गया : पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ आने वाले पिंडदानियों के लिए मोक्षधाम गया सजधज कर तैयार (Mokshadham is ready to welcome the Pindani) हो गया है. पुरखों को पिंडदान करने के लिए बिहार के गया आने वाले देश-दुनिया के पिंडदानियों का अब इंतजार हो रहा है. वैसे कई पिंड देने वाले यहां पहुंच भी गए हैं. प्रशासन और गयापाल पंडा समाज के द्वारा तीर्थ नगरी गया में आने वाले लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है. जबकि धर्मशाला, होटल, निजी आवास पिंडदानियों से भरने लगे हैं. इस बार प्रशासन द्वारा टेंट सिटी भी बनाई गई है.
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भगवान विष्णु की नगरी मोक्ष धाम गया में पिंडदान के लिए देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए पूरी तरह तैयार है. गया जिला के एक अधिकारी के मुताबिक इस वर्ष पितृपक्ष के मौके पर यहां पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. गया के जिलाधिकारी त्यागराजन एस एम ने बताया कि अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से यहां पितृपक्ष में लाखों लोग आते हैं. आने वाले लोगों को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए तत्पर है. उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पिछले दो वर्षों मेला का आयोजन नहीं होने के कारण इस साल अधिक संख्या में पिंडदानी पहुंचने वाले हैं.
''9 सितंबर से प्रारंभ होने वाले विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले में इस वर्ष लाखों श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है. इसमें देश के कोने-कोने एवं विदेशों से भी तीर्थयात्री शामिल होंगे. गया शहर में पितृपक्ष मेला से संबंधित 54 पिंडवेदी हैं. इसमें 45 पिंडवेदी एवं नौ तर्पणस्थल गया में स्थित हैं. जिला प्रशासन द्वारा सभी प्रकार की तैयारियां पंडा समिति, संवास सदन समिति, मंदिर प्रबंधन समिति एवं अन्य की सहमति एवं परामर्श से किया गया है. उन्होंने कहा कि मेला के सफल संचालन के लिए 17 समितियों का गठन किया गया है.'' - त्यागराजन एस एम, जिलाधिकारी, गया
इस वर्ष पहली बार पितृपक्ष मेला के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गांधी मैदान में दो एवं पॉलटेक्निक कॉलेज में एक टेंट सिटी बनाया गया है. जहां डेढ़ हजार श्रद्धालु रुक सकेंगे. इन टेंट सिटी में सभी सुविधा उपलब्ध कराई गई है. जिलाधिकारी ने बताया कि घाट, मंदिर, वेदी, तालाब, आवासन स्थल एवं पूरे शहर को पितृपक्ष के दौरान साफ-सुथरा रखने के लिए शहर को 52 जोन में बांटकर आउट सोसिर्ंग के माध्यम से सफाई करायी जाएगी.
जिलाधिकारी ने बताया कि मेला के दौरान विधि-व्यवस्था के लिए मेला क्षेत्र को 38 जोन में बांटकर दंडाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की जा रही है. तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, रिंग वस एवं प्रीपेड निजी टैक्सी का किराया निर्धारित कर दिया गया है.
पितृपक्ष मेला के दौरान देवघाट एवं अन्य प्रमुख स्थलों तक वृद्ध, विकलांग एवं दिव्यांगों के लिए पर्याप्त संख्या में नि:शुल्क ई-रिक्शा की व्यवस्था की जा रही है. मेला के दौरान घर बैठे पितृपक्ष मेला के संबंध में सभी तरह की सूचना उपलब्ध हो सके, इसके लिए वेबसाइट और एप भी विकसित किया गया है. इसमें आवासन, स्वास्थ्य शिविर, पुलिस शिविर, बस पड़व, वेदी, घाट, सरोवर, बैंक एटीएम, पेट्रोल पम्प इत्यादि से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई गई है. इस वर्ष पहली बार इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस (आईवीआरएस) के माध्यम से कॉल सेन्टर की स्थापना की गई है. उक्त कॉल सेंटर में कॉल कर तीर्थयात्री सीधे संबंधित पदाधिकारियों के साथ बात कर अपनी समस्या का निदान कर सकेंगे. इसके लिए आठ विभागों के 16 पदाधिकारियों की डेडिकेटेड टीम बनाई गई, जिन्हें प्रशिक्षित किया गया.
पितृपक्ष मेला को राजकीय मेले का दर्जा : बता दें कि इस मेले को राजकीय मेले का दर्जा मिला हुआ है. गयावाल पंडा समाज के जय पंडा कहते हैं, पिंडवेदी कोई एक जगह नहीं है. तीर्थयात्रियों को धार्मिक कर्मकांड में दिनभर का समय लग जाता है. वैसे में लोग पूरी तरह थक जाते हैं. ऐसे में तीर्थयात्री अपने परिवार के साथ आराम की तलाश करते हैं.
आश्विन माह के कृष्णपक्ष के पितृपक्ष पखवारे में विष्णुनगरी में अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना लिए देश ही नहीं विदेशों से भी सनातन धर्मावलंबी गयाजी आएंगे. देश में सबसे ज्यादा बंगाल, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के अलावा दक्षिण भारत के तामिलनाडु, केरल, ओडिशा, चेन्नई से सबसे ज्यादा तीर्थयात्री पिंडदानियों के आने की उम्मीद है. इसके अलावा अन्य राज्यों से पिंडदानी आते हैं. देश के अलावा नेपाल, श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, भूटान आदि देशों के हिन्दू धर्मावलंबी कर्मकांड को गयाजी आते हैं. अमेरिकी और यूरोपीय देशों में बसे हिन्दू धर्मावलंबी भी गया श्राद्ध के लिेए आते हैं.
गया में पितृपक्ष मेला 17 दिनों तक चलता है. उक्त मेला गया शहर, बोधगया सहित अन्य स्थानों में फैला होता है. इस मेले में कर्मकांड का विधि-विधान कुछ अलग-अलग है. श्रद्धालु एक दिन, तीन दिन, सात दिन, 15 दिन और 17 दिन तक का कर्मकांड करते हैं. कर्मकांड करने आने वाले श्रद्धालु यहां रहने के लिए तीन-चार महीने पूर्व से ही इसकी व्यवस्था कर चुके होते हैं.
हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितरों की आत्मा की शांति एवं मुक्ति के लिए पिंडदान अहम कर्मकांड है. अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृपक्ष या महालय पक्ष कहा जाता है, जिसमें लोग अपने पुरखों का पिंडदान करते हैं. मान्यता है कि पिंडदान करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. ऐसे तो पिंडदान के लिए कई धार्मिक स्थान हैं परंतु सबसे उपयुक्त स्थल बिहार के गया को माना जाता है.