पटना: कोविड-19 की वजह से पूरे देश में कई महीनों तक लॉकडाउन रहा. राज्य में भी लॉकडाउन की स्थिति रही, जिसके कारण वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ. लेकिन, अनलॉक के साथ ही तमाम उद्योग और यातायात व्यवस्था सामान्य होने के बाद प्रदूषण के आंकड़े बढ़ रहे हैं. ठंड का मौसम भी आने वाला है, आशंका जताई जा रही है कि प्रदूषण बढ़ने से कोरोना संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाएगा. ऐसे में सरकार ने कुछ खास उपाय किए हैं.
प्रदूषण के संभावित खतरों को लेकर गाइडलाइंस
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक घोष ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण तमाम गतिविधियां धीमी पड़ गई थी. लेकिन जैसे-जैसे यातायात और उद्योग धंधे खुल रहे हैं प्रदूषण बढ़ रहा है. ठंड के समय प्रदूषण का खतरा और भी बढ़ जाता है. इसे देखते हुए बारीश का मौसम खत्म होने के बाद सभी संबंधित विभागों के साथ बैठक की जाएगी. इस बैठक में प्रदूषण के संभावित खतरों को लेकर गाइडलाइंस जारी की जाएगी.
प्रदूषण से प्रभावित होते हैं फेफड़े
पिछले कई सालों के आंकड़े बताते हैं कि बिहार के पटना, गया और मुजफ्फरपुर में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण है. इसे देखते हुए सरकार ने पटना में प्रदूषण रोकने के लिए कई उपाय किए. पिछले दिनों आद्री और कई अन्य संगठनों ने 'स्वच्छ हवा कार्ययोजना' तैयार की. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने इसे जारी किया. इस मौके पर उन्होंने कहा की वायु में पीएम 2.5 कण के 1% की बढ़ोतरी होने पर कोविड-19 खतरा कई प्रतिशत बढ़ जाता है. क्योंकि, असल में इसके कारण फेफड़े प्रभावित होते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है.
वायु प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट की होगी पहचान
सुशील मोदी ने कहा कि मुजफ्फरपुर और गया में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए नये डीजल वाहनों के निबंधन पर रोक लगा दी गई है. अब वहां सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों का ही नया रजिस्ट्रेशन होगा. इसके साथ ही आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर पटना में सर्वाधिक वायु प्रदूषण वाले हॉटस्पॉट की पहचान की जाएगी. उन्होंने कहा कि अगले 3 महीने में 23 करोड़ की लागत से बिहार के 23 जिलों में 24 नए मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं.