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धनतेरस और दीपावली में क्यों खरीदना चाहिए खजूर का झाड़ू, जानें महत्व

धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन के साथ ही झाड़ू खरीदना भी सबसे जरूरी माना जाता है. इस दिन कोई दूसरी चीज अगर न भी खरीदी जाए तो झाड़ू तो जरूर खरीदनी चाहिए. झाड़ू को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता है.

खजूर की झाड़ू
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Published : Oct 25, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 2:26 PM IST

पटना: दीपावली के समय पारंपरिक सामान का इस्तेमाल करने का खासा महत्व होता है. पूजा पाठ के लिए लोग पारंपरिक और हस्त निर्मित सामानों का ही ज्यादा प्रयोग करते हैं. दीपावली से 2 दिन पूर्व धनतेरस होता है. धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना काफी शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि घर में नई झाड़ू लाने से लक्ष्मी का आगमन होता है. धनतेरस के दिन खजूर की झाड़ू खरीदने का अलग महत्व है. लोग इस दिन खजूर की झाड़ू जरूर खरीदते हैं.

दीपावली को लेकर बिहार के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से कारीगर हस्त निर्मित सामानों को लेकर पटना पहुंच रहे हैं. वह ये सामान पटना की बाजारों में बेच रहे हैं. पटना जंक्शन पर ऐसी ही एक महिला कारीगर छुटकी मुर्मू पहुंची हुई हैं. छुटकी मुर्मू जमुई के सुईया इलाके से अपने हाथों से बनी खजूर की झाड़ू लेकर पटना के बाजारों में बेचने आई हैं. छुटकी मुर्मू जैसे कई कारीगर इन दिनों अपने हस्त निर्मित सामानों को लेकर रोजाना पटना जंक्शन पहुंच रहे हैं. ये सभी कारीगर राजधानी के बाजारों में अपने सामानों को बेच रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

खजूर के पत्ते से बनती है झाड़ू
छुटकी मुर्मू ने बताया कि वह दीपावली के वक्त हर साल अपने हाथों से बनाई गई, खजूर की झाड़ू को बेचने के लिए पटना पहुंचती हैं. ताकि दिवाली पर उनके घर के लिए दिए और बाती का खर्च निकल सके. उन्होंने बताया कि एक झाड़ू को बनाने में काफी समय लगता है और दिन भर कड़ी मेहनत के बाद 20 से 25 की संख्या में झाड़ू बन पाती है. उन्होंने बताया कि खजूर की झाड़ू बनाने के लिए पहले खजूर के पत्ते इकट्ठे करने पड़ते हैं. फिर उन्हें हाथों से झाड़ू का रूप दिया जाता है. छुटकी मुर्मू ने बताया कि वह एक झाड़ू को 8₹ से ₹10 के थोक भाव में दुकानदारों को बेचती हैं. उनका कहना है कि इन झाड़ूओं को काफी कम दामों में बेचना पड़ता है. जबकि दुकानदार इसे 25₹ से ₹30 में बाजारों में बेचते हैं.

Patna
छुटकी मुर्मू, कारीगर

झाड़ू खरीदने का महत्व
धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन के साथ ही झाड़ू खरीदना भी सबसे जरूरी माना जाता है. इस दिन कोई दूसरी चीज अगर न भी खरीदी जाए तो झाड़ू तो जरूर खरीदनी चाहिए. झाड़ू को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता है. कहा जाता है कि धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदकर अगर उससे घर की सफाई की जाए तो घर में मां लक्ष्मी का आगमन अवश्य होता है. इसीलिए धनतेरस पर झाड़ू खरीदना जरूरी माना जाता है.

Patna
खजूर की झाड़ू

पटना: दीपावली के समय पारंपरिक सामान का इस्तेमाल करने का खासा महत्व होता है. पूजा पाठ के लिए लोग पारंपरिक और हस्त निर्मित सामानों का ही ज्यादा प्रयोग करते हैं. दीपावली से 2 दिन पूर्व धनतेरस होता है. धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना काफी शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि घर में नई झाड़ू लाने से लक्ष्मी का आगमन होता है. धनतेरस के दिन खजूर की झाड़ू खरीदने का अलग महत्व है. लोग इस दिन खजूर की झाड़ू जरूर खरीदते हैं.

दीपावली को लेकर बिहार के दूरदराज के ग्रामीण इलाकों से कारीगर हस्त निर्मित सामानों को लेकर पटना पहुंच रहे हैं. वह ये सामान पटना की बाजारों में बेच रहे हैं. पटना जंक्शन पर ऐसी ही एक महिला कारीगर छुटकी मुर्मू पहुंची हुई हैं. छुटकी मुर्मू जमुई के सुईया इलाके से अपने हाथों से बनी खजूर की झाड़ू लेकर पटना के बाजारों में बेचने आई हैं. छुटकी मुर्मू जैसे कई कारीगर इन दिनों अपने हस्त निर्मित सामानों को लेकर रोजाना पटना जंक्शन पहुंच रहे हैं. ये सभी कारीगर राजधानी के बाजारों में अपने सामानों को बेच रहे हैं.

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खजूर के पत्ते से बनती है झाड़ू
छुटकी मुर्मू ने बताया कि वह दीपावली के वक्त हर साल अपने हाथों से बनाई गई, खजूर की झाड़ू को बेचने के लिए पटना पहुंचती हैं. ताकि दिवाली पर उनके घर के लिए दिए और बाती का खर्च निकल सके. उन्होंने बताया कि एक झाड़ू को बनाने में काफी समय लगता है और दिन भर कड़ी मेहनत के बाद 20 से 25 की संख्या में झाड़ू बन पाती है. उन्होंने बताया कि खजूर की झाड़ू बनाने के लिए पहले खजूर के पत्ते इकट्ठे करने पड़ते हैं. फिर उन्हें हाथों से झाड़ू का रूप दिया जाता है. छुटकी मुर्मू ने बताया कि वह एक झाड़ू को 8₹ से ₹10 के थोक भाव में दुकानदारों को बेचती हैं. उनका कहना है कि इन झाड़ूओं को काफी कम दामों में बेचना पड़ता है. जबकि दुकानदार इसे 25₹ से ₹30 में बाजारों में बेचते हैं.

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छुटकी मुर्मू, कारीगर

झाड़ू खरीदने का महत्व
धनतेरस पर सोना, चांदी, बर्तन के साथ ही झाड़ू खरीदना भी सबसे जरूरी माना जाता है. इस दिन कोई दूसरी चीज अगर न भी खरीदी जाए तो झाड़ू तो जरूर खरीदनी चाहिए. झाड़ू को लक्ष्मी स्वरूप माना जाता है. कहा जाता है कि धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदकर अगर उससे घर की सफाई की जाए तो घर में मां लक्ष्मी का आगमन अवश्य होता है. इसीलिए धनतेरस पर झाड़ू खरीदना जरूरी माना जाता है.

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खजूर की झाड़ू
Intro:दीपावली के समय पारंपरिक सामानों का इस्तेमाल का खासा महत्व होता है पूजा पाठ के लिए लोग पारंपरिक और हस्त निर्मित सामानों का ही ज्यादा प्रयोग करते हैं दीपावली से 2 दिन पूर्व धनतेरस आता है और धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदना काफी शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि नए झाड़ू लाने से लक्ष्मी का आगमन होता है. धनतेरस के दिन खजूर की झाड़ू खरीदने का अलग महत्व है. लोग इस दिन खजूर की झाड़ू जरूर खरीदते हैं.


Body:3 दिन बाद धनतेरस है और 5 दिन बाद दीपावली जिसको लेकर बिहार के दूरदराज ग्रामीण इलाकों से कारीगर अपने हस्त निर्मित सामानों को लेकर पटना पहुंच रहे हैं और उसे पटना के बाजारों में बेच रहे हैं. पटना जंक्शन पर ऐसी ही एक महिला कारीगर छोटकी मुर्मू पहुंची हुई थी. छोटकी मुर्मू जमुई के सुईया इलाके से अपने हाथों से बने खजूर की 150-200 झाड़ू लेकर पटना के बाजारों में बेचने आई थी. छोटकी मुर्मू जैसे कई कारीगर इन दिनों अपने हस्त निर्मित सामानों को माथे पर लेकर रोजाना पटना जंक्शन पहुंच रहे हैं और दीपावली के लिए सजे पटना के बाजारों में अपने सामानों को बेच रहे हैं.


Conclusion:छुटकी मुर्मू ने बताया कि वह दीपावली के वक्ता हर साल अपने हाथों से गांव में बनाए खजूर की झाड़ू को लेकर पटना पहुंचती है और उन्हें पटना के बाजारों में भेजती हैं ताकि दिवाली पर उनके घर में दिए और बाती का खर्च निकल सके. उन्होंने बताया कि एक झाड़ू को बनाने मैं काफी समय लगता है और दिन भर कड़ी मेहनत के बाद 20 से 25 की संख्या में झाड़ू बन पाते हैं. उन्होंने बताया कि खजूर की झाड़ू बनाने के लिए पहले खजूर के पत्ते इकट्ठे करने पड़ते हैं फिर उन्हें हाथों से झाड़ू के रूप में निर्माण किया जाता है. छुटकी मुर्मू ने बताया कि पटना में हुआ एक झाड़ू को 8 से ₹10 में थोक भाव से दुकानदारों को बेचती है. उनका कहना है कि एक झाड़ू को काफी कम दामों में बेचना पड़ता है जबकि दुकानदार इसे 25 से ₹30 में बाजारों में बेचते हैं.

आपको बता दें कि आमतौर पर खजूर का झाड़ू काफी शुभ माना जाता है और दीपावली के दिन इसे झाड़ू से घर को बहारने की प्रथा है. ऐसा माना जाता है कि इससे घर के सभी बुरे प्रकोप बाहर चले जाते हैं और लक्ष्मी का आगमन होता है.
Last Updated : Oct 25, 2019, 2:26 PM IST
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