मुजफ्फरपुर: जिले की आबोहवा दिल्ली से भी ज्यादा जहरीली होती जा रही है. इस वजह से सांस के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अपार्टमेंट के ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले भी इसकी चपेट में आ चुके हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण परिषद के जरिए जारी की गई 103 शहरों की लिस्ट में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने मुज़फ्फरपुर वासियों के होश उड़ा दिये हैं.
मुजफ्फरपुर की हवा सांस के रोगियों के लिए मुसीबत बनी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक शहर की वायु में धूलकण की मात्रा साढ़े चार गुना बढ़ गई है. मुजफ्फरपुर में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण धूलकण है.
इन कारणों से हो रही समस्या
बिना ढंके निर्माण, सड़क पर गंदगी के कारण चारों तरफ धूल ही धूल दिख रही है. इसके अलावा पुरानी गाड़ियों का काला धुआं, सड़क किनारे जलाया जा रहा कूड़ा भी इसका कारण है. राज्य में निजी और व्यावसायिक वाहनों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. ट्रैफिक जाम में चौक-चौराहों पर गाड़ियां प्रदूषण बढ़ा रही हैं.
जमीनी स्तर पर नहीं दिख रही कार्रवाई
बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने आधा दर्जन विभागों को ठोस कदम उठाने के आदेश दिए थे. नगर निगम आरसीडी स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, उद्योग विभाग को अपने स्तर से कारवाई करने के निर्देश के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई कारवाई नही दिख रही है. बता दें कि शहर का वायु प्रदूषण सामान्य स्थिति से 7 गुना अधिक है. जानकारों के मुताबिक सामान्य स्थिति में एक्यूआई 50 रहना चाहिए. लेकिन 392 वायु प्रदूषण के अधिकतम सूचकांक से थोड़ा ही कम है. इस लेवल ने लोगो का दम फुला रखा है.
औसत पैरामीटर
- पीएम 2.5 377
- एनओटू 16
- एसओटू 15
- सीओ 70
- ओजोन 75
5-10 फीसदी बढ़ी मरीजों की संख्या
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में स्कूली बच्चे व बुजुर्गों की संख्या में 5 से 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है. ऑटो से स्कूल जाने वाले बच्चों में ये बीमारियां ज्यादा बढ़ी हैं. सामान्य व्यक्तियों के साथ-साथ स्कूली बच्चे और बुजुर्गों में अस्थमा, नाक से पानी आना, क्रोनिक ब्रोनकाइटिस, एलर्जी, कफ, साइनोसाइटिस, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, पेट में दर्द जैसी बीमारियां होने लगी है. पहले से दमा के मरीज रहे लोगों की स्थिति बेहद खराब हो गई है. लंबे समय तक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के करीब रहने पर लंग कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.