गया: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल सक्रिय नजर आ रहे हैं. इस क्रम में शहर के स्वराजपुरी रोड मोहल्ला स्थित हादी हाशमी ऑडिटोरियम के प्रांगण में मगध मुस्लिम एकता मंच के बैनर तले एक बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें मगध प्रमंडल के तमाम मुसलमानों ने हिस्सा लिया. इस बैठक के माध्यम से मुसलमानों ने अपनी विभिन्न मांगों को रखा.
बैठक के दौरान मगध मुस्लिम एकता मंच के सदस्य इकबाल हुसैन ने कहा कि बैठक का एकमात्र उद्देश्य राजनीतिक हिस्सेदारी लेना है. उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर आज तक किसी भी पार्टी ने मुसलमानों को उनका सियासी हक नहीं दिया है. विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार यह दर्शाया गया है कि देश में मुस्लिमों की स्थिति काफी बदतर है. बावजूद इसके कि हमें कोई राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं दी गई. चाहे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन हो या महागठबंधन, किसी ने भी मुसलमानों को सियासी तरजीह नहीं दी है.
'हिस्सेदारी नहीं तो वोट नहीं'
बता दें कि इस बैठक में यह निर्णय लिया है कि अगर इस विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को राजनीतिक हिस्सेदारी नहीं मिलती है तो वे तमाम पार्टियों का विरोध करते हुए अपना प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे. वे लोग उसे ही वोट देंगे.
उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में जनसंख्या के आधार पर हिस्सेदारी दी जाती है. इस हिसाब से पूरे मगध प्रमंडल और बिहार में मुसलमानों की 16.9 प्रतिशत आबादी है. जिसके आधार पर हमें कम से कम 7 से 8 सीटें मिलनी चाहिए थी. लेकिन 2015 के चुनाव में भी एक भी सीट हमें नहीं दी गई. यही रवैया इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अपनाया जाता है तो हम सभी पार्टियों का विरोध करते हुए वोट का बहिष्कार करेंगे.