पटना: पहले से ही महंगाई के बोझ से दबी जनता को एक और झटका लगा है. खाने के तेल, रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल के बाद अब दवाइयां भी आज से महंगी (Medicines Price Hike) हो रही हैं. बीमार लोगों को अब जरूरी दवाओं के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे. एक अप्रैल से सामान्य सर्दी, बुखार, बीपी, शुगर, टीबी और माइग्रेन समेत 376 बीमारियों की दवाएं महंगी (Medicines for 376 diseases are expensive) हो रही हैं. जीवन रक्षक दवाओं की कीमतें बढ़ने से लोगों की मुसीबतें और बढ़ जाएंगी.
10 फीसदी तक का उछाल: आज से करीब 800 से अधिक दवाइयों की कीमतें बढ़ (medicines become expensive) रही हैं. दवाओं की कीमतों में 10 फीसदी तक का उछाल आ सकता है. जिन दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी उनमें बुखार, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज में काम आने वाली दवाएं भी शामिल हैं. पैरासिटामॉल जैसी सर्वाधिक उपयोगी दवाओं की कीमतों में वृद्धि से ग्राहकों पर बड़ा असर पड़ेगा. पेनकिलर और एंटी बायोटिक के रूप में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है.
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क्या हैं शेड्यूल दवाइयां: शेड्यूल दवाइयों में जरूरी दवाइयां शामिल होती हैं. इसमें ऐसी दवाएं होती हैं, जिनकी कीमतें दवा कंपनियां स्वयं से नहीं बढ़ा सकतीं. इन दवाओं की कीमतें बढ़ाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती हैं. इनमें वे दवाइयां भी शामिल हैं, जिनका उपयोग मध्यम से लेकर गंभीर लक्षणों वाले कोरोना मरीज के उपचार में हो रहा है.
शेड्यूल ड्रग्स की कीमतों (Schedule Drugs Price) में इस बढ़ोतरी को सरकार से मंजूरी मिल गई है. नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (National Pharma Pricing Authority) का कहना है कि इन दवाइयों की कीमतें थोक महंगाई दर के आधार पर बढ़ी हैं. बता दें कि एनपीपीए ने शेड्यूल ड्रग्स की कीमतों में 10.7 फीसदी के इजाफे के लिए अनुमति दी है.
कैसे बढ़ती है दवाओं की कीमत: ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर- 2013 के क्लॉज 16 एनपीपीए को हर साल 1 अप्रैल या उससे पहले पूर्ववर्ती कैलेंडर वर्ष के लिए एनुअल होलसेल प्राइस इंडेक्स के अनुसार अनुसूचित फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमत को संशोधित कर नई कीमतें लागू करते हैं.
फार्मा इंडस्ट्री कर रही थी कीमतों में इजाफे की मांग : फार्मा कंपनियां कोविड-19 महामारी (companies covid-19 pandemic) के बाद से ही दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग कर रही थीं. एक हजार से ज्यादा भारतीय दवा निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली एक लॉबी ने नवंबर 2021 में सरकार से सभी तय फॉर्मूलेशन की कीमतों में 10 फीसदी का इजाफा करने की मांग की थी. इसके अलावा गैर-अनुसूचित दवाओं की कीमतों में 20 फीसदी का इजाफा करने की मांग की गई थी. एनपीपीए ने जरूरी दवाओं की कीमत में 10.7% की वृद्धि की है.
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