कटिहार: बलरामपुर से भाकपा माले विधायक महबूब आलम ने एक बार फिर एनआरसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को घेरा है. उन्होंने एनआरसी का विरोध करते हुए बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि एनआरसी के माध्यम से एक खास समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित रख बीजेपी उनकी नागरिकता समाप्त करना चाहती है. साथ ही उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी एनआरसी का विरोध करने को कहा है.
'बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला'
महबूब आलम ने कहा कि नीतीश कुमार खुद खुलकर सामने आएं और एनआरसी पर अपना स्टैंड क्लियर करें. इसके लिए बीते बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र में विचार विमर्श करने के लिए प्रस्ताव रखा था. ताकि विधानसभा में एनआरसी के विरोध में प्रस्ताव पारित करें और एनआरसी पर रोक लगाने का मुख्यमंत्री खुद बयान दें. साथ ही यह घोषणा करें कि बिहार में एनआरसी नहीं लागू होगा, लेकिन मुख्यमंत्री का स्टैंड एनआरसी पर क्लियर नहीं है. उनके नेताओं की बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला.
केंद्र सरकार पर बोला हमला
विधायक महबूब आलम ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वह देश में विभाजन की राजनीति करना चाहती है. वह मुख्यतः अल्पसंख्यक, दलित और गरीबों की राजनीति करके उनके वोट के अधिकार को छीनना चाहती है. उन्होंने बताया कि ऐसे गरीब मजदूर और अल्पसंख्यक जो रोजी-रोटी की तलाश में पूरे देश में भटकते रहते हैं. उनके पास कागजात कहां से आएंगे. ऐसे लोग जिनका घर बाढ़ की त्रासदी से बर्बाद हो गया. ऐसे लोगों के पास कागजात कहां से आएंगे.
'1957 में लागू हुआ था सर्वेक्षण'
उन्होंने कहा कि एनआरसी के नाम पर सरकार गरीब लोगों से 1951 की कागजात मांग रही है. लेकिन देश में सर्वेक्षण 1957 में लागू हुआ था. जमींदारी उन्मूलन 1956 में हुई ऐसे में देश के गरीब जनता के पास कागजात कहां से आएंगे. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह सिर्फ मुसलमानों को वोट के अधिकार से वंचित कर उनकी नागरिकता को छीनना चाहती है. उन्होंंने कहा कि आज जो राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया जा रहा है. वह सिर्फ विभाजन की राजनीति है. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके विरोध में बयान देना चाहिए और विधानसभा में प्रस्ताव पारित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेताओं की बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला है.
राज्यसभा में पेश होगा विधेयक
बता दें कि पूरे देश में एनआरसी लागू करने के लिए देश के गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक को आज राज्यसभा में पेश करेंगे. नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो जाने के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदुओं के साथ पारसी, सिख, जैन, ईसाई और बौद्ध धर्म के लोगों को बिना कागजात के भारत की नागरिकता मिल सकती है.