पटना: बिहार में बीते 2 दिनों के घटनाक्रम से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है. कल तक जहां प्रदेश में एनडीए की सरकार थी तो वहीं अब महागठबंधन की सरकार बन गई है. इनमें एक चीज कॉमन है और वह है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो एनडीए के समय भी मुख्यमंत्री रहे और महागठबंधन के समय भी मुख्यमंत्री हैं. महागठबंधन के सभी 7 घटक दलों ने मिलकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपना नेता चुना है. इसमें तीनों वामदलों के प्रतिनिधियों का भी समर्थन प्राप्त है.
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बिहार की राजनीति में तपिश बढ़ी : तीनों वामदलों के पास 16 सीटें हैं, जिनमें भाकपा-माले के पास सर्वाधिक 12 सीटें हैं और माले ने अब तक यह ऐलान किया है कि नीतीश सरकार को उनका समर्थन है लेकिन वह सरकार में शामिल नहीं हो रही है और मंत्री पद लेने की कोई लालसा नहीं है. हालांकि सीपीआई और सीपीआईएमएल की ओर से शुक्रवार को बैठक बुलाई गई है. पार्टी कार्यालय में जिसमें पार्टी के विधायक और तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे और यह निर्णय लेंगे कि सरकार में इन लोगों की भूमिका क्या रहेगी. भाकपा माले के विधायक सुदामा प्रसाद ने बताया कि वह सरकार को समर्थन दे रहे हैं लेकिन सरकार में शामिल नहीं है.
'अब तक जो उन लोगों की भूमिका तय है कि जिस प्रकार वह जनता के मुद्दों को उठाते रहे हैं, सदन में उसी प्रकार वह आगे भी सदन में जनता के मुद्दों को उठाते रहेंगे. सदन के अंदर हो या सदन के बाहर वह लोग सक्रिय रूप से जनता के मुद्दों को उठाएंगे. मंत्रिमंडल में शामिल होंगे या नहीं इसको लेकर के पार्टी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक गुरुवार को दिन में बुलाई गई है. बैठक के बाद शीर्ष नेता निर्णय लेंगे, इससे अवगत कराया जाएगा.' - सुदामा प्रसाद, विधायक, भाकपा माले
'यह सरकार काफी मजबूत सरकार बनी है और इस सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है. सरकार में जहां तक हिस्सेदारी की बात है तो इसको लेकर के गुरुवार शाम 4:00 बजे राज्य कमेटी की बैठक है (Left Party Meeting On 11 August )और बैठक के बाद जो भी निर्णय होगा उससे अवगत कराया जाएगा. पार्टी और पार्टी नेताओं को कभी मंत्री पद की लालसा नहीं रही है. अभी इस सरकार का एजेंडा तय नहीं हुआ है, क्योंकि सरकार में सिर्फ मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दो लोगों ने ही शपथ लिया है. लेकिन वह चाहते हैं कि गठबंधन के घटक दलों का एक कोआर्डिनेशन कमेटी बने और कॉमन मिनिमम एजेंडा तैयार किया जाए जिस पर सरकार काम करेगी. समय-समय पर इसकी बैठक आयोजित कराई जाए और उसमें इसकी समीक्षा की जाएगी. कॉमन मिनिमम एजेंडा के तहत कौन से काम कितना हुआ है. दो-चार दिन के अंदर ही सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा, मंत्रिमंडल का गठन भी होगा और एजेंडा भी सरकार का तय हो जाएगा.' - संजय कुमार सिंह, विधान पार्षद, सीपीआई
वामदल की 11 अगस्त को बैठक : सीपीआईएम के राज्य सचिव ललन चौधरी ने बताया कि उन लोगों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पूरा समर्थन है. और मंत्रिमंडल में शामिल होने की कभी कोई लालसा नहीं रही है. केंद्रीय नेतृत्व भी घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं और सरकार ने उन लोगों की क्या भूमिका होगी, इसको लेकर जल्द ही एक बैठक बुलाई जाएगी और आगे की रणनीति तैयार की जाएगी. उन लोगों की अभी सरकार में भूमिका रहेगी कि सरकार एक एजेंडे पर चले, गरीब लोगों के सवाल पर सरकार काम करें और सांप्रदायिकता के खिलाफ मुहिम को तेज करें. कभी मंत्रिमंडल के गठन को लेकर के भी मीटिंग नहीं हुई है और सिर्फ सीएम और डिप्टी सीएम ने शपथ ग्रहण किया है, ऐसे में अभी कुछ कहना जल्दी बाजी है. मंत्रिमंडल विस्तार से पहले पार्टियों की अपनी बैठक होगी, उसके बाद एक महागठबंधन की बैठक होगी और उसके बाद सब कुछ तय होगा.
नीतीश कुमार के सामने चुनौती : बिहार में अब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व की महागठबंधन की नई सरकार बनी है. ऐसे में अब बिहार में छह अन्य दलों के साथ गठबंधन की सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को भविष्य में चुनौतियों का सामना (Challenges of Bihar Government) करना पड़ सकता है, केवल बड़े सहयोगी आरजेडी (RJD) से. अन्य गठबंधन सहयोगी छोटे दल हैं, जो उनके लिए बड़ा खतरा नहीं होना चाहिए.