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बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, काम पर लौटे

बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म हो गया है. सभी 9 मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर काम पर वापस लौट गए है. पढ़ें पूरी खबर...

Junior doctors' strike ends in Bihar
Junior doctors' strike ends in Bihar
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Published : Oct 29, 2021, 11:33 AM IST

पटना: बिहार में जूनियर डॉक्टर्स ( Junior Doctors ) की हड़ताल का खत्म हो गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता के बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया. बता दें कि बुधवार को जूनियर डॉक्टर्स ने कार्य बहिष्कार किया था और गुरुवार को उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल ( Indefinite Strike ) पर जाने का ऐलान कर दिया था.

गौरतलब है कि गुरुवार को सुबह से ही जूनियर डॉक्टर सबसे पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर को बंद कराया उसके बाद ओपीडी भी बंद करवा दिया था. रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी बंद होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई थी. जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे.

ये भी पढ़ें- PMCH में दम तोड़ रही आयुष्मान भारत योजना, मरीज दर-दर भटकने को मजबूर

धरने पर बैठे डॉक्टरों ने पीएमसीएच प्रशासन और सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके वेतन को बढ़ाने की तत्काल घोषणा नहीं हुई तो वे लोग वार्डों में इलाज ठप करा देंगे. धरने पर बैठे डॉक्टर्स ने कहा कि उन्हें अभी 15 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय के रूप में मिलता है. सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों से मानदेय की समीक्षा नहीं की गई है.

जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि साल 2013 से इंटर्न को महज 15 हजार स्टाइपेंड मिलता आ रहा है, जबकि कई बार मांग पत्र देने और आंदोलन के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्टाइपेंड बढ़ोतरी को लेकर आश्वासन भी दिया गया था.

ये भी पढ़ें- अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए PMCH के MBBS INTERN

हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने बताया था कि आईजीआईएमएस और देश के कई अन्य मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इंटर्न को 30 से 35 हजार रुपये से ज्यादा प्रतिमाह मानदेय मिलता है लेकिन हम लोगों को मात्र 15 हजार ही मिलता है. इधर, जूनियर डॉक्टरों की मांग को जायज बताते हुए आईएमए ( IMA ) ने भी इसका समर्थन किया था और सरकार से इंटर्न के स्टाइपेंड को 15000 से बढ़ाकर 50 हजार करने की मांग की थी.

पटना: बिहार में जूनियर डॉक्टर्स ( Junior Doctors ) की हड़ताल का खत्म हो गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से वार्ता के बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान कर दिया. बता दें कि बुधवार को जूनियर डॉक्टर्स ने कार्य बहिष्कार किया था और गुरुवार को उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल ( Indefinite Strike ) पर जाने का ऐलान कर दिया था.

गौरतलब है कि गुरुवार को सुबह से ही जूनियर डॉक्टर सबसे पहले रजिस्ट्रेशन काउंटर को बंद कराया उसके बाद ओपीडी भी बंद करवा दिया था. रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी बंद होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई थी. जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती तब तक वे काम पर वापस नहीं लौटेंगे.

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धरने पर बैठे डॉक्टरों ने पीएमसीएच प्रशासन और सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनके वेतन को बढ़ाने की तत्काल घोषणा नहीं हुई तो वे लोग वार्डों में इलाज ठप करा देंगे. धरने पर बैठे डॉक्टर्स ने कहा कि उन्हें अभी 15 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय के रूप में मिलता है. सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों से मानदेय की समीक्षा नहीं की गई है.

जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि साल 2013 से इंटर्न को महज 15 हजार स्टाइपेंड मिलता आ रहा है, जबकि कई बार मांग पत्र देने और आंदोलन के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्टाइपेंड बढ़ोतरी को लेकर आश्वासन भी दिया गया था.

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हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने बताया था कि आईजीआईएमएस और देश के कई अन्य मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इंटर्न को 30 से 35 हजार रुपये से ज्यादा प्रतिमाह मानदेय मिलता है लेकिन हम लोगों को मात्र 15 हजार ही मिलता है. इधर, जूनियर डॉक्टरों की मांग को जायज बताते हुए आईएमए ( IMA ) ने भी इसका समर्थन किया था और सरकार से इंटर्न के स्टाइपेंड को 15000 से बढ़ाकर 50 हजार करने की मांग की थी.

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