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'बिहार में पीएम आवास योजना के लक्ष्य को पूरा करने की बड़ी चुनौती, नई रणनीति के साथ नए लक्ष्य को करेंगे हासिल' - etv bharat

केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को 2021-22 में गरीब और आवास विहीन परिवारों के लिए पक्का मकान बनाने के लिए 11 लाख 49 हजार 947 आवास का नया लक्ष्य दिया है. लेकिन, अभी भी चार लाख से ज्यादा आवास बैकलॉग हैं. जिस पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार (Rural Development Minister Shravan Kumar) ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि 'नए लक्ष्य को हम नई रणनीति के साथ हर हाल में पूरा करेंगे.'

बिहार में पीएम आवास योजना
बिहार में पीएम आवास योजना
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Published : Dec 15, 2021, 7:34 PM IST

पटना: बिहार में पीएम आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana in Bihar) लक्ष्य को पूरा करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. 2016-17 से 2020-21 तक कुल 26,73,397 आवास का निर्माण होना था. लेकिन, जो ताजा जानकारी है उसमें चार लाख से ज्यादा आवास अभी भी बैकलॉग हैं. केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए 11 लाख 49 हजार आवास निर्माण का लक्ष्य बिहार को दिया है. जिस पर मंत्री श्रवण कुमार (Minister Shravan Kumar) का कहना है कि पुराना बैकलॉग पर 80% काम हो चुका है, 20% ही बचा हुआ है. वहीं, नए लक्ष्य को हम मिशन मोड में हर हाल में पूरा करेंगे.

ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री आवास योजना: बिहार को मिला सबसे अधिक आवंटन, बनेगा 11.5 लाख घर

मंत्री श्रवण कुमार (Minister Shravan Kumar on PM Awas Yojana) ने खास बातचीत में कहा कि पंचायत चुनाव समाप्त होने के साथ ही आचार संहिता भी खत्म हो जाएगी. जिसके बाद वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए साढ़े 11 लाख आवास के लक्ष्य पर काम अब शुरू हो जाएगा. पहले जो विलंब हुआ सो हुआ, लेकिन अब विलंब नहीं हो इसके लिए हम लोग नई रणनीति के तहत नए लक्ष्य पर काम करने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे सभी गरीबों को आवास मुहैया हो सके.

मंत्री श्रवण कुमार से खास बातचीत.

''80% प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास का निर्माण किया जा चुका है, केवल 20% के आसपास ही आवास बचे हैं. 2016-17 से 2020-21 तक कुल 26,73,397 आवास का निर्माण होना था, अगर इस हिसाब से देखें तो 20% आवास बड़ी संख्या है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और बाढ़ के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण पर असर पड़ा है, इसके साथ कोरोना का भी असर रहा है. लेकिन, अब जो बचे हुए आवास हैं, उनका भी निर्माण किया जाएगा और नए लक्ष्य को भी समय पर पूरा किया जाएगा.''- श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग

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ग्रामीण विकास मंत्री का कहना है कि जो बचे हुए आवास हैं, उसे पूरा करने के लिए पंचायत और प्रखंड स्तर पर लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है और जो लोग राशि ले लिए हैं और आवास नहीं बना रहे हैं, उन पर कार्रवाई भी की जा रही है. राशि वसूलने से पहले उजला और लाल नोटिस जारी किया जा रहा है इसकी संख्या कम ही है.

उन्होंने बताया कि 11,50,000 का जो नया लक्ष्य मिला है उसके लिए तैयारी शुरू है. लाभुकों के चयन से लेकर जियो टैगिंग का काम जल्द होगा और पहली किस्त की राशि भी उन्हें आवास निर्माण के लिए दी जाएगी. प्रधानमंत्री आवास योजना में केंद्र से पर्याप्त राशि मिली है, पैसे की कोई किल्लत नहीं है. मनरेगा में जरूर परेशानी हो रही है और जल्द ही हम केंद्रीय मंत्री से मनरेगा की राशि बिहार को मिले इसके लिए दिल्ली जाकर मुलाकात करेंगे.

ये भी पढ़ें- 'विशेष राज्य का दर्जा देकर बिहार के साथ करें न्याय', ललन सिंह की PM मोदी से गुजारिश

ग्रामीण विकास विभाग की नई रणनीति (New strategy of Rural Development Department) के बारे में उन्होंने बतायि कि पिछला बैकलॉग को खत्म करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने कई योजनाओं पर काम शुरू किया है. 38 जिलों को दो श्रेणी में बांटा गया है. ग्रामीण विकास विभाग की ओर से 20,000 से कम जहां आवास निर्माण होना है, उसे ए ग्रुप में डाला गया है. जिसमें पटना, पूर्णिया, खगड़िया, कटिहार, भागलपुर, सारण, जमुई, गया, वैशाली, मुंगेर, शिवहर, सहरसा, भोजपुर, लखीसराय, नवादा, गोपालगंज, रोहतास, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, सिवान, कैमूर, बक्सर, शेखपुरा, किशनगंज और नालंदा शामिल हैं.

वहीं 20,000 से अधिक आवास जहां बनाना है, उसे बी श्रेणी में चिन्हित किया गया है. जिसमें दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, अररिया, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, बांका, मधेपुरा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और सुपौल जिले शामिल हैं.

ये भी पढ़ें- विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर JDU और BJP में तकरार, लगातार किया जा रहा वार-पलटवार

ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि सरकार आवास निर्माण के लिए 3 चरणों में राशि मुहैया कराती है. 40- 40 हजार के तीन किस्त चयनित लाभुकों को दी जाती है. पहली किस्त के बाद लाभुकों को दूसरी किस्त की राशि तभी दी जाती है, जब वह अपने आवास के नींव का निर्माण कार्य पूरा कर लेते हैं. तीसरी किस्त की राशि खिड़की दरवाजे और छत का काम पूरा कर लेने के बाद लाभुकों के खाते में दी जाती है. इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग भी होती है, स्थल का भौतिक सत्यापन भी किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद कई तरह की गड़बड़ियां सामने आती रही हैं. इसके कारण भी लाभुक समय पर अपना आवास नहीं बना पा रहे हैं.

ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की माने तो 99% प्रतीक्षा सूची वाले लाभुकों का जॉब कार्ड से भी लिंक कर दिया गया है, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी है कि अभी पिछला बैकलॉग खत्म नहीं हुआ है और नए लक्ष्य पर भी काम शुरू नहीं हुआ है. 11,50,000 नए लाभुकों को आवास बनाना है, लेकिन पंचायत चुनाव के कारण उस पर काम शुरू नहीं हुआ है. अब मिशन मोड में काम करने की बात कही जा रही है. 2022 तक प्रधानमंत्री ने सभी को आवास मुहैया कराने की घोषणा कर रखी है, लेकिन बिहार में जिस रफ्तार से काम हो रहा है, लक्ष्य को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है.

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पटना: बिहार में पीएम आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana in Bihar) लक्ष्य को पूरा करना एक बड़ी चुनौती बन गया है. 2016-17 से 2020-21 तक कुल 26,73,397 आवास का निर्माण होना था. लेकिन, जो ताजा जानकारी है उसमें चार लाख से ज्यादा आवास अभी भी बैकलॉग हैं. केंद्र सरकार ने 2021-22 के लिए 11 लाख 49 हजार आवास निर्माण का लक्ष्य बिहार को दिया है. जिस पर मंत्री श्रवण कुमार (Minister Shravan Kumar) का कहना है कि पुराना बैकलॉग पर 80% काम हो चुका है, 20% ही बचा हुआ है. वहीं, नए लक्ष्य को हम मिशन मोड में हर हाल में पूरा करेंगे.

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मंत्री श्रवण कुमार (Minister Shravan Kumar on PM Awas Yojana) ने खास बातचीत में कहा कि पंचायत चुनाव समाप्त होने के साथ ही आचार संहिता भी खत्म हो जाएगी. जिसके बाद वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए साढ़े 11 लाख आवास के लक्ष्य पर काम अब शुरू हो जाएगा. पहले जो विलंब हुआ सो हुआ, लेकिन अब विलंब नहीं हो इसके लिए हम लोग नई रणनीति के तहत नए लक्ष्य पर काम करने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे सभी गरीबों को आवास मुहैया हो सके.

मंत्री श्रवण कुमार से खास बातचीत.

''80% प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास का निर्माण किया जा चुका है, केवल 20% के आसपास ही आवास बचे हैं. 2016-17 से 2020-21 तक कुल 26,73,397 आवास का निर्माण होना था, अगर इस हिसाब से देखें तो 20% आवास बड़ी संख्या है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और बाढ़ के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्माण पर असर पड़ा है, इसके साथ कोरोना का भी असर रहा है. लेकिन, अब जो बचे हुए आवास हैं, उनका भी निर्माण किया जाएगा और नए लक्ष्य को भी समय पर पूरा किया जाएगा.''- श्रवण कुमार, मंत्री, ग्रामीण विकास विभाग

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ग्रामीण विकास मंत्री का कहना है कि जो बचे हुए आवास हैं, उसे पूरा करने के लिए पंचायत और प्रखंड स्तर पर लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है और जो लोग राशि ले लिए हैं और आवास नहीं बना रहे हैं, उन पर कार्रवाई भी की जा रही है. राशि वसूलने से पहले उजला और लाल नोटिस जारी किया जा रहा है इसकी संख्या कम ही है.

उन्होंने बताया कि 11,50,000 का जो नया लक्ष्य मिला है उसके लिए तैयारी शुरू है. लाभुकों के चयन से लेकर जियो टैगिंग का काम जल्द होगा और पहली किस्त की राशि भी उन्हें आवास निर्माण के लिए दी जाएगी. प्रधानमंत्री आवास योजना में केंद्र से पर्याप्त राशि मिली है, पैसे की कोई किल्लत नहीं है. मनरेगा में जरूर परेशानी हो रही है और जल्द ही हम केंद्रीय मंत्री से मनरेगा की राशि बिहार को मिले इसके लिए दिल्ली जाकर मुलाकात करेंगे.

ये भी पढ़ें- 'विशेष राज्य का दर्जा देकर बिहार के साथ करें न्याय', ललन सिंह की PM मोदी से गुजारिश

ग्रामीण विकास विभाग की नई रणनीति (New strategy of Rural Development Department) के बारे में उन्होंने बतायि कि पिछला बैकलॉग को खत्म करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने कई योजनाओं पर काम शुरू किया है. 38 जिलों को दो श्रेणी में बांटा गया है. ग्रामीण विकास विभाग की ओर से 20,000 से कम जहां आवास निर्माण होना है, उसे ए ग्रुप में डाला गया है. जिसमें पटना, पूर्णिया, खगड़िया, कटिहार, भागलपुर, सारण, जमुई, गया, वैशाली, मुंगेर, शिवहर, सहरसा, भोजपुर, लखीसराय, नवादा, गोपालगंज, रोहतास, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, सिवान, कैमूर, बक्सर, शेखपुरा, किशनगंज और नालंदा शामिल हैं.

वहीं 20,000 से अधिक आवास जहां बनाना है, उसे बी श्रेणी में चिन्हित किया गया है. जिसमें दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, अररिया, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, बांका, मधेपुरा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और सुपौल जिले शामिल हैं.

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ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि सरकार आवास निर्माण के लिए 3 चरणों में राशि मुहैया कराती है. 40- 40 हजार के तीन किस्त चयनित लाभुकों को दी जाती है. पहली किस्त के बाद लाभुकों को दूसरी किस्त की राशि तभी दी जाती है, जब वह अपने आवास के नींव का निर्माण कार्य पूरा कर लेते हैं. तीसरी किस्त की राशि खिड़की दरवाजे और छत का काम पूरा कर लेने के बाद लाभुकों के खाते में दी जाती है. इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग भी होती है, स्थल का भौतिक सत्यापन भी किया जाता है, लेकिन इसके बावजूद कई तरह की गड़बड़ियां सामने आती रही हैं. इसके कारण भी लाभुक समय पर अपना आवास नहीं बना पा रहे हैं.

ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की माने तो 99% प्रतीक्षा सूची वाले लाभुकों का जॉब कार्ड से भी लिंक कर दिया गया है, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी है कि अभी पिछला बैकलॉग खत्म नहीं हुआ है और नए लक्ष्य पर भी काम शुरू नहीं हुआ है. 11,50,000 नए लाभुकों को आवास बनाना है, लेकिन पंचायत चुनाव के कारण उस पर काम शुरू नहीं हुआ है. अब मिशन मोड में काम करने की बात कही जा रही है. 2022 तक प्रधानमंत्री ने सभी को आवास मुहैया कराने की घोषणा कर रखी है, लेकिन बिहार में जिस रफ्तार से काम हो रहा है, लक्ष्य को पूरा करना एक बड़ी चुनौती है.

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