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बिहार में पुलिसकर्मियों पर लंबित विभागीय कार्रवाई: ADG बोले- 'मार्च में अब तक निपटाए 800 मामले'

बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) के निर्देश पर पुलिसकर्मियों पर लंबित विभागीय कार्रवाई का निपटारा जोर शोर से किया जा रहा है. इस महीने में अब तक 800 मामलों का निष्पादन हुआ है. इनमें से बहुत सारे पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप हैं. पढ़ें पूरी खबर..

एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार
एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार
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Published : Mar 28, 2022, 4:59 PM IST

पटना: बिहार में पुलिस महकमे में सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक लगभग 4000 पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई लंबित है. हालांकि, बिहार पुलिस में हजारों की संख्या में लंबित पड़े विभागीय मामलों का निष्पादन जोर शोर से किया जा रहा है. बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (Bihar Police Headquarters ADG Jitendra Singh Gangwar) के मुताबिक एक महीने के अंदर लगभग 800 मामलों का निष्पादन किया गया है.

ये भी पढ़ें- बिहार पुलिस मुख्यालय में अंतर प्रभागीय समन्वय समिति की बैठक, अधिकारियों को दिए गए निर्देश

पुलिसकर्मियों पर लंबित मामलों का निष्पादन: कहीं ना कहीं विधानसभा में लगातार पुलिसकर्मियों पर उठ रहे सवाल को लेकर पुलिस मुख्यालय गंभीर नजर आ रही हैं. जिस वजह से पुलिसकर्मियों पर लंबित पड़े मामलों का निष्पादन (Departmental action on police officers) किया जा रहा है. एडीजी पुलिस मुख्यालय की मानें तो मार्च महीने के अंत तक कई और मामले का निष्पादन होगा. इसके बाद और जोर शोर से मामलों का निष्पादन किया जाएगा. इसका मतलब है कि पुलिसकर्मियों पर लगे आरोप को तय सीमा के अंदर मामलों का निष्पादन करना है.

''विभाग द्वारा पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई चलाई जाती है, उसके निष्पादन की दिशा में कई निर्देश दिए हैं. इसके लिए सामूहिक रूप से संचालन करते हुए कई पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाईयों का अंतिम परिणाम आ चुका है. इस महीने लगभग 800 मामलों का निष्पादन हो चुका है. अभी भी कुछ विभागीय कार्रवाई जिलों में निलंबित है, जिसके संचालन का निर्देश दिया गया है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

बेहतर पुलिसिंग को मिलेगा बढ़ावा: दरअसल, पुलिस विभाग में विभागीय कार्रवाई के बाद दोषी पाए जाने पर कई तरह की सजा दी जाती है. इसमें ब्लैक मार्क, सेंसर, वेतन में कटौती शामिल होते हैं. कहीं ना कहीं नैतिक उद्यमिता का मामला होने पर बर्खास्तगी की भी सजा दी जाती है. इसके साथ-साथ आपराधिक मामलों में शामिल होने के साथ भ्रष्टाचार से जुड़े मामले आते हैं. लंबे विभागीय कार्रवाई की समीक्षा बर्खास्तगी वाले मामले में त्वरित कार्रवाई करने का मकसद साफ-सुथरी पुलिसिंग है. बिहार पुलिस मुख्यालय का मानना है कि जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं और वह प्रमाणित होते हैं तो उन्हें अविलंब सजा मिलनी चाहिए. ऐसा होने से पुलिसकर्मियों के बीच संदेश जाएगा. इससे बेहतर पुलिसिंग को बढ़ावा मिलेगा.

पटना-गया में सबसे ज्यादा लंबित केस: पुलिस मुख्यालय से मिल रही जानकारी के अनुसार सबसे लंबित मामलों की संख्या पटना और गया जिले में है. इन दोनों जिलों में करीब 1000 मामले लंबित हैं, जबकि बचे 36 जिलों में करीब 3000 मामले लंबित पड़े हुए हैं. जोर शोर से पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद मामलों का निपटारा किया जा रहा है. हालांकि, इनमें से एक तिहाई मामले ऐसे भी हैं जो 3 से 4 सालों से या उससे ज्यादा समय से चल रहे हैं, जिस वजह से पुलिसकर्मियों की भी कमी महसूस हो रही है. इतनी बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की विभागीय कार्रवाई लंबित होने के कारण प्रमोशन भी नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि जिन चार हजार पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई चल रही है उनमें से ज्यादातर पुलिसकर्मियों पर ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप (Policemen accused of negligence while on duty) है, जिसके मद्देनजर पुलिस महकमे में सभी जिलों के एसपी को आदेश जारी किया गया है कि मार्च के अंत तक अधिक से अधिक विभागीय कार्रवाई का निपटारा कर प्रोसिडिंग समाप्त की जाए.

दरअसल, जिस तरह से स्पीडी ट्रायल चलाकर मामलों का निपटारा किया जाता है. ठीक उसी प्रकार दोषी पुलिसकर्मियों पर भी स्पीडी ट्रायल चलाकर कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा भी किया जाएगा, जो निर्दोष हैं उन्हें तुरंत आरोप मुक्त भी किया जाएगा. हालांकि, कुछ मामले ऐसे भी हैं जो एसपी के स्तर से लापरवाही के समय पर इनकी सुनवाई नहीं करने की वजह से लंबित पड़े हुए हैं.

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पटना: बिहार में पुलिस महकमे में सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक लगभग 4000 पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई लंबित है. हालांकि, बिहार पुलिस में हजारों की संख्या में लंबित पड़े विभागीय मामलों का निष्पादन जोर शोर से किया जा रहा है. बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (Bihar Police Headquarters ADG Jitendra Singh Gangwar) के मुताबिक एक महीने के अंदर लगभग 800 मामलों का निष्पादन किया गया है.

ये भी पढ़ें- बिहार पुलिस मुख्यालय में अंतर प्रभागीय समन्वय समिति की बैठक, अधिकारियों को दिए गए निर्देश

पुलिसकर्मियों पर लंबित मामलों का निष्पादन: कहीं ना कहीं विधानसभा में लगातार पुलिसकर्मियों पर उठ रहे सवाल को लेकर पुलिस मुख्यालय गंभीर नजर आ रही हैं. जिस वजह से पुलिसकर्मियों पर लंबित पड़े मामलों का निष्पादन (Departmental action on police officers) किया जा रहा है. एडीजी पुलिस मुख्यालय की मानें तो मार्च महीने के अंत तक कई और मामले का निष्पादन होगा. इसके बाद और जोर शोर से मामलों का निष्पादन किया जाएगा. इसका मतलब है कि पुलिसकर्मियों पर लगे आरोप को तय सीमा के अंदर मामलों का निष्पादन करना है.

''विभाग द्वारा पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई चलाई जाती है, उसके निष्पादन की दिशा में कई निर्देश दिए हैं. इसके लिए सामूहिक रूप से संचालन करते हुए कई पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाईयों का अंतिम परिणाम आ चुका है. इस महीने लगभग 800 मामलों का निष्पादन हो चुका है. अभी भी कुछ विभागीय कार्रवाई जिलों में निलंबित है, जिसके संचालन का निर्देश दिया गया है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

बेहतर पुलिसिंग को मिलेगा बढ़ावा: दरअसल, पुलिस विभाग में विभागीय कार्रवाई के बाद दोषी पाए जाने पर कई तरह की सजा दी जाती है. इसमें ब्लैक मार्क, सेंसर, वेतन में कटौती शामिल होते हैं. कहीं ना कहीं नैतिक उद्यमिता का मामला होने पर बर्खास्तगी की भी सजा दी जाती है. इसके साथ-साथ आपराधिक मामलों में शामिल होने के साथ भ्रष्टाचार से जुड़े मामले आते हैं. लंबे विभागीय कार्रवाई की समीक्षा बर्खास्तगी वाले मामले में त्वरित कार्रवाई करने का मकसद साफ-सुथरी पुलिसिंग है. बिहार पुलिस मुख्यालय का मानना है कि जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं और वह प्रमाणित होते हैं तो उन्हें अविलंब सजा मिलनी चाहिए. ऐसा होने से पुलिसकर्मियों के बीच संदेश जाएगा. इससे बेहतर पुलिसिंग को बढ़ावा मिलेगा.

पटना-गया में सबसे ज्यादा लंबित केस: पुलिस मुख्यालय से मिल रही जानकारी के अनुसार सबसे लंबित मामलों की संख्या पटना और गया जिले में है. इन दोनों जिलों में करीब 1000 मामले लंबित हैं, जबकि बचे 36 जिलों में करीब 3000 मामले लंबित पड़े हुए हैं. जोर शोर से पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद मामलों का निपटारा किया जा रहा है. हालांकि, इनमें से एक तिहाई मामले ऐसे भी हैं जो 3 से 4 सालों से या उससे ज्यादा समय से चल रहे हैं, जिस वजह से पुलिसकर्मियों की भी कमी महसूस हो रही है. इतनी बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों की विभागीय कार्रवाई लंबित होने के कारण प्रमोशन भी नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि जिन चार हजार पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई चल रही है उनमें से ज्यादातर पुलिसकर्मियों पर ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने का आरोप (Policemen accused of negligence while on duty) है, जिसके मद्देनजर पुलिस महकमे में सभी जिलों के एसपी को आदेश जारी किया गया है कि मार्च के अंत तक अधिक से अधिक विभागीय कार्रवाई का निपटारा कर प्रोसिडिंग समाप्त की जाए.

दरअसल, जिस तरह से स्पीडी ट्रायल चलाकर मामलों का निपटारा किया जाता है. ठीक उसी प्रकार दोषी पुलिसकर्मियों पर भी स्पीडी ट्रायल चलाकर कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा भी किया जाएगा, जो निर्दोष हैं उन्हें तुरंत आरोप मुक्त भी किया जाएगा. हालांकि, कुछ मामले ऐसे भी हैं जो एसपी के स्तर से लापरवाही के समय पर इनकी सुनवाई नहीं करने की वजह से लंबित पड़े हुए हैं.

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