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NEET Counseling 2021: बिहार के मेडिकल छात्रों का दावा, नियमों में बदलाव के बाद राज्य के छात्रों को होगा नुकसान - नीट काउंसलिंग की प्रक्रिया में बदलाव

नीट काउंसलिंग की प्रक्रिया में बदलाव से बिहार को नुकसान होता दिख रहा है. बदलाव होने से बिहार के छात्रों को दाखिला लेने में समस्या आ सकती है. पढ़ें रिपोर्ट...

नीट काउंसलिंग के नियमों में बदलाव के बाद राज्य के छात्रों को होगा नुकसान
नीट काउंसलिंग के नियमों में बदलाव के बाद राज्य के छात्रों को होगा नुकसान
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Published : Dec 29, 2021, 8:57 PM IST

पटना: एमसीसी ने नीट यूजी काउंसलिंग और नीट पीजी काउंसलिंग की प्रक्रिया में बदलाव (Changes in NEET Counseling 2021) किया है. यह बड़ा बदलाव है, क्योंकि अब ऑल इंडिया कोटा से काउंसलिंग की दो राउंड पूरी होने के बाद बची हुई खाली सीटों को राज्यों को वापस नहीं किया जाएगा और अब बची हुई सीटों के लिए फिर से ऑल इंडिया कोटा की काउंसलिंग आयोजित की जाएगी. जिससे चार राउंड पूरी करनी होगी. इस फैसले से बिहार जैसे राज्यों के छात्रों को नुकसान होता नजर आ रहा है.

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बता दें कि अब तक बिहार के मेडिकल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटे की काफी सीटें खाली रह जाती थी और ऐसे में बाकी बची खाली सीट स्टेट को मिल जाते थे, जिसके बाद स्टेट कोटा से छात्र मेडिकल में दाखिला कराते थे. मेडिकल के सीटों पर 15% केंद्रीय कोटा व 85% राज्य कोटा के तहत नामांकन होता है. ऐसे में एमसीसी के इस फैसले पर बिहार के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्रों का कहना है कि इस फैसले से बिहार के छात्रों को नुकसान होता दिख रहा है.

नीट काउंसलिंग के नियमों में बदलाव के बाद राज्य के छात्रों को होगा नुकसान

'एमसीसी के इस फैसले से कुछ राज्यों को नुकसान होता दिख रहा है. वहीं कुछ राज्यों को फायदा जरूर होता दिख रहा है. बिहार जैसे राज्य के छात्रों के लिए नुकसान है क्योंकि बिहार में काफी सीटें केंद्रीय कोटा की खाली रह जाती थी, जिसके बाद बिहार के छात्र स्टेट कोटा से उस पर अपना दाखिला कराते थे. क्योंकि यह फैसला सभी स्टेट के लिए लागू होता है, इस वजह से अधिक प्रभाव नहीं देखने को मिलेगा और इस फैसले से थोड़ी बहुत इनइक्वालिटी आ सकती है. इसको अभी वह सभी देख रहे हैं और एबजॉर्ब कर रहे हैं.' -डॉ. कुंदन सुमन, बिहार अध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन

'इस फैसले से बिहार के छात्रों को थोड़ा घाटा होता नजर आ रहा है. ऐसे छात्र जो स्टेट कोटा से एडमिशन लेना चाहते हैं, उन्हें इसका नुकसान होगा. जिन छात्रों का स्टेट कोटा पर किसी ब्रांच में 15000 रैंक आने पर भी एडमिशन मिल जाता था, तो केंद्र के कोटे से सीट खाली रह जाती थी, अब ऐसा नहीं होगा. 12-13 हजार रैंक तक में सीटें फुल हो जाएंगी. यह पहली बार हो रहा है. ऐसे में यह आकलन नहीं किया जा सकता कि इसका कितना नुकसान होगा. लेकिन वह सब इस फैसले को देख रहे हैं और यह तय है कि इस फैसले से बिहार जैसे राज्य के छात्रों को इसका नुकसान होता दिख रहा है, जो प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेना चाहते हैं.' -डॉ. मनोरंजन कुमार, जेडीए प्रेसिडेंट, पीएमसीएच

यह भी पढ़ें : दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टर्स पर लाठीचार्ज, डॉक्टरों का एलान सभी सेवाएं ठप कर लेंगे बदला

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बता दें कि अब तक बिहार के मेडिकल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटे की काफी सीटें खाली रह जाती थी और ऐसे में बाकी बची खाली सीट स्टेट को मिल जाते थे, जिसके बाद स्टेट कोटा से छात्र मेडिकल में दाखिला कराते थे. मेडिकल के सीटों पर 15% केंद्रीय कोटा व 85% राज्य कोटा के तहत नामांकन होता है. ऐसे में एमसीसी के इस फैसले पर बिहार के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्रों का कहना है कि इस फैसले से बिहार के छात्रों को नुकसान होता दिख रहा है.

नीट काउंसलिंग के नियमों में बदलाव के बाद राज्य के छात्रों को होगा नुकसान

'एमसीसी के इस फैसले से कुछ राज्यों को नुकसान होता दिख रहा है. वहीं कुछ राज्यों को फायदा जरूर होता दिख रहा है. बिहार जैसे राज्य के छात्रों के लिए नुकसान है क्योंकि बिहार में काफी सीटें केंद्रीय कोटा की खाली रह जाती थी, जिसके बाद बिहार के छात्र स्टेट कोटा से उस पर अपना दाखिला कराते थे. क्योंकि यह फैसला सभी स्टेट के लिए लागू होता है, इस वजह से अधिक प्रभाव नहीं देखने को मिलेगा और इस फैसले से थोड़ी बहुत इनइक्वालिटी आ सकती है. इसको अभी वह सभी देख रहे हैं और एबजॉर्ब कर रहे हैं.' -डॉ. कुंदन सुमन, बिहार अध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन

'इस फैसले से बिहार के छात्रों को थोड़ा घाटा होता नजर आ रहा है. ऐसे छात्र जो स्टेट कोटा से एडमिशन लेना चाहते हैं, उन्हें इसका नुकसान होगा. जिन छात्रों का स्टेट कोटा पर किसी ब्रांच में 15000 रैंक आने पर भी एडमिशन मिल जाता था, तो केंद्र के कोटे से सीट खाली रह जाती थी, अब ऐसा नहीं होगा. 12-13 हजार रैंक तक में सीटें फुल हो जाएंगी. यह पहली बार हो रहा है. ऐसे में यह आकलन नहीं किया जा सकता कि इसका कितना नुकसान होगा. लेकिन वह सब इस फैसले को देख रहे हैं और यह तय है कि इस फैसले से बिहार जैसे राज्य के छात्रों को इसका नुकसान होता दिख रहा है, जो प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेना चाहते हैं.' -डॉ. मनोरंजन कुमार, जेडीए प्रेसिडेंट, पीएमसीएच

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