पटना: बीपीएससी संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर पटना के गर्दनीबाग स्थित धरनास्थल पर अभ्यर्थियों द्वारा सत्याग्रह किया जा रहा है. करीब एक सप्ताह से छात्र आंदोलन कर रहे हैं. इस छात्रों ने राजनीतिक दलों से उनके आंदोलन का राजनीतिकरण नहीं करने का आग्रह किया है. इसके बाद भी नेता पहुंच रहे हैं. गुरुवार 26 दिसंबर की रात जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों से मिलने धरनास्थल पर पहुंचे.
छात्रों के पक्ष में प्रशांत किशोरः देर शाम प्रशांत किशोर धरना स्थल पर पहुंचे और छात्रों के पक्ष में आवाज बुलंद किया. छात्रों के एक गुट ने प्रशांत किशोर का विरोध भी किया. दरअसल प्रशांत किशोर ने पहले कहा कि 3 दिन के भीतर अगर सरकार छात्रों की मांग नहीं मानती है तो हम छात्रों के साथ खड़े होंगे. प्रशांत किशोर के बयान पर छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया. जिसके बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि वो कल यानी की 27 दिसंबर से ही छात्रों के आंदोलन में शामिल होंगे.
नेताओं का पहुंचना जारी: बता दें कि बीपीएससी अभ्यर्थियों का प्रोटेस्ट लगातार जारी है. पिछले एक सप्ताह से छात्र परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर डटे हैं. गर्दनीबाग धरनास्थल रण क्षेत्र में तब्दील हो गया है. राजनेताओं के पहुंचने का सिलसिला भी जारी है. तेजस्वी यादव, पप्पू यादव के बाद प्रशांत किशोर बीपीएससी अभ्यर्थियों के पक्ष में उतर आए हैं. हालांकि छात्रों को अंदेशा है कि नेताओं के आने से उनका आंदोलन राजनीतिक हो सकता है.
"छात्र आंदोलन का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. जब तक छात्रों की मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. हम मजबूती से छात्रों के पक्ष में खड़े हैं. किसी भी नेता को छात्रों के आंदोलन का राजनीतिकरण करने नहीं दिया जाएगा."- डॉक्टर रहमान, शिक्षक
छात्र पीछे हटने को तैयार नहीं: 70 वीं बीएससी परीक्षा को लेकर बिहार के छात्र आंदोलनरत हैं. गर्दनीबाग धरना स्थल पर हजारों छात्र 24 घंटे बिहार लोक सेवा आयोग और सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. कड़ाके की ठंड के बावजूद छात्र और छात्राएं धरनास्थल पर डटे हैं. राजनीतिक दलों का समर्थन भी छात्रों को मिल रहा है. राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर छात्रों का समर्थन किया है.
नीतीश पर है विश्वासः धरने पर बैठे छात्र-छात्राएं लगातार रीएक्जाम के नारे लगा रहे थे. उनका कहना था कि उन्हें बीपीएससी के अध्यक्ष मनु भाई पर विश्वास नहीं है. अभ्यर्थियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही इस मामले में कोई निर्णय ले सकते हैं. उनका कहना था कि जो आरोप लग रहे हैं मुट्ठी भर छात्र आंदोलन कर रहे हैं वो आकर देख लें कि कितनी बड़ी संख्या में वे लोग यहां जुटे हुए हैं.
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