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बिहार पुलिस के अफसरों का बनेगा डेटाबेस, रिटायरमेंट के बाद अपराधियों को सजा दिलवाने में मिलेगी मदद - Bihar Police Headquarter

बिहार में अपराध (Crime In Bihar) पर नियंत्रण के लिए अपराधियों को सजा दिलाना महत्वपूर्ण है, इसमें सबसे बड़ी दिक्कत कांड के जांच अधिकारी और गवाही लेने वाले पुलिस अधिकारियों से संपर्क में परेशानी है. इसको लेकर बिहार पुलिस ने अधिकारियों का डाटा बेस बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. डाटा बेस में सेवारत और रिटायर्ड अधिकारियों के बारे में अपडेट जानकारी रखा जायेगा. पढ़ें पूरी खबर.. रिटायर्ड अधिकारियों का बनेगा डाटाबेस बिहार पुलिस के रिटायर्ड अधिकारियों का बनेगा डाटाबेस Bihar Police Head Quarter Will Develop Data Base System Of Retired Officers

Bihar Police Head Quarter
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Published : Jul 1, 2022, 11:09 PM IST

पटनाः अपराधियों को अक्सर बिहार पुलिस कर्मियों के रिटायरमेंट के वजह से सजा दिलवाने में काफी समस्या आती है. दरअसल केश के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर जो भी पुलिसकर्मी होते हैं. अगर वह रिटायर हो जाते हैं तो अपराधियों का ट्रायल पूरा नहीं हो पाता है और अपराधी बच जाते हैं. इस समस्या को देखते हुए बिहार पुलिस मुख्यालय ने साल 2010 से लेकर अब तक और आगे भी सभी पुलिसक अधिकारियों के रिटायरमेंट के बाद उनका भी डाटा जैसे उनका आधार पैन कार्ड उनका मोबाइल नंबर के अलावे रिटायरमेंट के पहले किस जिला और इकाई में उनकी पोस्टिंग चाहिए वर्तमान और स्थाई पता का डाटा तैयार किया (Bihar Police Head Quarter Will Develop Data Base System Of Officers ) जा रहा है.

पढ़ें-गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय के सभी रेंज स्तर पर फील्ड ऑफिस खोलने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

2010 के बाद से रिटायर पुलिस अधिकारियों का होगा डाटाबेसः बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (Bihar Police Headquarter ADG Jitendra Singh Gangwar) के मुताबिक इस डाटा को सेवा निर्मित पुलिस अफसरों का ब्यौरा आरएमएस यानी कि रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर में रखा जाएगा. डाटाबेस से अपराधियों को सजा दिलवाने की मुहिम में पुलिस अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आड़े नहीं आएगी. वहीं उन्होंने बताया कि रिटायर्ड पुलिसकर्मियों को डाटा तैयार करने का निर्देश यार पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिले के अधीक्षक को दिया गया है. वही साल 2010 के बाद रिटायर कुछ पुलिसकर्मियों का डाटा भी तैयार कि अभी जा रहा है.

पोस्टिंस से लेकर सभी जानकारी होगीः दरअसल बिहार पुलिस मुख्यालय अपने सेवानिर्वित अफसरों का कंप्यूटराइज डाटा बेस तैयार करेगी. दरअसल आरएमएस सॉफ्टवेयर में पुलिस से जुड़ी जानकारी होती है. इसमें जिला से लेकर इकाई तक में पदस्थापित पुलिस अधिकारी और जवानों को पूरा आंकड़ा होता है इसके अलावा पुलिस की गाड़ियों हथियार और दूसरी जरूरी जानकारी भी सॉफ्टवेयर मौजूद होती है इसी सॉफ्टवेयर में सेवानिवृत्त अफसरों का कंप्यूटराइज डेटाबेस भी रखा जाएगा.


ट्रायल के समय अधिकारियों को खोजने में होती है दिक्कतः दरअसल अपराधियों को सजा दिलवाने में ट्रायल में आने वाली दिक्कतों को दूर करना है कांड के अनुसंधानकर्ता पदाधिकारी के नाते पुलिस पदाधिकारी की गवाही न्यायालय में अहम होती है जिस वजह से पुलिस अधिकारी सेवा में होते हैं तो उनकी गवाही कराने मुश्किल नहीं होती है. परंतु रिटायरमेंट के बाद इनमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लिहाजा ट्रायल के दौरान संबंधित पुलिस पदाधिकारियों की गवाही समय पर हो सके इस वजह से रीटा पुलिसकर्मियों की पूरी जानकारी इस सॉफ्टवेयर में रखा जाएगा ताकि जरूरत पड़ने पर एक क्लिक कर कंप्यूटर उनकी पूरी डाटा निकाला जा सकता है.

पढ़ें-बिहार-यूपी में अपराधियों की अब खैर नहीं, दोनों तरफ की वांटेड लिस्‍ट तैयार

पटनाः अपराधियों को अक्सर बिहार पुलिस कर्मियों के रिटायरमेंट के वजह से सजा दिलवाने में काफी समस्या आती है. दरअसल केश के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर जो भी पुलिसकर्मी होते हैं. अगर वह रिटायर हो जाते हैं तो अपराधियों का ट्रायल पूरा नहीं हो पाता है और अपराधी बच जाते हैं. इस समस्या को देखते हुए बिहार पुलिस मुख्यालय ने साल 2010 से लेकर अब तक और आगे भी सभी पुलिसक अधिकारियों के रिटायरमेंट के बाद उनका भी डाटा जैसे उनका आधार पैन कार्ड उनका मोबाइल नंबर के अलावे रिटायरमेंट के पहले किस जिला और इकाई में उनकी पोस्टिंग चाहिए वर्तमान और स्थाई पता का डाटा तैयार किया (Bihar Police Head Quarter Will Develop Data Base System Of Officers ) जा रहा है.

पढ़ें-गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय के सभी रेंज स्तर पर फील्ड ऑफिस खोलने के प्रस्ताव को दी मंजूरी

2010 के बाद से रिटायर पुलिस अधिकारियों का होगा डाटाबेसः बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (Bihar Police Headquarter ADG Jitendra Singh Gangwar) के मुताबिक इस डाटा को सेवा निर्मित पुलिस अफसरों का ब्यौरा आरएमएस यानी कि रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर में रखा जाएगा. डाटाबेस से अपराधियों को सजा दिलवाने की मुहिम में पुलिस अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आड़े नहीं आएगी. वहीं उन्होंने बताया कि रिटायर्ड पुलिसकर्मियों को डाटा तैयार करने का निर्देश यार पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिले के अधीक्षक को दिया गया है. वही साल 2010 के बाद रिटायर कुछ पुलिसकर्मियों का डाटा भी तैयार कि अभी जा रहा है.

पोस्टिंस से लेकर सभी जानकारी होगीः दरअसल बिहार पुलिस मुख्यालय अपने सेवानिर्वित अफसरों का कंप्यूटराइज डाटा बेस तैयार करेगी. दरअसल आरएमएस सॉफ्टवेयर में पुलिस से जुड़ी जानकारी होती है. इसमें जिला से लेकर इकाई तक में पदस्थापित पुलिस अधिकारी और जवानों को पूरा आंकड़ा होता है इसके अलावा पुलिस की गाड़ियों हथियार और दूसरी जरूरी जानकारी भी सॉफ्टवेयर मौजूद होती है इसी सॉफ्टवेयर में सेवानिवृत्त अफसरों का कंप्यूटराइज डेटाबेस भी रखा जाएगा.


ट्रायल के समय अधिकारियों को खोजने में होती है दिक्कतः दरअसल अपराधियों को सजा दिलवाने में ट्रायल में आने वाली दिक्कतों को दूर करना है कांड के अनुसंधानकर्ता पदाधिकारी के नाते पुलिस पदाधिकारी की गवाही न्यायालय में अहम होती है जिस वजह से पुलिस अधिकारी सेवा में होते हैं तो उनकी गवाही कराने मुश्किल नहीं होती है. परंतु रिटायरमेंट के बाद इनमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लिहाजा ट्रायल के दौरान संबंधित पुलिस पदाधिकारियों की गवाही समय पर हो सके इस वजह से रीटा पुलिसकर्मियों की पूरी जानकारी इस सॉफ्टवेयर में रखा जाएगा ताकि जरूरत पड़ने पर एक क्लिक कर कंप्यूटर उनकी पूरी डाटा निकाला जा सकता है.

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