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गया: 15 शिक्षकों ने मिलकर उठाया अनाथ बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा, 51 छात्रों को दे रहे हैं तालीम

प्राथमिक विद्यालय के 15 शिक्षकों ने मुस्कान फाउंडेशन बनाकर अनाथ बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है. स्कूल में गांव के आसपास की तीन पंचायतों के 51 अनाथ बच्चों को गोद लेकर उन्हें शिक्षा दी जा रही है.

प्राथमिक विद्यालय कोरमथु
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Published : Sep 6, 2019, 12:59 PM IST

गया: जिले का एक विद्यालय इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल इस विद्यालय के शिक्षक अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई का पूरा खर्चा उठा रहे हैं. साथ ही बच्चों को सरकारी स्कूल में निजी स्कूल जैसी शिक्षा दे रहे हैं. शिक्षकों के इस कार्य के कारण जिले में उनकी काफी प्रसंशा हो रही है.

Gaya
प्राथमिक विद्यालय कोरमथु

अनाथ बच्चों को गोद लेकर करा रहे पढ़ाई
नक्सल प्रभावित क्षेत्र आमस प्रखंड के कोरमथु गांव का यह प्राथमिक विद्यालय मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्कूल के 15 शिक्षकों ने मुस्कान फाउंडेशन बनाकर अनाथ बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है. स्कूल में गांव के आसपास की तीन पंचायतों के 51 अनाथ बच्चों को गोद लेकर उन्हें शिक्षा दी जा रही है.

Gaya
विद्यालय में पढाई करते बच्चे

पढ़ाई छोड़ ठेला लगाने लगा था बच्चा
विद्यालय के शिक्षक इमरोज अली ने बताया कि तीन साल पहले स्कूल के छात्र अमित के पिता की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. पिता की मौत के बाद पैसे नहीं होने के कारण छात्र पढ़ाई छोड़कर अंडे का ठेला लगाने लगा था. जब यह बात उनको पता चली तो, उन्होंने छात्र के घर जाकर उसकी मां से बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाने की बात कही. इसी घटना के बाद शिक्षकों का यह कारवां आगे बढ़ता गया. अब शिक्षक 51 अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनकी पूरी पढ़ाई का खर्चा उठा रहे हैं.

अनाथ बच्चों का ठिकाना है ये सरकारी स्कूल

बच्ची ने सुनाई दर्द भरी दास्तां
स्कूल की एक छात्रा ने बताया कि तीन साल पहले उसकी मां का निधन हो गया था. मां के नहीं रहने पर पढ़ाई बंद हो गई. जिसके बाद इमरोज सर ने घरवालों से बात कर कपड़े और स्कूल ड्रेस दिलवाई. बच्ची ने कहा कि तीन साल से इन शिक्षकों के प्रयास से पढ़ रही हूं. पढ़ाई का सारा सामान टीचर के जरिए ही दिलवाया जाता है.

गया: जिले का एक विद्यालय इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल इस विद्यालय के शिक्षक अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई का पूरा खर्चा उठा रहे हैं. साथ ही बच्चों को सरकारी स्कूल में निजी स्कूल जैसी शिक्षा दे रहे हैं. शिक्षकों के इस कार्य के कारण जिले में उनकी काफी प्रसंशा हो रही है.

Gaya
प्राथमिक विद्यालय कोरमथु

अनाथ बच्चों को गोद लेकर करा रहे पढ़ाई
नक्सल प्रभावित क्षेत्र आमस प्रखंड के कोरमथु गांव का यह प्राथमिक विद्यालय मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्कूल के 15 शिक्षकों ने मुस्कान फाउंडेशन बनाकर अनाथ बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया है. स्कूल में गांव के आसपास की तीन पंचायतों के 51 अनाथ बच्चों को गोद लेकर उन्हें शिक्षा दी जा रही है.

Gaya
विद्यालय में पढाई करते बच्चे

पढ़ाई छोड़ ठेला लगाने लगा था बच्चा
विद्यालय के शिक्षक इमरोज अली ने बताया कि तीन साल पहले स्कूल के छात्र अमित के पिता की सड़क हादसे में मौत हो गई थी. पिता की मौत के बाद पैसे नहीं होने के कारण छात्र पढ़ाई छोड़कर अंडे का ठेला लगाने लगा था. जब यह बात उनको पता चली तो, उन्होंने छात्र के घर जाकर उसकी मां से बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाने की बात कही. इसी घटना के बाद शिक्षकों का यह कारवां आगे बढ़ता गया. अब शिक्षक 51 अनाथ बच्चों को गोद लेकर उनकी पूरी पढ़ाई का खर्चा उठा रहे हैं.

अनाथ बच्चों का ठिकाना है ये सरकारी स्कूल

बच्ची ने सुनाई दर्द भरी दास्तां
स्कूल की एक छात्रा ने बताया कि तीन साल पहले उसकी मां का निधन हो गया था. मां के नहीं रहने पर पढ़ाई बंद हो गई. जिसके बाद इमरोज सर ने घरवालों से बात कर कपड़े और स्कूल ड्रेस दिलवाई. बच्ची ने कहा कि तीन साल से इन शिक्षकों के प्रयास से पढ़ रही हूं. पढ़ाई का सारा सामान टीचर के जरिए ही दिलवाया जाता है.

Intro:गया में जहां एक ओर शैक्षणिक व्यवस्था चरमरा हुआ है शिक्षक खानापूर्ति के लिए स्कूल में आते हैं। लेकिन गया के नक्सल प्रभावित क्षेत्र आमस प्रखंड के अकौना पंचायत का प्राथमिक विद्यालय कोरमथु के शिक्षक का समूह प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले अनाथ छात्रों को गोद लेकर सरकारी स्कूल में निजी स्कूल जैसा तालीम दे रहे हैं।


Body:गया मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित आमस प्रखंड के कोरमथु गांव जहां आसपास के 3 पंचायत के अनाथ बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा सरकारी स्कूल के 15 शिक्षक उठा रहे हैं। अब तक शिक्षकों का ये समूह 51 बच्चों को गोद लिया है। ये वैसे बच्चे है जिनके माता पिता का निधन हो गया है और आर्थिक तंगी से पढ़ाई छोड़ दिया है वैसे छात्रों का शैक्षणिक स्तर का सारी खर्च को शिक्षक का समूह का मुस्कान फाउंडेशन उठाता हैं।

गया में शिक्षा का लौ सरकारी शिक्षक जला रहे हैं। इस स्कूल में सरकारी सुविधा तो मिलता हैं साथ ही विद्यालय के छात्रों के शिक्षक अपने पॉकेट मनी से टाई और बेल्ट भी दिए हैं। अनाथ बच्चों के साथ स्कूल के सामान्य बच्चो को भी ये सुविधा मिला रहा है। विद्यालय के शिक्षक हर तरह प्रयास करते हैं छात्रों का बेहतर सुविधा दिया जाता है।

विद्यालय के शिक्षक सह मुस्कान फाउंडेशन के संस्थापक इमरोज अली ने बताया मैं इस विद्यालय में तीन साल से पहले आया था। तीन साल पहले एक वाक्या घटा था तब मुस्कान फाउंडेशन का स्थापना किया गया। मेरे विद्यालय के छात्र अमित कुमार के पिता तीन साल पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गया था। पिता के मौत के बाद आर्थिक तंगी के वजह से अमित पढ़ाई छोड़कर चना और अंडा बेचता था। मुझे जब पता चला तो मैं उसके घर जाकर उसके माँ से मिलकर मैं कहा आज से अमित का पूरा खर्च हम उठाएंगे। उसके बाद से ये कारवां चलता रहा है आज एक से 51 बच्चे को हमने गोद लिया है। इस संस्था के सदस्य सरकारी विद्यालय के शिक्षक है और बच्चे प्राथमिक विद्यालय के छात्र हैं। हम सभी शिक्षक आपस मे मिलकर इन बच्चों का खर्च उठाते हैं।

स्कूल के छात्रा ने बताया मेरी माँ का निधन तीन वर्ष पूर्व होगया था। मॉ के जाने के बाद स्कूल जाना बंद हो गया। इमरोज सर घर आकर मेरे घरवालों से बात किया। उन्होंने मुझे कपड़े और स्कूल के ड्रेस दिए । तीन साल से उनके प्रयास वजह से पढ़ने आ रही हूँ। सर द्वारा हमेशा कुछ न कुछ सामग्री दिया जाता है।


Conclusion:
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