चंडीगढ़: खनौरी बॉर्डर पर गीजर फटने से एक किसान झुलस गया. उसे समाना के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है. जानकारी के मुताबिक किसान हाथ-पैर जल गए हैं. किसान की पहचान समाना निवासी गुरदयाल के रूप में हुई है.
इस बीच शंभू बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन के दौरान एक किसान ने सल्फास निगल कर आत्महत्या कर ली. किसानों के मुताबिक, किसान ने गुरुवार सुबह लंगर स्थल के पास सल्फास खा लिया. इसका पता चलते ही उसे तुरंत मौके पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया. इसके बाद उसे पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई. किसान रेशम सिंह तरनतारन जिले के पहुविंड का रहने वाला था.
10 जनवरी को सरकार का पुतला जलाएंगे किसान
किसान नेता 10 जनवरी को देशभर में गांव स्तर पर मोदी सरकार का पुतला जलाएंगे, ताकि केंद्र सरकार को पता चले कि गांवों के लोग एमएसपी गारंटी कानून के मुद्दे पर दल्लेवाल के संघर्ष के साथ खड़े हैं. 13 जनवरी को देशभर में नई कृषि नीति के मसौदे की प्रतियां जलाई जाएंगी. 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.
दल्लेवाल की हालत गंभीर है
आपको बता दें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और अन्य मांगों को लेकर खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की तबीयत और बिगड़ती जा रही है. दल्लेवाल की तबीयत बेहद नाजुक है और बताया जा रहा है कि वह बात भी नहीं कर पा रहे हैं. हालांकि इसके बावजूद उन्होंने मेडिकल करवाने से इनकार कर दिया है.
क्या हैं किसानों की मांगें?
फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी के अलावा किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने, पुलिस केस वापस लेने और 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना भी उनकी मांगों का हिस्सा है.