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आयुष चिकित्सकों का दावा, वायरल फीवर का आयुर्वेद में है सटीक इलाज - treat viral disease with Ayurveda

आयुष चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना काल (corona period) में जिस तरह आयुर्वेदिक दवाइयों ने कमाल किया है. कहीं ना कहीं यही कारण है कि आयुर्वेद के प्रति लोगों का लगाव फिर से बढ़ता चला जा रहा है. हमारे इस अस्पताल में सभी तरह की सुविधा उपलब्ध हैं और लगातार चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

आयुर्वेद
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Published : Sep 25, 2021, 9:35 PM IST

पटना: वायरल फीवर (Viral Fever) के मामले बिहार की राजधानी पटना (Patna) में तेजी से बढ़ रहा है. पहले इसके लक्षण बच्चों में ज्यादा दिख रहा था, लेकिन अब युवाओं और बुजुर्ग लोग भी इसके जद में आ चुके हैं. लगातार सरकारी अस्पतालों के ओपीडी (OPD) में वायरल फीवर से ग्रसित लोग पहुंच रहे हैं. इसके इलाज के लिए आयर्वेदिक अस्पताल (Ayurvedic Hospital) में भी लोग पहुंच रहे हैं और आयर्वेदिक दवाओं का भी क्रेज ऐसे समय मे बढ़ गया है.

ये भी पढ़ें: आयुर्वेद का बढ़ा क्रेज: बड़ी संख्या में दूर-दराज से इलाज कराने पटना अस्पताल पहुंच रहे हैं मरीज

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज-अस्पताल (Government Ayurvedic College-Hospital) के अधीक्षक डॉ. विजय शंकर दुबे का कहना है कि आयुर्वेद में वायरल बीमारी में आयुर्वेदिक दवा काफी कारगर साबित हो रही है. यही कारण है कि लोग बड़ी संख्या में यहां दिखाने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारी में इम्युनिटी (Immunity) बहुत महत्वपूर्व होता है.

देखें रिपोर्ट

डॉ. विजय शंकर दुबे ने कहा कि हमने बच्चों में इम्युनिटी बढ़ाने को लेकर स्वर्ण प्रासन का डोज देना शुरू किया है. अभी तक पटना में 6 हजार बच्चों को हमने ये डोज दिया है. ऐसी कई दवाएं आयुर्वेदि में हैं, जो इम्युनिटी को बढ़ाती. जिस तरह कोरोना काल में भी कई तरह के काढ़े से लोगों को फायदा हुआ, उससे आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ गया है.

ये भी पढ़ें: रोड एक्सीडेंट में खोई आंख की रोशनी, एलोपैथी से हुआ निराश तो आयुर्वेद ने दिखाई 'दुनिया'

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज-अस्पताल के अधीक्षक ने कहा कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कई आयुर्वेदिक दवाएं हैं, जैसे कि अश्वगंधा, पीपली, अम्लकी, सोंठ, गुरुचि. इन दवाओं के उपयोग से इम्युनिटी बढ़ती है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में पंचकोल एक दवा है, जिसका सेवन कर वायरल फीवर से बचा जा सकता है. ये वायरल फीवर से पहले और बाद में भी अगर सेवन किया जाए तो इससे वायरल फीवर ठीक होता है. उन्होंने कहा कि हमलोग पिप्पल सोंठ मरीच का चूर्ण भी बनाकर रोगी को देते हैं, जो काफी फायदा करता है.

आयुर्वेदिक अस्पताल में नालंदा से इलाज करवाने आए मदन प्रसाद का कहना है कि उन्हें सायटिका की बीमारी है. यहां से हम लगातार इलाज करा रहे हैं, काफी फायदा हुआ है. वहीं लखीसराय से आए रमेश सिंह कहते हैं कि आंख का इलाज करवाना था. बाकी जगह हमें लगा कि अच्छा नहीं होगा, इसलिए आयुर्वेद में इसका इलाज करवाने यहां आए हैं.

पटना: वायरल फीवर (Viral Fever) के मामले बिहार की राजधानी पटना (Patna) में तेजी से बढ़ रहा है. पहले इसके लक्षण बच्चों में ज्यादा दिख रहा था, लेकिन अब युवाओं और बुजुर्ग लोग भी इसके जद में आ चुके हैं. लगातार सरकारी अस्पतालों के ओपीडी (OPD) में वायरल फीवर से ग्रसित लोग पहुंच रहे हैं. इसके इलाज के लिए आयर्वेदिक अस्पताल (Ayurvedic Hospital) में भी लोग पहुंच रहे हैं और आयर्वेदिक दवाओं का भी क्रेज ऐसे समय मे बढ़ गया है.

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राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज-अस्पताल (Government Ayurvedic College-Hospital) के अधीक्षक डॉ. विजय शंकर दुबे का कहना है कि आयुर्वेद में वायरल बीमारी में आयुर्वेदिक दवा काफी कारगर साबित हो रही है. यही कारण है कि लोग बड़ी संख्या में यहां दिखाने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारी में इम्युनिटी (Immunity) बहुत महत्वपूर्व होता है.

देखें रिपोर्ट

डॉ. विजय शंकर दुबे ने कहा कि हमने बच्चों में इम्युनिटी बढ़ाने को लेकर स्वर्ण प्रासन का डोज देना शुरू किया है. अभी तक पटना में 6 हजार बच्चों को हमने ये डोज दिया है. ऐसी कई दवाएं आयुर्वेदि में हैं, जो इम्युनिटी को बढ़ाती. जिस तरह कोरोना काल में भी कई तरह के काढ़े से लोगों को फायदा हुआ, उससे आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ गया है.

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राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज-अस्पताल के अधीक्षक ने कहा कि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कई आयुर्वेदिक दवाएं हैं, जैसे कि अश्वगंधा, पीपली, अम्लकी, सोंठ, गुरुचि. इन दवाओं के उपयोग से इम्युनिटी बढ़ती है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में पंचकोल एक दवा है, जिसका सेवन कर वायरल फीवर से बचा जा सकता है. ये वायरल फीवर से पहले और बाद में भी अगर सेवन किया जाए तो इससे वायरल फीवर ठीक होता है. उन्होंने कहा कि हमलोग पिप्पल सोंठ मरीच का चूर्ण भी बनाकर रोगी को देते हैं, जो काफी फायदा करता है.

आयुर्वेदिक अस्पताल में नालंदा से इलाज करवाने आए मदन प्रसाद का कहना है कि उन्हें सायटिका की बीमारी है. यहां से हम लगातार इलाज करा रहे हैं, काफी फायदा हुआ है. वहीं लखीसराय से आए रमेश सिंह कहते हैं कि आंख का इलाज करवाना था. बाकी जगह हमें लगा कि अच्छा नहीं होगा, इसलिए आयुर्वेद में इसका इलाज करवाने यहां आए हैं.

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