पटनाः मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड ( Muzaffarpur Cataract Case ) के बाद पीड़ित मरीजों के का फ्री में इलाज होना है. जिसके मद्देनजर आईजीआईएमएस ( IGIMS Patna ) में पूरी व्यवस्था कर दी गई है. पूरी प्रक्रिया की जांच करने शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ( Pratyaya Amrit in IGIMS ) भी आईजीआईएमएस पहुंचे थे. सुबह ही 9 मरीजों को प्रशासन की तरफ से पटना लाया ( Muzaffarpur Incident Victims Reached IGIMS ) जा रहा था. जो अब पहुंच चुके हैं. उनके इलाज तैयारी चल रही है.
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इलाज के लिए पहुंचे मरीजों का कहना है कि उन्हें भरोसा है कि यहां आने के बाद उनकी आंखें ठीक हो जाएंगी. मुजफ्फरपुर से आए 9 मरीज के साथ उनके परिजन भी आए हैं. परिजनों का भी कहना है कि सरकार ने हमें यह सुविधा दी है. आईजीएमएस में इलाज की बात कही गई है.
मुजफ्फरपुर के गायघाट से आने वाली महिला नाजिया खातून जिनकी उम्र 75 वर्ष है, उनका कहना है कि मुजफ्फरपुर में हमारे साथ ठीक व्यवहार नहीं किया गया था. हमें तुरंत हटा दिया गया. उसके बाद हमारी आंखों की रोशनी चली गई. अब हम कुछ देख नहीं पाते हैं. पटना आए हैं. उम्मीद है कि यहां आकर ठीक हो जाएंगे. उनके साथ आए हुए परिजन नसीमा खातून ने कहा कि जब सरकार ने हम लोगों को यहां बुलाया है तो हमे पूरा भरोसा है. हमारी मम्मी की आंख की रोशनी लौट जाएगी.
मुजफ्फरपुर के ही लालबाग चौक से आयी कौशल्या देवी का कहना है कि आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाया. जब से ऑपरेशन हुआ है कुछ दिख नहीं रहा है. पहले सब कुछ दिखता था. उनके साथ आए परिजन सोहन का कहना है कि ऑपरेशन के बाद से हम लोग परेशान थे कि क्या कुछ होगा. लेकिन आईजीआईएमएस लेकर इन लोगों को आए हैं. हमें उम्मीद है कि यहां पर सब ठीक होगा.
बता दें कि मुजफ्फरपुर में हुए कांड के बाद सरकार ने निर्देश दिया था कि आईजीआईएमएस में पीड़ितों के आंखों का इलाज चलेगा. इसके तहत आज 9 मरीज को मुजफ्फरपुर से बस से लाया गया है. यहां हॉस्पिटल में विशेष व्यवस्था कर आज से उनका इलाज भी शुरू किया जा रहा है.
बता दें कि इस मामले में एसकेएमसीएच में 21 मरीज भर्ती (21 patients admitted in SKMCH) हैं. जिसमें 11 ऐसे मरीज हैं जिनकी आंखें निकाली गई हैं. वहीं, 10 मरीज ऐसे हैं जिनके संक्रमण का इलाज चल रहा है. इलाज के बाद कल कई लोगों की संक्रमित आंखों को निकाला जा सकता है. अब तक कुल 15 लोगों की आंखों को निकाला (Removed Eyes of 15 People) गया है, जिसमें 4 आई हॉस्पिटल और 11 एसकेएमसीएच में भर्ती हैं, जो कि सरकारी आंकड़ा है. वहीं आज भी एसकेएमसीएच अस्पताल में भर्ती कई मरीजों का ऑपरेशन कर आंखे निकाली जा सकती है.
वहीं, इस मुद्दे पर जमकर सियासत भी हो रही है. विपक्ष ने नीतीश सरकार से उन डॉक्टरों पर कार्रवाई की मांग की है. जाप सुप्रीमो पप्पू यादव ने पूरी घटना की निंदा की और सरकार पर निशाना है. वहीं पप्पू यादव आज (Pappu Yadav Visit Muzaffarpur) मुजफ्फरपुर का दौरा कर पीड़ित परिवार के परिजनों से आज मुलाकात करेंगे.
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मुजफ्फरपुर जिले के जोरन छपरा स्थित (Cataract Operation Camp in Muzaffarpur) आई हॉस्पिटल में बीते 22 नवंबर को हुए एक साथ 65 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद सभी लोगों की आंखों में अचानक संक्रमण होने लगा और एक-एक कर अब तक 15 लोगों की आंखें हमेशा के लिए निकाली जा चुकी है. वहीं, अभी करीब एक दर्जन लोग जिन्हें आंखों में संक्रमण है वे अभी एसकेएमसीएच में भर्ती कराए गए हैं. प्रशासन की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार अब तक 15 लोगों की ऑपरेशन कर आंख निकाली गया है, जिसमें चार मरीजों की आंख आई हॉस्पिटल के द्वारा निकाला गया था. वहीं, 11 मरीजों का आंख एसकेएमसीएच में निकाला गया है.
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सभी ऑपरेशन कराने वाले बिहार के विभिन्न जिले के साथ यूपी के रहनेवाले थे. जिसमें मुजफ्फरपुर के 26, पूर्वी चंपारण-16, पश्चिमी चंपारण-07, वैशाली-07, शिवहर-02 समस्तीपुर-05, खगड़िया-01 और यूपी के कुशीनगर एक मरीज ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था. इस पूरे प्रकरण के बाद पटना से स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टर हरीश चंद्र ओझा के नेतृत्व में जांच टीम भेजी गई जो आई हॉस्पिटल का भी जांच पड़ताल की. वहीं, एसकेएमसीएच में भर्ती 21 मरीजों और उनके परिजनों से भी बातचीत की.
बता दें कि मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड (Muzaffarpur Cataract Case) में सीएस के बयान पर ब्रह्मपुरा थाने में आई हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ केस दर्ज (Case filed against Muzaffarpur eye hospital) किया गया है. आई हॉस्पिटल में ऑपरेशन होने के बाद संक्रमण के चलते 15 लोगों ने हमेशा के लिए अपनी आंखें गंवा दी थी. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन पर बड़ी लापरवाही बरतने का आरोप लगा है.
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