पटनाः बिहार की राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी सिविल कोर्ट (Masaurhi Civil Court) में मेगा लोक अदालत (Lok Adalat) का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों मामलों का निष्पादन किया गया. निष्पादित किए गए मामलों में ज्यादातर समझौतायुक्त मामले थे, जिनका ऑन स्पॉट निष्पादन किया गया.
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मसौढ़ी सिविल कोर्ट के प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी कपिल देव ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत का मुख्य मकसद उन छोटे-मोटे केस को निपटाना होता है, जो काफी दिनों तक चलते रहते हैं. जिसमें एक तरफ जहां मुवक्किलों को परेशानी होती है, वहीं कोर्ट का भी समय बर्बाद होता है. अभी राष्ट्रीय स्तर पर मेगा लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है.
उन्होंने आगे बताया कि लोक अदालत में ज्यादातर फैसले मौके पर ही सुनाए जाते हैं. इस दौरान ज्यादातर बैंक का कर्ज, बिजली बिल लोन, लेबर एनफोर्समेंट, माप-तौल विभाग समेत विभिन्न विभागों के मामलों का समझौता या निपटारा किया जाता है.
समय से उचित-अनुचित का फैसला आ जाने से दोनों ही पक्षों को काफी सहूलियत होती है. उन्हें न तो वकीलों के चक्कर में पड़ना होता है और न ही कोर्ट-कचहरी का चक्कर काटना पड़ता है.
लोक अदालत में दोनों पक्षों की आपसी सहमति व राजीनामे से सौहार्दपूर्ण वातावरण में पक्षकारों की रजामंदी से विवाद निपटाया जाता है. इससे शीघ्र व सुलभ न्याय, कोई अपील नहीं, सिविल कोर्ट के आदेश की तरह पालन, कोर्ट फीस वापसी, अंतिम रूप से निपटारा, समय की बचत जैसे लाभ मिलते हैं.
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लोक अदालत में सामान्यः वैवाहिक, पारिवारिक विवाद, मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम प्रकरण, सभी दीवानी प्रकरण, श्रम एवं औद्योगिक विवाद पेंशन मामले, बैंक वसूली मामले, सभी राजीनामा योग्य फौजदारी प्रकरण, विवाद पूर्ण प्रकरणों का निपटारा करवाया जा सकता है.