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मुजफ्फरपुर की आबोहवा हवा में घुला प्रदूषण का जहर, बढ़ रही सांस के मरीजों की संख्या

बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने आधा दर्जन विभागों को ठोस कदम उठाने के आदेश दिए थे. नगर निगम, आरसीडी, स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, उद्योग विभाग को अपने स्तर से कारवाई करने के निर्देश के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई कारवाई नही दिख रही है.

मुजफ्फरपुर
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Published : Nov 8, 2019, 10:52 AM IST

मुजफ्फरपुर: जिले की आबोहवा दिल्ली से भी ज्यादा जहरीली होती जा रही है. इस वजह से सांस के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अपार्टमेंट के ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले भी इसकी चपेट में आ चुके हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण परिषद के जरिए जारी की गई 103 शहरों की लिस्ट में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने मुज़फ्फरपुर वासियों के होश उड़ा दिये हैं.

मुजफ्फरपुर की हवा सांस के रोगियों के लिए मुसीबत बनी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक शहर की वायु में धूलकण की मात्रा साढ़े चार गुना बढ़ गई है. मुजफ्फरपुर में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण धूलकण है.

Muzaffarpur
सड़क किनारे जलता कूड़ा

इन कारणों से हो रही समस्या
बिना ढंके निर्माण, सड़क पर गंदगी के कारण चारों तरफ धूल ही धूल दिख रही है. इसके अलावा पुरानी गाड़ियों का काला धुआं, सड़क किनारे जलाया जा रहा कूड़ा भी इसका कारण है. राज्य में निजी और व्यावसायिक वाहनों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. ट्रैफिक जाम में चौक-चौराहों पर गाड़ियां प्रदूषण बढ़ा रही हैं.

पेश है रिपोर्ट

जमीनी स्तर पर नहीं दिख रही कार्रवाई
बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने आधा दर्जन विभागों को ठोस कदम उठाने के आदेश दिए थे. नगर निगम आरसीडी स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, उद्योग विभाग को अपने स्तर से कारवाई करने के निर्देश के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई कारवाई नही दिख रही है. बता दें कि शहर का वायु प्रदूषण सामान्य स्थिति से 7 गुना अधिक है. जानकारों के मुताबिक सामान्य स्थिति में एक्यूआई 50 रहना चाहिए. लेकिन 392 वायु प्रदूषण के अधिकतम सूचकांक से थोड़ा ही कम है. इस लेवल ने लोगो का दम फुला रखा है.

Muzaffarpur
जानकारी देते नगर आयुक्त मनेश कुमार मीणा

औसत पैरामीटर

  • पीएम 2.5 377
  • एनओटू 16
  • एसओटू 15
  • सीओ 70
  • ओजोन 75

5-10 फीसदी बढ़ी मरीजों की संख्या
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में स्कूली बच्चे व बुजुर्गों की संख्या में 5 से 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है. ऑटो से स्कूल जाने वाले बच्चों में ये बीमारियां ज्यादा बढ़ी हैं. सामान्य व्यक्तियों के साथ-साथ स्कूली बच्चे और बुजुर्गों में अस्थमा, नाक से पानी आना, क्रोनिक ब्रोनकाइटिस, एलर्जी, कफ, साइनोसाइटिस, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, पेट में दर्द जैसी बीमारियां होने लगी है. पहले से दमा के मरीज रहे लोगों की स्थिति बेहद खराब हो गई है. लंबे समय तक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के करीब रहने पर लंग कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.

मुजफ्फरपुर: जिले की आबोहवा दिल्ली से भी ज्यादा जहरीली होती जा रही है. इस वजह से सांस के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अपार्टमेंट के ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले भी इसकी चपेट में आ चुके हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण परिषद के जरिए जारी की गई 103 शहरों की लिस्ट में वायु गुणवत्ता सूचकांक ने मुज़फ्फरपुर वासियों के होश उड़ा दिये हैं.

मुजफ्फरपुर की हवा सांस के रोगियों के लिए मुसीबत बनी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक शहर की वायु में धूलकण की मात्रा साढ़े चार गुना बढ़ गई है. मुजफ्फरपुर में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण धूलकण है.

Muzaffarpur
सड़क किनारे जलता कूड़ा

इन कारणों से हो रही समस्या
बिना ढंके निर्माण, सड़क पर गंदगी के कारण चारों तरफ धूल ही धूल दिख रही है. इसके अलावा पुरानी गाड़ियों का काला धुआं, सड़क किनारे जलाया जा रहा कूड़ा भी इसका कारण है. राज्य में निजी और व्यावसायिक वाहनों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. ट्रैफिक जाम में चौक-चौराहों पर गाड़ियां प्रदूषण बढ़ा रही हैं.

पेश है रिपोर्ट

जमीनी स्तर पर नहीं दिख रही कार्रवाई
बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने आधा दर्जन विभागों को ठोस कदम उठाने के आदेश दिए थे. नगर निगम आरसीडी स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, उद्योग विभाग को अपने स्तर से कारवाई करने के निर्देश के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई कारवाई नही दिख रही है. बता दें कि शहर का वायु प्रदूषण सामान्य स्थिति से 7 गुना अधिक है. जानकारों के मुताबिक सामान्य स्थिति में एक्यूआई 50 रहना चाहिए. लेकिन 392 वायु प्रदूषण के अधिकतम सूचकांक से थोड़ा ही कम है. इस लेवल ने लोगो का दम फुला रखा है.

Muzaffarpur
जानकारी देते नगर आयुक्त मनेश कुमार मीणा

औसत पैरामीटर

  • पीएम 2.5 377
  • एनओटू 16
  • एसओटू 15
  • सीओ 70
  • ओजोन 75

5-10 फीसदी बढ़ी मरीजों की संख्या
वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में स्कूली बच्चे व बुजुर्गों की संख्या में 5 से 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है. ऑटो से स्कूल जाने वाले बच्चों में ये बीमारियां ज्यादा बढ़ी हैं. सामान्य व्यक्तियों के साथ-साथ स्कूली बच्चे और बुजुर्गों में अस्थमा, नाक से पानी आना, क्रोनिक ब्रोनकाइटिस, एलर्जी, कफ, साइनोसाइटिस, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, पेट में दर्द जैसी बीमारियां होने लगी है. पहले से दमा के मरीज रहे लोगों की स्थिति बेहद खराब हो गई है. लंबे समय तक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के करीब रहने पर लंग कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है.

Intro:मुजफ्फरपुर की आबोहवा दिल्ली से भी ज्यादा जहरीली हो गई है। इससे सांस के मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। अपार्टमेंट के ऊपरी तल्ले पर रहने वाले भी इसकी चपेट में आ चुके हैं।Body:केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा जारी देश के 103 शहरों की वायु गुणवत्ता सूचकांक ने मुज़फ्फरपुर वालों के होश उड़ा दिये हैं। मुज़फ्फरपुर खतरनाक श्रेणी में पहुंचने से यहां की हवा जहरीली हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक शहर की वायु में धूलकण की मात्रा साढ़े चार गुणा बढ़ गई है। मुजफ्फरपुर में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण धूलकण है। बिना ढंके निर्माण, सड़क पर गंदगी धूलकण के वाहक हैं। इसके अलावा पुरानी गाड़ियों का काला धुआं, सड़कों की धूल भी इसका कारण है। राज्य में निजी और व्यावसायिक वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ट्रैफिक जाम में चौक-चौराहों पर ये गाड़ियां प्रदूषण बढ़ाते हैं। वही बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने आधा दर्जन विभागों को आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था । नगर निगम आरसीडी स्वास्थ्य विभाग , परिवहन विभाग, उद्योग विभाग को अपने स्तर से कारवाई करने के निर्देश के बावजूद कोई कारवाई होती हुई नही दिख रही है गौरतलब है कि शहर का वायु प्रदूषण सामान्य स्थिति से 7 गुना अधिक है । सामान्य स्थिति में एक्यूआई 50 रहना चाहिये । लेकिन 392 वायु प्रदूषण के अधिकतम सूचकांक से थोड़ा ही कम है । इस लेवल ने लोगो का दम फुलाया

औसत पैरामीटर

पीएम 2.5 377
एनओटू 16
एसओटू 15
सीओ 70
ओजोन 75
बाइट मनेश कुमार मीणा नगर आयुक्त मुज़फ्फरपुर ।
बाइट एसपी सिंह सिविल सर्जन मुज़फ़्फ़रपुर ।
बाइट भूपाल भर्ती सामाजिक कार्यकर्ताConclusion:। वायु प्रदूषण के कारण मुजफ्फरपुर में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इससे होने वाली बीमारियों में बढ़ोतरी 5-10 फीसदी तक स्कूली बच्चे व बुजुर्गों में हुई है , ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी हैं। ऑटो से स्कूल जाने वाले बच्चों में ये बीमारियां ज्यादा बढ़ी हैं।  सामान्य व्यक्तियों के साथ-साथ स्कूली बच्चे और बुजुर्गों में अस्थमा, नाक से पानी आना, क्रोनिक ब्रोनकाइटिस, एलर्जी, कफ, साइनोसाइटिस, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, पेट में दर्द जैसी बीमारियां होने लगी है। जो पहले से दमा के मरीज हैं उनकी स्थिति बेहद खराब हो गई है। लंबे समय तक कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के करीब रहने पर लंग कैंसर होने तक की आशंका बढ़ जाती है। 
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