पटना: राज्य से लेकर केंद्र तक जनता दल यूनाइटेड (JDU) दोनों जगह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में ललन सिंह (Lalan Singh) की ताजपोशी और केंद्रीय मंत्रिमंडल में आरसीपी सिंह (RCP Singh) को शामिल किए जाने के बाद जेडीयू की रणनीति में आमूलचूल बदलाव आया है. ऐसा लगता है कि पार्टी राजनीतिक मुद्दों पर बीजेपी (BJP) से दो-दो हाथ के लिए तैयार है.
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राष्ट्रीय परिषद के बैठक में जिस तरीके से जेडीयू की ओर से तमाम प्रस्ताव पारित किए गए, उससे साफ है कि पार्टी बीजेपी के दबाव में आने को कतई तैयार नहीं है. राजनैतिक प्रस्ताव से यह साफ हो गया है कि राजनीतिक मुद्दों के मामले में जेडीयू खुद 'लीडर' की भूमिका में रहना चाहता है. जनसंख्या नियंत्रण पर तो पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र को भी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बिहार द्वारा अपनाई गई नीतियों को लागू करना चाहिए.
इसके अलावा जातिगत जनगणना और रोहिणी कमेटी की रिपोर्ट लेकर जेडीयू ने अपना रुख साफ कर दिया है. पार्टी ने रोहिणी कमेटी की रिपोर्ट को लेकर भी बीजेपी पर दबाव बढ़ा दिया है.
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वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताकर जेडीयू नेताओं ने देश के तमाम राजनीतिक दलों को यह संदेश देने का काम किया है कि नरेंद्र मोदी के अलावे नीतीश कुमार ही प्रधानमंत्री पद के मजबूत दावेदार हैं.
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि हमने पार्टी की नीति तय कर दी है. हम राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का विस्तार चाहते हैं और इसके लिए हमारे नेता की उपलब्धियां और सफलता दोनों महत्वपूर्ण हैं, उसे हम लोगों तक पहुंचाएंगे. देश की राजनीति में नीतीश कुमार एक चेहरा हैं, इससे भी कोई इनकार नहीं कर सकता.
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उधर, बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने कहा है कि हर दल की अलग-अलग नीति है. जेडीयू भले ही गठबंधन में हमारे साथ है, लेकिन नेतृत्व और नीति दोनों अलग-अलग है. यह जरूरी नहीं है कि उनके विचार हमारे विचार से मेल खाएं.
वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि जेडीयू जहां एक और बीजेपी को यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि हम आपकी शर्तों पर नहीं, अपनी शर्तों पर गठबंधन रख में रहेंगे वहीं दूसरी तरफ बीजेपी विरोधी खेमे को भी यह संदेश देने की कोशिश है कि प्रधानमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार भी चेहरा हैं.