पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) को 5 साल पूरे हो गए हैं. अभी हाल ही में, 26 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में जारी शराबबंदी को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक बार फिर से आम लोगों और अधिकारियों को शपथ दिलाई. हालांकि, शराबबंदी के बाद भी लोग नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं.
ये भी पढ़ें: Ljp Foundation Day : स्थापना दिवस समारोह को लेकर तैयारी पूरी, गठबंधन के बंधन पर चिराग लगाएंगे मुहर?
इसी कड़ी में दिशा रिहैबिलिटेशन सेंटर की प्रोपराइटर राखी कहती है कि वर्ष 2017 से 2020 तक शराब और अन्य मादक पदार्थों के सेवन करने वाले लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. राखी बताती हैं कि उनके रिहैबिलिटेशन सेंटर में वर्ष 2017 से 18 के बीच शराब के नशे की गिरफ्त में आए एक भी लोग नहीं पहुंचे. 2018 की बात करें तो दिशा रिहैबिलिटेशन सेंटर में कुल 11 लोगों का अल्कोहल छुड़ाने का इलाज किया गया.
वर्ष 2018 से 19 के बीच 138 लोगों का उपचारि किया गया. वर्ष 2019 से 20 की बात करें तो यह संख्या बढ़कर 151 पहुंच गई. राखी ने बताया कि शराबबंदी के बाद लोग धीरे-धीरे सूखे नशे की ओर भाग रहे हैं. ऐसे में इस रिहैबिलिटेशन सेंटर में सूखे नशे की गिरफ्त में आए लोगों का भी नशा छुड़वाने का काम उपचार किया जा रहा है.
वहीं, इस रिहैबिलिटेशन सेंटर में नशे की गिरफ्त में आए युवा और बच्चों का समुचित इलाज चल रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान इन बच्चों ने बताया कि पहले वह गांजा, शराब और अन्य कई तरह के मादक पदार्थों का सेवन किया करते थे. इसकी वजह से उनकी दशा और दिशा बिगड़ने लगी थी. इस रिहैबिलिटेशन सेंटर में आने के बाद उनकी जिंदगी पटरी पर आ रही है. यह बच्चे बताते हैं कि अब वह भविष्य में किसी प्रकार का कोई नशा नहीं करेंगे और लोगों से भी नशा से दूर रहने की गुजारिश करेंगे.
ये भी पढ़ें: नीति आयोग की रिपोर्ट पर विपक्ष ने सरकार को दिखाया आइना, अर्थशास्त्रियों का सुझाव- नीति में बदलाव की जरूरत
नोट: ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप