरोध कर पा रहे हैं और ना ही समर्थन कर पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: बोले भक्त चरणदास- '900 किसानों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को लिया वापस'

सीएम नीतीश कुमार के साथ-साथ जेडीयू (JDU) के तमाम नेताओं ने भी पूरी तरह से चुप्पी साध ली है. इसी बहाने बिहार की विपक्षी पार्टियों को उन पर हमला करने का मौका मिल गया है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) तीनों कृषि कानून को लगातार काला कानून बताते रहे हैं, लेकिन उस समय तो नीतीश कुमार समर्थन में थे. अब प्रधानमंत्री ने कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा की है तो उन्हें बताना चाहिए कि समर्थन में हैं या विरोध में. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर का भी कहना है कि नीतीश कुमार का बयान हास्यास्पद है.

देखें रिपोर्ट

वहीं, जेडीयू की सहयोगी बीजेपी (BJP) बचाव करती नजर आ रही है. प्रवक्ता रामसागर सिंह का कहना है कि जब प्रधानमंत्री ने ही घोषणा कर दी है तो मुख्यमंत्री के बोलने के लिए कुछ रहा नहीं. सीएम का इस पर इफ बट करना सही नहीं है. जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है विपक्ष के पास कुछ बोलने के लिए नहीं है. जिन्हें इसकी समझ ही नहीं है, उन्हें क्या पता होगा.

ये भी पढ़ें: 'जब सताने लगा सत्ता का डर, तब PM मोदी ने कृषि कानून ले लिया वापस'

आपको बताएं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को वापस लेने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया. आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.

नोट: ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

पटना: बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के सत्ता संभालने के एक साल बाद ही यानी 2006 में बाजार समिति को भंग कर एपीएमसी कानून (APMC Laws in Bihar) लागू किया गया था, लेकिन आज तक बाजार समिति के स्थान पर किसी तरह की कोई नई व्यवस्था नहीं की गई है. केंद्र में जब कृषि कानून लागू किया गया तो नीतीश कुमार ने उसका समर्थन किया था. उन्होंने यहां तक कहा था कि बिहार में तो पहले से लागू है. अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने तीनों कृषि कानून को वापस (Farm Laws Repealed) लेने की घोषणा की है तो सीएम कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहे हैं. वे ना तो विरोध कर पा रहे हैं और ना ही समर्थन कर पा रहे हैं.

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सीएम नीतीश कुमार के साथ-साथ जेडीयू (JDU) के तमाम नेताओं ने भी पूरी तरह से चुप्पी साध ली है. इसी बहाने बिहार की विपक्षी पार्टियों को उन पर हमला करने का मौका मिल गया है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) तीनों कृषि कानून को लगातार काला कानून बताते रहे हैं, लेकिन उस समय तो नीतीश कुमार समर्थन में थे. अब प्रधानमंत्री ने कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा की है तो उन्हें बताना चाहिए कि समर्थन में हैं या विरोध में. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर का भी कहना है कि नीतीश कुमार का बयान हास्यास्पद है.

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वहीं, जेडीयू की सहयोगी बीजेपी (BJP) बचाव करती नजर आ रही है. प्रवक्ता रामसागर सिंह का कहना है कि जब प्रधानमंत्री ने ही घोषणा कर दी है तो मुख्यमंत्री के बोलने के लिए कुछ रहा नहीं. सीएम का इस पर इफ बट करना सही नहीं है. जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है विपक्ष के पास कुछ बोलने के लिए नहीं है. जिन्हें इसकी समझ ही नहीं है, उन्हें क्या पता होगा.

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आपको बताएं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को वापस लेने का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया. आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को Repeal करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.

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