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कटिहार में इंजीनियर के कार्यालय में छापेमारी, पटना में घूस लेते हुआ था गिरफ्तार

कटिहार के इंजीनियर को निगरानी विभाग ने जाल में फंसाकर 16 लाख रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था. निगरानी विभाग को इंजीनियर के कटिहार कार्यालय में भी छापेमारी के दौरान कई सुराग हाथ लगे हैं.

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Published : Nov 20, 2019, 3:11 AM IST

छापेमारी

कटिहार: जिले के पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर अरविंद कुमार को निगरानी विभाग ने 16 लाख रुपये घूस लेते हुए पटना में गिरफ्तार किया था. इसके बाद भागलपुर से आई निगरानी विभाग की टीम ने अरविंद के कटिहार कार्यालय में छापेमारी की.

छापेमारी के दौरान मिले कई सुराग
भागलपुर निगरानी विभाग के डीएसपी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि छापेमारी के दौरान कई सुराग हाथ लगे हैं, जिसकी जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि टॉप लाइन से जुड़े 5 करोड़ से अधिक की पेंडिंग बिल और महत्वपूर्ण कागजात मिले हैं. कई फाइलों को खंगालकर मामले की कार्रवाई की जा रही है.

katihar
सुरेंद्र कुमार, डीएसपी, भागलपुर निगरानी विभाग

पहले भी हो चुकी है ऐसी कार्रवाई
ट्रैप का यह मामला निगरानी विभाग का पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई अधिकारी विभाग के ऐसे जाल में फंस चुके हैं. 3 महीने पहले कटिहार के ग्रामीण विकास विभाग के रिटायर्ड जूनियर इंजीनियर सुखदेव महतो के भवन को भी निगरानी विभाग ने जब्त किया था. इंजीनियर के पटना स्थित जक्कनपुर में करोड़ों रुपये के आलीशान भवन को आय से अधिक संपत्ति के होने के मामले में यह कार्रवाई की गई थी.

इंजीनियर के कार्यालय में छापेमारी

बिहार विशेष न्यायालय - 2009 के अधिनियम के तहत संपति जप्ती के स्पेशल कोर्ट आर्डर के बाद यह कार्रवाई की गई थी.

कटिहार: जिले के पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर अरविंद कुमार को निगरानी विभाग ने 16 लाख रुपये घूस लेते हुए पटना में गिरफ्तार किया था. इसके बाद भागलपुर से आई निगरानी विभाग की टीम ने अरविंद के कटिहार कार्यालय में छापेमारी की.

छापेमारी के दौरान मिले कई सुराग
भागलपुर निगरानी विभाग के डीएसपी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि छापेमारी के दौरान कई सुराग हाथ लगे हैं, जिसकी जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि टॉप लाइन से जुड़े 5 करोड़ से अधिक की पेंडिंग बिल और महत्वपूर्ण कागजात मिले हैं. कई फाइलों को खंगालकर मामले की कार्रवाई की जा रही है.

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सुरेंद्र कुमार, डीएसपी, भागलपुर निगरानी विभाग

पहले भी हो चुकी है ऐसी कार्रवाई
ट्रैप का यह मामला निगरानी विभाग का पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई अधिकारी विभाग के ऐसे जाल में फंस चुके हैं. 3 महीने पहले कटिहार के ग्रामीण विकास विभाग के रिटायर्ड जूनियर इंजीनियर सुखदेव महतो के भवन को भी निगरानी विभाग ने जब्त किया था. इंजीनियर के पटना स्थित जक्कनपुर में करोड़ों रुपये के आलीशान भवन को आय से अधिक संपत्ति के होने के मामले में यह कार्रवाई की गई थी.

इंजीनियर के कार्यालय में छापेमारी

बिहार विशेष न्यायालय - 2009 के अधिनियम के तहत संपति जप्ती के स्पेशल कोर्ट आर्डर के बाद यह कार्रवाई की गई थी.

Intro:.......निगरानी विभाग द्वारा सोलह लाख रुपये घुस लेते कटिहार के पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर अरविंद कुमार को पटना में गिरफ्तार किये जाने का मामला , विजिलेंस का यह कोई पहला ट्रेप नहीं हैं बल्कि इससे पहले भी कई मामले सामने आते रहे हैं । तीन महीने पूर्व कटिहार के ग्रामीण विकास विभाग के रिटायर्ड जूनियर इंजीनियर सुखदेव महतो का पटना के जक्कनपुर स्थित करोड़ों रुपये के आलीशान तिनमंज़िले भवन को आय से अधिक संपत्ति मामले में निगरानी विभाग द्वारा जप्त किया गया हैं ......। यह कार्रवाई बिहार विशेष न्यायालय - 2009 के अधिनियम के तहत संपति जप्ती के स्पेशल कोर्ट आर्डर के बाद किया गया था .....।


Body:यह दृश्य कटिहार के पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार के दफ्तर की हैं जहाँ भागलपुर से आयी निगरानी विभाग की टीम छापेमारी कर रही हैं । बताया जाता हैं कि यह कार्रवाई पटना में विजिलेंस डिपार्टमेंट के ट्रेप में एक्सक्यूटिव इंजीनियर अरविंद प्रसाद को ट्रेप में लाखों रुपये घुस में लेते रंगेहाथ गिरफ्तार करने के बाद की गयी हैं । इस मौके पर निगरानी विभाग के डीएसपी सुरेन्द्र कुमार सरोज ने बताया कि कई अहम सुराग हाथ लगे हैं जिसकी जाँच की जा रही हैं । उन्होंने बताया कि टॉप लाइन से जुड़े पाँच करोड़ से अधिक के पेंडिंग बिल और महत्वपूर्ण कागजात मिले हैं । कई फाइलों को खंगाला जा रहा हैं । सूत्र से सूत्र मिलाये जा रहे हैं ताकि मामले का राजफाश हो सकें । उन्होंने बताया कि सारे मामलों की निगरानी पटना से की जा रहीं हैं और जो भी निर्देश मिल रहा हैं , उसके अंतर्गत कार्रवाई की जा रही हैं.......।


Conclusion:बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त राज्य का लाख दावे कर लें लेकिन राज्य की तस्वीर ठीक उलट हैं । चारों ओर भ्रष्टाचार है , घूसखोरी का बोलबाला हैं । बिल फाइलों के पेंडिंग रहना अधिकारियों के दफ्तर की कोई नयी बात नहीं .......। यह पेंडिंग बिल फाइल के ....क्लियरयेन्स के नाम पर और वर्क ऑर्डर देने के नाम पर हर महीने ठेकेदारों से करोड़ों रुपये अवैध तरीके से वसूलते हैं और मालामाल होते हैं । निगरानी के गिरफ्तारी के बाद घूसखोर इंजीनियर की पोल तो खुल गयी , जो कि सिस्टम पर एक तमाचा भी हैं । अब देखना दिलचस्प होगा कि छानबीन में विजिलेंस को क्या - क्या हाथ लगता हैं.......।
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