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कटिहार: बाढ़ ने जानवरों के लिए खड़ी की मुश्किल, चारे के लिए भटक रहे भेड़पालक

भेड़पालकों का कहना है कि भारी बारिश की वजह से जलजमाव और बाढ़ ने इनके लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. चारे की खोज में ये कभी इस गांव तो कभी उस गांव भटकते हैं.

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Published : Oct 8, 2019, 6:24 PM IST

बाढ़ ने अबोले जानवरों के लिए खड़ी की मुश्किल

कटिहार: प्रदेश में बाढ़ ने आम जनजीवन तबाह कर दिया है. सीमांचल भी इससे रोजाना दो-चार हो रहा हैं. यहां भेड़पालकों का हाल और भी बेहाल हैं. हरे चारे की कमी ने इन्हें घुमंतू बना दिया हैं. निचले इलाकों और खेत-खलिहानों में जलजमाव की वजह से इन पशुओं के लिए चारे का जुगाड़ करना भेड़पालकों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है.

farmers wandering in search of fodder
चारे के लिए इकट्ठा भेड़

चारे के लिए भटक रहे भेड़पालक
आसमान के नीचे मैदान में जमे भेड़ों की ये तस्वीर जिले के बरारी प्रखण्ड इलाके की है. यह बेजुबान पेट की आग बुझाने चारे की खोज में पहुंचे हैं. भेड़पालक चारे की खोज में मवेशियों का काफिला लेकर उन जगहों पर भटक रहे हैं जहां इन्हें अपने मवेशियों के लिए चारे की संभावना नजर आ रही है.

बाढ़ ने जानवरों के लिए खड़ी की मुश्किल

जलजमाव और बाढ़ ने खड़ी की मुश्किल
भेड़पालकों का कहना है कि भारी बारिश की वजह से जलजमाव और बाढ़ ने इनके लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. चारे की खोज में ये कभी इस गांव तो कभी उस गांव भटकते हैं. पैसे की समस्या और ऊन बेचने के लिए फोन कर व्यापारियों को भी उसी जगह बुलाना पड़ता है और ऊन औने-पौने कीमतों में बेचना पड़ता है. इतने बेजुबानों के लिये चारे का जुगाड़ करना मुश्किल भरा काम हैं. भेड़ पालन के लिए कोई सरकारी मदद भी नहीं है. जिसकी वजह से भेड़पालक परेशान हैं.

कटिहार: प्रदेश में बाढ़ ने आम जनजीवन तबाह कर दिया है. सीमांचल भी इससे रोजाना दो-चार हो रहा हैं. यहां भेड़पालकों का हाल और भी बेहाल हैं. हरे चारे की कमी ने इन्हें घुमंतू बना दिया हैं. निचले इलाकों और खेत-खलिहानों में जलजमाव की वजह से इन पशुओं के लिए चारे का जुगाड़ करना भेड़पालकों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है.

farmers wandering in search of fodder
चारे के लिए इकट्ठा भेड़

चारे के लिए भटक रहे भेड़पालक
आसमान के नीचे मैदान में जमे भेड़ों की ये तस्वीर जिले के बरारी प्रखण्ड इलाके की है. यह बेजुबान पेट की आग बुझाने चारे की खोज में पहुंचे हैं. भेड़पालक चारे की खोज में मवेशियों का काफिला लेकर उन जगहों पर भटक रहे हैं जहां इन्हें अपने मवेशियों के लिए चारे की संभावना नजर आ रही है.

बाढ़ ने जानवरों के लिए खड़ी की मुश्किल

जलजमाव और बाढ़ ने खड़ी की मुश्किल
भेड़पालकों का कहना है कि भारी बारिश की वजह से जलजमाव और बाढ़ ने इनके लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. चारे की खोज में ये कभी इस गांव तो कभी उस गांव भटकते हैं. पैसे की समस्या और ऊन बेचने के लिए फोन कर व्यापारियों को भी उसी जगह बुलाना पड़ता है और ऊन औने-पौने कीमतों में बेचना पड़ता है. इतने बेजुबानों के लिये चारे का जुगाड़ करना मुश्किल भरा काम हैं. भेड़ पालन के लिए कोई सरकारी मदद भी नहीं है. जिसकी वजह से भेड़पालक परेशान हैं.

Intro:.........बिहार में बाढ़ ने आम जनजीवन को तबाह कर डाला हैं.....। राजधानी पटना जलजमाव से परेशान हैं वहीं सीमाँचल भी इससे भी रोजाना दो - चार हो रहा हैं.....। यहाँ भेड़पालको का हाल तो और बेहाल हैं । हरे चारे की कमी ने इन्हें घुमंतू बना डाला हैं......। निचले इलाकों और खेत - खलिहानों में जलजमाव रहने की वजह से चारा जुगाड़ करना कठिन काम बन गया हैं .....।


Body:खुले आसमान के नीचे मैदान में जमे भेड़ों का यह दृश्य जिले के बरारी प्रखण्ड इलाके का हैं जहाँ यह बेजुबान पेट की आग बुझाने चारा की खोज में पहुँचे हैं । बताया जाता हैं कि खेत - खलिहानों और निचले इलाकों में पानी जमा रहने के कारण इनदिनों चारा की बेहद कमी हो गयी हैं और भेड़पालक , चारा की खोज में मवेशियों का काफिला लेकर उनजगहों पर भटक रहे हैं जहाँ इसकी संभावना दिखती हैं .....। भेड़पालक खिखर पॉल बताते हैं कि पानी ने इसका बेड़ागर्क कर डाला हैं । चारा के खोज ने इसे परदेशी बना डाला हैं और यह लोग कभी इस गांव तो कभी उस गाँव भटकते हैं.....। यदि पैसे की समस्या आती हैं और उनों को बेचने की जरूरत हों तो फोन के जरिये व्यापारियों को बुला औने - पौने कीमत में बेच डालते हैं .....। इतने भेड़ों की देख - रेख करने में पाँच आदमी लगे रहते हैं और दिन में तो किसी तरह काम निकल जाता हैं लेकिन रातों में एक आदमी लगातार रतजगा कर देखभाल करता हैं .....। भेड़पालक कुन्दन कुमार बतातें हैं कि चारा की खोज ने इनसबों को घुमंतू बना डाला हैं .....। इतने बेजुबानों के लिये चारा जुगाड़ करना मुश्किल भरा काम हैं , सरकारी मदद मय्यसर नहीं हैं ......।


Conclusion:पुर्णिया प्रमंडल के बगल में दार्जिंलिंग होने की वजह से यहाँ के वातावरण में पशुपालन की असीम सम्भावनाएं हैं और ग्रामीण इलाकों में भेड़पालन , गौपालन , बकरीपालन , मुर्ग़ीपालन खूब होते हैं । भेड़पालक भेड़ से ऊन और माँस तो प्राप्त करता ही हैं , भेड़ की खाद भूमि को भी काफी उपजाऊ बनाती हैं । भेड़ , कृषि अयोग्य भूमि में चरती हैं और खरपतवार सहित अनावश्यक घासों का उपयोग करती हैं लेकिन सैलाब के साइड इफेक्ट ने इसका व्हाट लगा डाला हैं.....।
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