पटना/नई दिल्ली: केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा (MP Quota in Kendriya Vidyalayas) को लेकर बिहार बीजेपी के दो राज्यसभा सांसद आमने-सामने आ गए हैं. दरअसल, बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (BJP MP Sushil Kumar Modi) ने पिछले दिनों केंद्रीय विद्यालयों में सांसदों के कोटे से विद्यार्थियों के होने वाले नामांकन की व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की थी, लेकिन बुधवार को राज्यसभा में चर्चा के दौरान बीजेपी सांसद विवेक ठाकुर (BJP MP Vivek Thakur) ने कोटा समाप्त करने की बजाय बढ़ाने का आग्रह किया है.
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सांसद कोटा बढ़ाने की मांग: बिहार से राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय विद्यालय (केवी) में सांसद कोटा समाप्त करने की बजाय कोटा बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि सिर्फ 10 सीट होने के कारण सांसद जनता की अपार मांग के दबाब में परेशान हैं. वहीं, इस पर सरकार ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में कोटा व्यवस्था के बारे में कोई फैसला सभी सांसदों के साथ विमर्श के बाद किया जाएगा.
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आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय विद्यालय में सांसद कोटा समाप्त करने के बजाय कोटा बढ़ाने का आग्रह किया। सिर्फ 10 सीट होने के कारण सांसद जनता के अपार मांग के दबाब में परेशान हैं। (1/1) pic.twitter.com/4QuBy8i3eG
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बिहार के लिए कोटा अतिआवश्यक: बीजेपी सांसद ने कहा कुछ एक सांसदों ने इसको पूर्णतः समाप्त करने का आग्रह अखबार में लेख लिखकर या अन्य माध्यमों से भी किया है लेकिन अधिकांश सांसद इस दबाब के बावजूद इस मत के हैं कि कहीं गरीब परिवार के छात्र-छात्राएं एक अच्छे शिक्षा से दूर न हो जाएं. उन्होंने कहा कि गरीब की कोई जाति नहीं होती है. गरीब, गरीब होता है. उन्होंने कहा कि मैं अपने इस छोटे से कार्यकाल में सामाजिक रूप से अगड़ा और पिछड़ा को न देखते हुए बल्कि समाज के अंतिम व्यक्ति जैसे बाल-दाढ़ी बनाने वाले कि बच्ची, साधारण चालक के बच्चे ऐसे कई गरीब परिवार के छात्र-छात्राओं का इस कोटे के माध्यम से नामांकन कराया है. केंद्रीय विद्यालय में सांसद कोटा में निर्धारित 10 की संख्या को निश्चित रूप से बढ़ाया जाए. खासकर बिहार जैसे गरीब प्रांत के लिए यह कोटा अतिआवश्यक है. यही प्रगतिशील और संवेदनशीलता का परिचय होगा.
प्रत्येक सांसद को 10 सीटों का कोटा: वहीं, केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में कहा कि सरकार केंद्रीय विद्यालयों में कोटा व्यवस्था को लेकर सांसदों द्वारा जताई गईं चिंताओं पर गंभीरता से विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि चाहे कोटा खत्म करना हो या उसे बढ़ाना हो, सरकार गंभीरता से विचार कर रही है कि कोटा व्यवस्था के बारे में क्या फैसला किया जाए. उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग सभी सदस्यों के साथ चर्चा के बाद निर्णय लेगा. इस संबंध में सांसदों और संसद का जो भी फैसला होगा, सरकार उस पर गंभीरता से विचार करेगी. मंत्री ने कहा कि इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था दी है और विभाग सभी दलों के नेताओं से बात कर कोई फैसला करेगा. मालूम हो कि केंद्रीय विद्यालयों में दाखिला के संबंध में प्रत्येक सांसद को 10 सीटों का कोटा मिलता है.
'जीना हुआ हराम, इसे खत्म कीजिए': आपको बता दें कि शुक्रवार को सुशील मोदी ने शून्य काल के दौरान इस मामले को उठाते हुए कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में हर एक सांसद के कोटे से 10 और विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के कोटे से 17 विद्यार्थियों के नामांकन का प्रावधान है, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सांसदों के केंद्रीय विद्यालय में कोटा होने के कारण बड़ी संख्या में लोग प्रतिदिन उनसे मिलने आते हैं. रोज कई फोन आते, जिसके कारण अलग समस्या उत्पन्न हो जाती है. जीना मुश्किल हो गया है, जीना हराम कर दिया है. हालांकि, इस कोटे से वे सिर्फ 10 छात्रों का दाखिला करा सकते हैं. लेकिन सैकड़ों की संख्या में लोग रोज इसके लिए पहुंच जाते हैं. इसी के कारण वह इस कोटे को बढ़ाने की नहीं बल्कि समाप्त करने की मांग कर रहे हैं.
'केंद्रीय विद्यालयों में नामांकन कोटा खत्म कीजिए' : कोटे से हर साल 29 हजार एडमिशन : राज्यसभा में सुशील मोदी ने कहा कि पूरे देश के केंद्रीय विद्यालयों में हर साल सांसदों के कोटे से 7880 एडमिशन होता है. अगर विद्यालय मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन का कोटा भी जोड़ दिया जाये तो पूरे देश के केंद्रीय विद्यालयों में हर साल 29 हजार एडमिशन होता है. यानि 29 हजार ऐसे छात्रों का एडमिशन होता है जिनके मेरिट का कोई पता नहीं होता. कोटे से छात्रों के एडमिशन में कोई पारदर्शिता भी नहीं बरती जाती.
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