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यहां तपती धूप और लू के थपेड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं बच्चे - सरकारी स्कूल

पंचायती अखाड़ा में बना स्वंतत्र मध्य विद्यालय की तस्वीर हैरान कर देने वाली है. 45 डिग्री तापमान में मासूम खूले आसमान के नीचे पढ़ाई करते हैं.

सरकारी विद्यालय
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Published : May 2, 2019, 10:06 AM IST

गयाः शहर के पंचायती आखड़ा में 1956 से बना स्वतंत्र मध्य विद्यालय, भवन विहीन है. गर्मी के बढ़ते तापमान को देखते हुए जिला प्रशासन ने स्कूल के समय में बदलाव तो किए हैं. लेकिन खुले में पढ़ने को मजबूर इन बच्चों को तपती धूप और लू की मार झेलनी पड़ रही है.

दशकों पहले सरकारी विद्यालय भवन विहीन रहते थे. छात्र पेड़ की छांव में पढ़ाई करते थे. भारत अब 4जी के युग में है, सरकार अपनी योजना से स्कूली व्यवस्था सुधारने के दावे करती है. पंचायती अखाड़ा में बने स्वतंत्र मध्य विद्यालय की तस्वीर हैरान कर देने वाली है. 45 डिग्री तापमान में मासूम खूले आसमान में पढ़ाई करते हैं.

gaya
स्वतंत्र मध्य विद्यालय

समय बदला मौसम नहीं
यहां पढ़ने वालें छात्रों का कहना है कि वे इसी तरह कई वर्षों से खुले में पढ़ाई करते हैं. गर्मी के दिन में लू लग जाती है बरसात में भीग जाते हैं तो ठंड के मौसम में ठंड लग जाती है. पीने के लिए एक चापाकल है तो शौचालय है ही नहीं. बच्चे कहते हैं कि डीएम अंकल से निवेदन करते हैं कि आपने जैसे गर्मी को देखते हुए समय में बदलाव किए हैं, उसी तरह हमारे स्कूल में छांव और शौचालय की व्यवस्था भी कर दें.

नेताओं की नहीं पड़ती नजर
गया-पटना रोड पर स्थित स्कूल के रास्ते से शहर के विधायक, कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री, जिला के प्रभारी मंत्री, शिक्षा मंत्री आते जाते हैं. किसी ने इस स्कूल की ओर नजर नहीं फेरी.1956 में बने ये स्कूल बस तीन छोटे कंक्रीट के सहारे है और बच्चे 100 से अधिक हैं. ऐसे में स्कूल प्रबंधन ने बाहर में ही ब्लैक बोर्ड बनवा दिया और बेंच लगवा दिया.

नहीं बदल रही तस्वीर

नहीं सुधरे हालात
विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि उन्हें भी परेशानी होती है. शिक्षक भी धूप में खड़े होकर बच्चों को पढ़ाते हैं. एक शिक्षिका ने बताया कि बच्चों को दिक्कत तो है. बच्चे बीमार भी पड़ते हैं. हमलोग धूप से बचने के लिए कभी इस ओर तो कभी उस ओर कुर्सी लेकर जाते हैं. वहीं, दो शिक्षिका रोजा रखने वाली हैं इस गर्मी में खुले में उनको रहना पड़ेगा.

शिकायत के बाद भी नहीं सुधरे हालात
विद्यालय के निरीक्षण करने विभाग से अधिकारी पुनम कुमारी आती हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीने से विद्यालय का अनुश्रवण करने आ रही हूं. कई बार लिखित शिकायक विभागीय तौर पर भेजी है. इस स्कूल में सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. बच्चे इस गर्मी और शोरगुल में क्या पढेंगे. शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. बहरहाल चुनावी मौसम में नेता नए वादे लेकर आ रहे हैं लेकिन शिक्षा व्यवस्था की ये तस्वीर नई नहीं है.

गयाः शहर के पंचायती आखड़ा में 1956 से बना स्वतंत्र मध्य विद्यालय, भवन विहीन है. गर्मी के बढ़ते तापमान को देखते हुए जिला प्रशासन ने स्कूल के समय में बदलाव तो किए हैं. लेकिन खुले में पढ़ने को मजबूर इन बच्चों को तपती धूप और लू की मार झेलनी पड़ रही है.

दशकों पहले सरकारी विद्यालय भवन विहीन रहते थे. छात्र पेड़ की छांव में पढ़ाई करते थे. भारत अब 4जी के युग में है, सरकार अपनी योजना से स्कूली व्यवस्था सुधारने के दावे करती है. पंचायती अखाड़ा में बने स्वतंत्र मध्य विद्यालय की तस्वीर हैरान कर देने वाली है. 45 डिग्री तापमान में मासूम खूले आसमान में पढ़ाई करते हैं.

gaya
स्वतंत्र मध्य विद्यालय

समय बदला मौसम नहीं
यहां पढ़ने वालें छात्रों का कहना है कि वे इसी तरह कई वर्षों से खुले में पढ़ाई करते हैं. गर्मी के दिन में लू लग जाती है बरसात में भीग जाते हैं तो ठंड के मौसम में ठंड लग जाती है. पीने के लिए एक चापाकल है तो शौचालय है ही नहीं. बच्चे कहते हैं कि डीएम अंकल से निवेदन करते हैं कि आपने जैसे गर्मी को देखते हुए समय में बदलाव किए हैं, उसी तरह हमारे स्कूल में छांव और शौचालय की व्यवस्था भी कर दें.

नेताओं की नहीं पड़ती नजर
गया-पटना रोड पर स्थित स्कूल के रास्ते से शहर के विधायक, कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री, जिला के प्रभारी मंत्री, शिक्षा मंत्री आते जाते हैं. किसी ने इस स्कूल की ओर नजर नहीं फेरी.1956 में बने ये स्कूल बस तीन छोटे कंक्रीट के सहारे है और बच्चे 100 से अधिक हैं. ऐसे में स्कूल प्रबंधन ने बाहर में ही ब्लैक बोर्ड बनवा दिया और बेंच लगवा दिया.

नहीं बदल रही तस्वीर

नहीं सुधरे हालात
विद्यालय के शिक्षकों का कहना है कि उन्हें भी परेशानी होती है. शिक्षक भी धूप में खड़े होकर बच्चों को पढ़ाते हैं. एक शिक्षिका ने बताया कि बच्चों को दिक्कत तो है. बच्चे बीमार भी पड़ते हैं. हमलोग धूप से बचने के लिए कभी इस ओर तो कभी उस ओर कुर्सी लेकर जाते हैं. वहीं, दो शिक्षिका रोजा रखने वाली हैं इस गर्मी में खुले में उनको रहना पड़ेगा.

शिकायत के बाद भी नहीं सुधरे हालात
विद्यालय के निरीक्षण करने विभाग से अधिकारी पुनम कुमारी आती हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 6 महीने से विद्यालय का अनुश्रवण करने आ रही हूं. कई बार लिखित शिकायक विभागीय तौर पर भेजी है. इस स्कूल में सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. बच्चे इस गर्मी और शोरगुल में क्या पढेंगे. शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. बहरहाल चुनावी मौसम में नेता नए वादे लेकर आ रहे हैं लेकिन शिक्षा व्यवस्था की ये तस्वीर नई नहीं है.

Intro:BH_GAYA_SUJ
GAYA_GOVERNMENT_MIDDLE_SCHOOL_CHILDREN_STUDYING_IN_THE_SUMMER

गया शहर के पंचायती आखड़ा में 1956 बना स्वतंत्र मध्य विद्यालय भवन विहीन है। स्कूल के छात्र इस भीषण गर्मी में खुले आसमान में पढ़ाई करने के मजबूर है। गया में गर्मी के बढ़ते तापमान को देखते हुए जिला प्रशासन ने स्कूल के समय बदलाव किया है लेकिन इस स्कूल के छात्रों को गर्मी और लू का मार झेलना पड़ता है।


Body:दशकों पहले सरकारी विद्यालय भवन विहीन रहते थे , छात्र पेड़ के छाँव में पढ़ाई करते थे। अब भारत अब 4 जी के युग मे है सरकार अपने योजना से स्कूली व्यवस्था सुधारने की दावे करते हैं। लेकिन गया के पंचायती आखड़ा में स्वंतत्र मध्य विद्यालय आधुनिक युग मे भी सरकार के दावे का पोल खोलता है। शहर में स्थित सरकारी स्कूल की तस्वीर हैरान कर देती है। इस तस्वीर पर ना आप और ना ही सरकार की मुखिया यकीन करेगे लेकिन सच है 45 डिग्री के गर्मी में मासूम बच्चे खुले आसमान में पढ़ाई करते हैं।

स्कूल के छात्र - छात्रा ने बताया हमलोग कई वर्षों से खुले में पढ़ाई करते हैं। गर्मी के दिन में लू लग जाती है बरसात में हमसभी भींग जाते हैं तो ठंड के मौसम में ठंड लग जाती है। पीने के लिए एक चापाकल हैं लेकिन शौचालय नही है। डीएम अंकल से निवेदन करते हैं आपने गर्मी को देखते हुए समय मे बदलाव किए हैं उसी तरह हमारे स्कूल में छाँव और शौचालय की व्यवस्था कर दे।

गया पटना रोड पर स्थित स्कूल के रास्ते से शहर के विधायक सह कृषि मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, जिला के प्रभारी मंत्री शिक्षा मंत्री आते जाते हैं। किसी ने इस स्कूल के ओर नजर नही फेरा। 1956 बना स्कूल में बस तीन छोटे कंक्रीट के सहारे है। बच्चे 100 से अधिक है ऐसे में स्कूल प्रबंधन ने बाहर में ही ब्लैक बोर्ड बनवा दिया और बेंच लगवा दिया। मासूम बच्चे सुशासन की सरकार में खुले आसमान में पढ़ाई कर भारत को 4जी से 5 जी बनाने का सपना संजोय रहे हैं।


Conclusion:विद्यालय के छात्रों के साथ शिक्षकों भी परेशानी है। शिक्षक भी धूप में खड़े होकर बच्चों को पढ़ाते हैं। स्कूल की शिक्षिका बताती है बच्चों को दिक्कत तो है। बच्चे बीमार भी पड़ते हैं। हमलोग धूप से बचने के लिए कभी इस ओर तो कभी उस ओर कुर्सी लेकर जाते हैं। दो शिक्षिका रोजा रखने वाली हैं इस गर्मी में खुले में उनको रहना पड़ेगा।

विद्यालय के निरीक्षण करने विभाग से अधिकारी पूनम कुमारी आती है। उन्होंने बताया मैं पिछले छः माह से विद्यालय का अनुश्रवण करने आ रही हूं। कई बार लिखित विभागीय तौर पर भेजी हूं। इस स्कूल में सिर्फ खानापूर्ति हो रहा है। बच्चे इस गर्मी और शोरगुल में क्या पढेंगे। शौचालय तक कि व्यवस्था नही है। कितने बच्चे तो बीमार पड़गे हैं।
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