पटना: बिहार में शिक्षकों के नियोजन के दौरान एनआईओएस से D.El.Ed करने वाले शिक्षक भ्रम की स्थिति में हैं. इस भ्रामक स्थिति के लिए वे बिहार के शिक्षा विभाग पर सीधा आरोप लगा रहे हैं, जो अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाया है कि इन शिक्षकों को सरकारी प्राथमिक शिक्षक बनने का मौका मिलेगा या नहीं.
D.El.Ed पास शिक्षकों की बैठक
पटना में एनआईओएस D.El.Ed पास शिक्षकों ने बैठक की. बैठक में इस कन्फ्यूशन के लिए शिक्षा विभाग पर नाराजगी जताई गई. शिक्षकों की मांग है कि बिहार सरकार को तत्काल एक प्रेस नोट जारी कर हालात को स्पष्ट करना चाहिए कि वे ऐसे शिक्षकों को बिहार शिक्षक नियोजन में भाग लेने की इजाजत देंगे या नहीं.
दरअसल बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने एनआईओएस के D.El.Ed की डिग्री को लेकर नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन यानि (NCTE) से मार्गदर्शन मांगा था. एनसीटीई से यह पूछा गया था कि क्या एनआईओएस से 18 महीने का डीएलएड करने वाले शिक्षकों को बिहार प्राथमिक शिक्षक नियोजन प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर दिया जाना चाहिए. इसपर एनसीटीई ने जवाब दिया कि यह कोर्स 18 महीने का था जबकि किसी भी नई बहाली प्रक्रिया में 24 महीने के डी एल एड कोर्स का नियम कड़ाई से लागू होना चाहिए.
भ्रम की स्थिति में एनआईओएस शिक्षकों
अब इस पत्र के आने के बाद एनआईओएस शिक्षकों में भ्रम की स्थिति है. ऐसा इसीलिए है क्योंकि यही कोर्स करने वाले सरकारी शिक्षकों को प्रमोशन देने और आगे के नियोजन में भाग लेने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन निजी स्कूलों के शिक्षकों के लिए सरकार ने अब तक कोई स्पष्ट नीति या सर्कुलर जारी नहीं किया है. अब एनसीटीई के लेटर को लेकर शिक्षक कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. इनका दावा है कि संसद के दोनों सदनों से पास और एनआरसी के अप्रूवल के बाद ही एनआईओएस ने यह कोर्स कराया है, तो फिर नियोजन के समय यह असमंजस की स्थिति क्यों, अब यह भ्रम क्यों फैलाया जा रहा है?