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बिहार में बाढ़ : कोसी-बागमती अभी भी खतरे के निशान से ऊपर, डूब रहे गांव

बिहार में बाढ़ ने बुरी तरह से कोहराम मचाया हुआ है. बाढ़ से यहां सबसे ज्यादा जाने गई है. बिहार के 13 जिलों में आयी बाढ़ से अब तक 130 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 88.46 लाख आबादी प्रभावित हुई है.

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Published : Aug 1, 2019, 4:20 PM IST

Updated : Aug 2, 2019, 12:57 PM IST

पटना: बिहार में बाढ़ के चलते मुश्किलों का दौर अभी भी थमा नहीं है. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और दरभंगा के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बरकरार है. बिहार का शोक कोसी नदी और बागमती नदी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. आइये आपको बताते हैं कि बिहार के वो कौन से जिले हैं जो सबसे ज्यादा प्रभावित है.

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बाढ़ से तबाह बिहार

दरभंगा : तीन प्रखंड में सबसे ज्यादा बाढ़ का खतरा
दरभंगा में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. लोग बाढ़ के पानी से भयभीत होकर अपने स्तर से सुरक्षा के उपायों में जुटे हुए हैं. शहर से सटे बहादुरपुर प्रखंड, हनुमान नगर प्रखंड तथा हायाघाट के कई पंचायतों में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. इन प्रखंडों के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर चुका है. लोग खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

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बाढ़ पीड़ित

दर्द: 'हमारे घर का सामान बाढ़ के पानी में बह गया

'दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड में बाढ़ के कहर से लोग अभी भी परेशान हैं. बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी दाने-दाने को तरस गए हैं. बाढ़ पीड़ित सरयू कहते है कि हर साल हम लोग बाढ़ से मरते है. 10 दिनों से जिंदगी पानी-पानी हो गई है. सामान पानी में डूब, घर पानी में डूब गया, रेल लाइन पर रहने को मजबूर हैं, एक शाम खाना मिलता है तो एक शाम भूखे रहते हैं. प्रशासन से कोई राहत नहीं मिला है.

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डॉ. त्यागराजन, जिलाधिकारी

वहीं, जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने बताया कि बाढ़ से अब तक जिले के 17 प्रखंड में 173 पंचायत पूर्ण रूप से और 35 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित प्रखंडों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन परोसा जा रहा है.

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बाढ़ पीड़िता

पश्चिम चंपारण में बाढ़ का कहार

पश्चिम चंपारण में गंडक, हरहा, हड़बोरा, पंडई, सिकरहना समेत सभी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. नरकटियागंज, बैरिया, सिकटा, मैनाटांड़, योगापट्टी और बगहा समेत कई प्रखंडों के निचले और दियारावर्ती क्षेत्रों में पानी फैल गया है. जिले के भितिहरवा का गौनाहा क्षेत्र पंडई नदी के कटाव से विलुप्त होने की कगार पर है. पंडई नदी का रौद्र रूप बढ़ता ही जा रहा है. बेलवा पंचायत का मुरली भैरहवा, पिपरा, माधोपुर जैसे गांव इसकी चपेट में है. सरकार की तरफ से राहत कार्य के नाम पर तटों पर सैंड बैग रखवाया गया है. जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है.

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गांवों में घुसा बाढ़ का पानी

पूर्वी चंपारण में बाढ़ कहर

पूर्वी चंपारण में भी नदियां उफान पर हैं. आठ जुलाई से शुरु हुई बारिश और नेपाल से आयी बाढ़ ने पूर्वी चंपारण के कई इलाकों में जमकर तबाही मचाई है. ढाका प्रखंड स्थित भारत नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र गुरहनवा गांव के घरों में पानी घुस गया है. बाढ़ में गांव का का जिक्र करते हुए पीड़ित सुनीता देवी का गला रूंध जाता है. ईटीवी भारत को अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहती हैं, दो दिन खिचड़ी सरकार की तरफ से मिला. अब तो वो भी बंद है. सब कुछ खत्म हो गया है. 600 का प्लास्टिक खरीद कर सिर ढक रखे हैं. बाढ़ खत्म होगा उसके बाद क्या होगा?

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बांध की मरम्मती

सीतामढ़ी और शिवहर भी बाढ़ से बेहाल

बागमती नदी में पानी का स्तर बढ़ जाने से उत्तर बिहार के सीतामढ़ी और शिवहर के 200 गांव बाढ़ से जूझ रहे हैं. हज़ारों लोग सरकार द्वारा लगाए कैंपों में रह रहे हैं और कैंपों से मिला खाना खा रहे हैं.

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रंजीत कुमार सिंह, जिलाधिकारी

जिला जिलाधिकारी रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि 3 लाख लोगों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है. बाढ़ पीड़ितों के लिए 100 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं. वहीं 5 सामुदायिक किचन भी बनाया गया है जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं की ओर से खाना बनाया जा रहा है.

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बाढ़ में मजबूर लोग

बिहार के 13 जिले बाढ़ से प्रभावित

बता दें कि आपदा प्रबंधन विभाग से मंगलवार को प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार के 13 जिले-शिवहर, सीतामढी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया एवं कटिहार में अबतक 130 लोगों की मौत हुई है जबकि 88.46 लाख आबादी प्रभावित हो चुकी है.

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जलाश्य में तब्दील हुआ पूरा गांव

बाढ़ से 130 लोगों की मौत

बिहार में बाढ़ से मरने वाले 130 लोगों में सीतामढी के 37, मधुबनी के 30, दरभंगा के 14, अररिया के 12, शिवहर के 10, पूर्णिया के 9, किशनगंज के 7, मुजफ्फरपुर एवं सुपौल के 4-, पूर्वी चंपारण के 2 और सहरसा के एक व्यक्ति शामिल हैं. कटिहार और पश्चिमी चंपारण में बाढ़ के कारण किसी की मौत की सूचना नहीं है.

बिहार में आफत बनी बाढ़

बाढ़ पीड़ितो के लिए 442 सामुदायिक रसोई

बिहार के बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. भोजन की व्यवस्था के लिए 442 सामुदायिक रसोई चलाए जा रहे हैं. बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत एवं बचाव कार्य के लिये एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कुल 27 टीम, 876 मानव बल को लगाया गया है तथा 133 मोटरबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है.केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार की कई नदियां बूढी गंडक, बागमती, अधवारा समूह, कमला बलान और खिरोही नदी विभिन्न स्थानों पर आज सुबह खतरे के निशान से उपर बह रही थीं. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार बिहार की सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में बुधवार की सुबह तक हल्की से साधारण बारिश की संभावना जतायी गयी है.

पटना: बिहार में बाढ़ के चलते मुश्किलों का दौर अभी भी थमा नहीं है. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और दरभंगा के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बरकरार है. बिहार का शोक कोसी नदी और बागमती नदी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. आइये आपको बताते हैं कि बिहार के वो कौन से जिले हैं जो सबसे ज्यादा प्रभावित है.

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बाढ़ से तबाह बिहार

दरभंगा : तीन प्रखंड में सबसे ज्यादा बाढ़ का खतरा
दरभंगा में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. लोग बाढ़ के पानी से भयभीत होकर अपने स्तर से सुरक्षा के उपायों में जुटे हुए हैं. शहर से सटे बहादुरपुर प्रखंड, हनुमान नगर प्रखंड तथा हायाघाट के कई पंचायतों में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. इन प्रखंडों के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर चुका है. लोग खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

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बाढ़ पीड़ित

दर्द: 'हमारे घर का सामान बाढ़ के पानी में बह गया

'दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड में बाढ़ के कहर से लोग अभी भी परेशान हैं. बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी दाने-दाने को तरस गए हैं. बाढ़ पीड़ित सरयू कहते है कि हर साल हम लोग बाढ़ से मरते है. 10 दिनों से जिंदगी पानी-पानी हो गई है. सामान पानी में डूब, घर पानी में डूब गया, रेल लाइन पर रहने को मजबूर हैं, एक शाम खाना मिलता है तो एक शाम भूखे रहते हैं. प्रशासन से कोई राहत नहीं मिला है.

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डॉ. त्यागराजन, जिलाधिकारी

वहीं, जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने बताया कि बाढ़ से अब तक जिले के 17 प्रखंड में 173 पंचायत पूर्ण रूप से और 35 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित प्रखंडों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन परोसा जा रहा है.

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बाढ़ पीड़िता

पश्चिम चंपारण में बाढ़ का कहार

पश्चिम चंपारण में गंडक, हरहा, हड़बोरा, पंडई, सिकरहना समेत सभी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. नरकटियागंज, बैरिया, सिकटा, मैनाटांड़, योगापट्टी और बगहा समेत कई प्रखंडों के निचले और दियारावर्ती क्षेत्रों में पानी फैल गया है. जिले के भितिहरवा का गौनाहा क्षेत्र पंडई नदी के कटाव से विलुप्त होने की कगार पर है. पंडई नदी का रौद्र रूप बढ़ता ही जा रहा है. बेलवा पंचायत का मुरली भैरहवा, पिपरा, माधोपुर जैसे गांव इसकी चपेट में है. सरकार की तरफ से राहत कार्य के नाम पर तटों पर सैंड बैग रखवाया गया है. जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है.

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गांवों में घुसा बाढ़ का पानी

पूर्वी चंपारण में बाढ़ कहर

पूर्वी चंपारण में भी नदियां उफान पर हैं. आठ जुलाई से शुरु हुई बारिश और नेपाल से आयी बाढ़ ने पूर्वी चंपारण के कई इलाकों में जमकर तबाही मचाई है. ढाका प्रखंड स्थित भारत नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र गुरहनवा गांव के घरों में पानी घुस गया है. बाढ़ में गांव का का जिक्र करते हुए पीड़ित सुनीता देवी का गला रूंध जाता है. ईटीवी भारत को अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहती हैं, दो दिन खिचड़ी सरकार की तरफ से मिला. अब तो वो भी बंद है. सब कुछ खत्म हो गया है. 600 का प्लास्टिक खरीद कर सिर ढक रखे हैं. बाढ़ खत्म होगा उसके बाद क्या होगा?

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बांध की मरम्मती

सीतामढ़ी और शिवहर भी बाढ़ से बेहाल

बागमती नदी में पानी का स्तर बढ़ जाने से उत्तर बिहार के सीतामढ़ी और शिवहर के 200 गांव बाढ़ से जूझ रहे हैं. हज़ारों लोग सरकार द्वारा लगाए कैंपों में रह रहे हैं और कैंपों से मिला खाना खा रहे हैं.

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रंजीत कुमार सिंह, जिलाधिकारी

जिला जिलाधिकारी रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि 3 लाख लोगों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है. बाढ़ पीड़ितों के लिए 100 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं. वहीं 5 सामुदायिक किचन भी बनाया गया है जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं की ओर से खाना बनाया जा रहा है.

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बाढ़ में मजबूर लोग

बिहार के 13 जिले बाढ़ से प्रभावित

बता दें कि आपदा प्रबंधन विभाग से मंगलवार को प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार के 13 जिले-शिवहर, सीतामढी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया एवं कटिहार में अबतक 130 लोगों की मौत हुई है जबकि 88.46 लाख आबादी प्रभावित हो चुकी है.

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जलाश्य में तब्दील हुआ पूरा गांव

बाढ़ से 130 लोगों की मौत

बिहार में बाढ़ से मरने वाले 130 लोगों में सीतामढी के 37, मधुबनी के 30, दरभंगा के 14, अररिया के 12, शिवहर के 10, पूर्णिया के 9, किशनगंज के 7, मुजफ्फरपुर एवं सुपौल के 4-, पूर्वी चंपारण के 2 और सहरसा के एक व्यक्ति शामिल हैं. कटिहार और पश्चिमी चंपारण में बाढ़ के कारण किसी की मौत की सूचना नहीं है.

बिहार में आफत बनी बाढ़

बाढ़ पीड़ितो के लिए 442 सामुदायिक रसोई

बिहार के बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. भोजन की व्यवस्था के लिए 442 सामुदायिक रसोई चलाए जा रहे हैं. बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत एवं बचाव कार्य के लिये एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कुल 27 टीम, 876 मानव बल को लगाया गया है तथा 133 मोटरबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है.केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार की कई नदियां बूढी गंडक, बागमती, अधवारा समूह, कमला बलान और खिरोही नदी विभिन्न स्थानों पर आज सुबह खतरे के निशान से उपर बह रही थीं. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार बिहार की सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में बुधवार की सुबह तक हल्की से साधारण बारिश की संभावना जतायी गयी है.

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बिहार में बाढ़ : कोसी-बागमती अभी भी खतरे के निशान से ऊपर, डूब रहे गांव





बिहार में बाढ़ ने बुरी तरह से कोहराम मचाया हुआ है. बाढ़ से यहां सबसे ज्यादा जाने गई है. बिहार के 13 जिलों में आयी बाढ़ से अब तक 130 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 88.46 लाख आबादी प्रभावित हुई है.





पटना: बिहार में बाढ़ के चलते मुश्किलों का दौर अभी भी थमा नहीं है. कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और दरभंगा के कई इलाकों में बाढ़ का खतरा बरकरार है. बिहार का शोक कोसी नदी और बागमदी नदी भी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है. आइये आपको बताते है कि बिहार के वो कौन से जिले है जो सबसे ज्यादा प्रभावित है.



दरभंगा : तीन प्रखंड में सबसे ज्यादा बाढ़ का खतरा

दरभंगा में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है. लोग बाढ़ के पानी से भयभीत होकर अपने स्तर से सुरक्षा के उपायों में जुटे हुए हैं. शहर से सटे बहादुरपुर प्रखंड, हनुमान नगर प्रखंड तथा हायाघाट के कई पंचायतो में बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. इन प्रखंडों के दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से चारों तरफ से घिर चुका है. लोग खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं.

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दर्द: 'हमारे घर का सामान बाढ़ के पानी में बह गया'

दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड में बाढ़ के कहर से लोग अभी भी परेशान हैं. बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी दाने-दाने को तरस गए हैं. बाढ़ पीड़ित सरयू कहते है कि हर साल हम लोग बाढ़ से मरते है. 10 दिनों से जिंदगी पानी-पानी हो गई है. सामान पानी में डूब, घर पानी में डूब गया, रेल लाइन पर रहने को मजबूर है, एक शाम खाना मिलता है तो एक शाम भूखे रहते है. प्रशासन से कोई राहत नहीं मिला है.

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वहीं जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने बताया कि बाढ़ से अब तक जिले के 17 प्रखंड में 173 पंचायत पूर्ण रूप से और 35 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ से प्रभावित प्रखंडों में राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चलाया जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को सामुदायिक रसोई के माध्यम से भोजन परोसा जा रहा है.

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पश्चिम चंपारण में बाढ़ का कहार

पश्चिम चंपारण में गंडक, हरहा, हड़बोरा, पंडई, सिकरहना समेत सभी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. रकटियागंज, बैरिया, सिकटा, मैनाटांड़, योगापट्टी व बगहा समेत कई प्रखंडों के निचले व दियारावर्ती क्षेत्रों में पानी फैल गया है.

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जिले के भितिहरवा का गौनाहा क्षेत्र पंडई नदी के कटाव से विलुप्त होने की कगार पर है. पंडई नदी का रौद्र रूप बढ़ता ही जा रहा है. बेलवा पंचायत का मुरली भैरहवा, पिपरा, माधोपुर जैसे गांव इसकी चपेट में है. सरकार की तरफ से राहत कार्य के नाम पर तटों पर सैंड बैग रखवाया गया है. जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है.

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पूर्वी चंपारण में बाढ़ कहर

पूर्वी चंपारण में भी नदियां उफान पर हैं. आठ जुलाई से शुरु हुई बारिश और नेपाल से आयी बाढ़ ने पूर्वी चंपारण के कई इलाकों में जमकर तबाही मचाई है. ढाका प्रखंड स्थित भारत नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र गुरहनवा गांव के घरों में पानी घुस गया है.

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बाढ़ में गांव का का जिक्र करते हुए पीड़ित सुनीता देवी का गला रूंध जाता है. ईटीवी भारत को अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहती हैं, दो दिन खिचड़ी सरकार की तरफ से मिला. अब तो वो भी बंद है. सब कुछ खत्म हो गया है. 600 का प्लास्टिक खरीद कर सिर ढक रखे हैं. बाढ़ खत्म होगा उसके बाद क्या होगा?

सीतामढ़ी और शिवहर भी बाढ़ से बेहाल

बागमती नदी में पानी का स्तर बढ़ जाने से उत्तर बिहार के सीतामढ़ी और शिवहर के 200 गांव बाढ़ से जूझ रहे हैं. हज़ारों लोग सरकार द्वारा लगाए कैंपों में रह रहे हैं और कैंपों से मिला खाना खा रहे हैं.

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जिला जिलाधिकारी रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि 3 लाख लोगों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है. बाढ़ पीड़ितों के लिए 100 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं. वहीं 5 सामुदायिक किचन भी बनाया गया है जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा खाना बनाया जा रहा है.

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बिहार के 13 जिले बाढ़ से प्रभावित

बता दें कि आपदा प्रबंधन विभाग से मंगलवार को प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार के 13 जिले-शिवहर, सीतामढी, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया एवं कटिहार में अबतक 130 लोगों की मौत हुई है जबकि 88.46 लाख आबादी प्रभावित हो चुकी है.

बाढ़ से 130 लोगों की मौत

बिहार में बाढ़ से मरने वाले 130 लोगों में सीतामढी के 37, मधुबनी के 30, दरभंगा के 14, अररिया के 12, शिवहर के 10, पूर्णिया के 9, किशनगंज के 7, मुजफ्फरपुर एवं सुपौल के 4-, पूर्वी चंपारण के 2 और सहरसा के एक व्यक्ति शामिल हैं. कटिहार और पश्चिमी चंपारण में बाढ़ के कारण किसी की मौत की सूचना नहीं है.

बाढ़ पीड़ितो के लिए 442 सामुदायिक रसोई

बिहार के बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. भोजन की व्यवस्था के लिए 442 सामुदायिक रसोई चलाए जा रहे हैं. बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत एवं बचाव कार्य के लिये एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कुल 27 टीम, 876 मानव बल को लगाया गया है तथा 133 मोटरबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है.

केंद्रीय जल आयोग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक बिहार की कई नदियां बूढी गंडक, बागमती, अधवारा समूह, कमला बलान और खिरोही नदी विभिन्न स्थानों पर आज सुबह खतरे के निशान से उपर बह रही थीं. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार बिहार की सभी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में बुधवार की सुबह तक हल्की से साधारण बारिश की संभावना जतायी गयी है.




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Last Updated : Aug 2, 2019, 12:57 PM IST
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