पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पर्यावरण में हो रहे बदलाव पर गंभीर रुख अपनाते हुए जल जीवन हरियाली अभियान की शुरुआत की थी. इसका मुख्य था उद्देश्य बिहार में हरित आवरण को बढ़ाना रखा. मुख्यमंत्री के इस अभियान को शुुरू करने के बाद लोगों के बीच हरियाली को लेकर रुझान बढ़ा और इसी के साथ सड़क किनारे फूल पौधों की नर्सरी लगाने वालों की संख्या भी. लेकिन, वर्तमान में कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए देश में जारी 21 दिनों का लॉक डाउन है. ऐसे में नर्सरी वालों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है. इनके लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाना भी मुश्किल हो रहा है.
बचत के पैसों से नर्सरी चला रहे हैं शैलेश यादव
पटना के बेली रोड स्थित गोला रोड के पास फूलों की नर्सरी चलाने वाले शैलेश यादव ने बताया कि फूलों की बिक्री पूरी तरह से ठप पड़ी है. वो खुद फूल पौधों में पानी डालने के लिए दिन भर यहां रहते हैं. उन्होंने बताया कि बचत के पैसों से इस वक्त काम चला रहे हैं, उसी के सहारे ये दुकान खुलती है तो राशन की सामग्री जुटाते हैं. लेकिन, बीतते वक्त के साथ बचत के पैसे भी खत्म हो रहे हैं. इन हालातों में किसी तरह खाना-पीना चल पा रहा है. शैलेश ने बताया कि लॉक डाउन के बाद शुरुआती दिनों में तो कुछ सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने खाने का पैकेट पहुंचाया, बिस्किट पानी भी दिया. लेकिन, जैसे-जैसे लॉक डाउन का समय बढ़ता गया फूड पैकेट भी मिलना बंद हो गए हैं.
फूल पौधों में पानी डालकर उन्हें हरा भरा रख रहे हैं परदेसी कुमार
इसी तरह कालीकेट नगर के पास फूलों की नर्सरी चलाने वाले परदेसी नर्सरी के परदेसी कुमार ने बताया कि लू का मौसम चल रहा है. ऐसे में अगर फूल पौधों को पानी ना मिले तो वे सूख जाएंगे. जल जीवन हरियाली का अभियान भी इससे कमजोर पड़ जाएगा. उन्होंने बताया कि इस समय वो नर्सरी के पास अकेले रहकर दिन भर फूल पौधों में पानी डालकर उन्हें हरा भरा रख रहे हैं. दुकानदारी पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है और ग्राहक आ भी रहे हैं तो वह लॉक डाउन होने के कारण बेच नहीं रहे हैं. परदेसी ने बताया कि उनके पास शो प्लांट में एरिका पाम, स्पाइडर, गुडेलियस, आदि कई पौधे सैकड़ों की संख्या में हैं, जिनका वो विेशेष ख्याल रख रहे हैं. परदेसी ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान सभी दिशानिर्देशों का पालन भी कर रहे हैं. कुछ लोग सुबह शाम कभी खाने का पैकेट पहुंचा जाते हैं तो खाना पीना खा लेते हैं.