भागलपुर: बिहार के भागलपुर के मैंगो मैन अशोक चौधरी (Bhagalpur Mango Man Ashok Choudhary) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जर्दालु आम चखाना चाहते हैं. लेकिन, इस बार मौसम टेंशन दे रहा है. देश के खास लोगों को हर साल भागलपुर के जर्दालु आम का इंतजार रहता है, लेकिन इस साल 75 से 80 प्रतिशत से भी कम आम का उत्पादन होगा. आधे से अधिक बगीचों में इस साल आम के पेड़ पर मंजर नहीं आया है. जिन पेड़ों में मंजर आया है, उनमें से 75 से 80 प्रतिशत पेड़ों में गर्मी की वजह से मंजर जल गए.
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जर्दालु आम के उत्पादन पर असर: मार्च में अचानक तेज गर्मी पड़ने की वजह से जर्दालु आम के मंजर जल रहे हैं. जिससे इस साल आम के उत्पादन पर असर पड़ सकता है. इसके बावजूद कृषि विभाग (Agriculture Department) इस साल आम को विदेश भेजने की तैयारी में जुट गया है. हर साल यह आम देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत और भी कई विशिष्ट हस्तियों के यहां आम भेजे जाते हैं.
1500 टन उत्पादन की संभावना: भागलपुर जिले में लगभग 600 हेक्टेयर में जर्दालु का उत्पादन होता है, जिसमें 300 हेक्टेयर में अभी क्षेत्र विस्तार के तौर पर जर्दालु के पेड़ लगाए गए हैं, जिसमें अभी फल नहीं आता है, बाकी बचे 300 एकड़ में लगभग 5000 से 5500 टन जर्दालु आम का उत्पादन प्रतिवर्ष किया जाता है. इस बार की स्थिति देखकर किसान अनुमान लगा रहे हैं कि 1000 से 1500 टन ही जर्दालु आम का उत्पादन (Jardalu Mangoes Production will be less this Year) हो पाएगा.
रेड कैटरपिलर भी बना चुनौती: जो उत्पादन होना है उसे भी कीटनाशी का प्रयोग कर इसे संरक्षित रखने की जरूरत है. भागलपुर के पूर्वी इलाके से ऐसी सूचना आ रही है कि रेड कैटरपिलर का दंश शुरू हो चुका है. यह ऐसा कीड़ा है जो पूरे बाग के लगभग 80 से 90 फीसदी फल को नष्ट कर देता है. रेड कैटर पिलर एक ऐसा कीड़ा है जो आम के टिकोला को नीचे से छेद कर पूरी तरह से बर्बाद कर देता है, जिसके बाद फल पेड़ से टूट कर नीचे गिर जाता है.
तपिश की वजह से भी जले मंजर: ठंड ज्यादा दिन रहने की वजह से अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष मंजर अधिक देर से आया है. मगर बढ़ते तापमान की वजह से आम के मंजर सूखने और काले पड़ने लगे हैं. जिससे जर्दालु और अन्य आम की फसल पर काफी ज्यादा असर पड़ा है. लगभग 75 से 80 फीसदी आम की फसल को नुकसान पहुंचा है. जब आम का मंजर आया तो तापमान इतना ज्यादा बढ़ गया की तपिश की वजह से मंजर जलने लगे और मधुआ कीट ने पूरी तरह से फसल को प्रभावित कर दिया. अब रेड कैटरपिलर से अगर बच जाता है तब तो ठीक है नहीं तो कहना काफी मुश्किल है कि जर्दालु आम का स्वाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चख पाएंगे या नहीं.
किसानों को थी अच्छे उत्पादन की उम्मीद: अन्य वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष अत्यधिक आम होने की किसानों को उम्मीद थी, मगर अचानक मौसम में आए बदलाव और बढ़ते तापमान से आम फसल को क्षति पहुंचने की आशंका से परेशान किसानों की चिंता बढ़ी है. देर से ही सही मगर इस साल आम के मंजरों से भरा बगीचा देखकर किसान उत्साहित थे. अन्य सालों की अपेक्षा इस साल अत्यधिक आम होने की किसानों को उम्मीद थी, लेकिन अचानक मौसम में आए बदलाव और बढ़ते तापमान से आम फसल को क्षति पहुंचने की आशंका से परेशान किसानों की चिंता बढ़ने लगी है.
'किसान कीटनाशक का करें प्रयोग': कृषि विभाग भागलपुर की BTM श्रद्धा गर्ग कहती हैं कि इस साल पेड़ में लगने वाले मधुवा रोग का ज्यादा प्रभाव रहेगा. मधुवा रोग भुगना नामक छोटा स्लेटी और गहरे रंग का फुदकने वाला कीट है. यह छोटे बच्चे और वयस्क दोनों ही आम के मंजरों, नई शाखाओं और पत्तियों का रस पी जाता है. इसके कारण मंजर सूख जाते हैं और फल भी सूखकर गिर जाता है. यह कीट एक चिपकने वाला मधु जैसा पदार्थ पैदा करता है. इससे पत्तियों पर काली फफूंद जम जाती है और पूरी पत्ती काली हो जाती है.
''कीट से बचने के लिए कीटनाशक का छिड़काव अप्रैल से मई माह तक तीन बार किया जाना चाहिए. छिड़काव के लिए लेंबडा साई एलोथ्रीन एक एमएल प्रति लीटर या रोगर दो एमएल प्रति लीटर की दर से प्रति वयस्क पेड़ 25 लीटर घोल बनाकर उससे मंजर और पेड़ की टहनी और डंठल, पत्ते पर भी इतना छिड़काव करें, जिससे कि पूरा पेड़ भींग जाए.''- श्रद्धा गर्ग, BTM, कृषि विभाग भागलपुर
हालांकि, जिन किसानों ने आम में मंजर आने से पूर्व बगीचे की सिंचाई की होगी, उन बगीचों में लगे आम के मंजर को गर्मी में भी राहत मिलेगी, इसलिए आम बगीचे की मिट्टी को नम बनाए रखना लाभप्रद होता है, लेकिन मंजर आने के बाद बगीचे की सिंचाई करना आम की फसल के लिए घातक साबित हो सकता है. मटर के दाने के बराबर फल हो जाने के बाद इमिडाक्लोरप्रीड (17.8 एस.एल.) एक मिलीलीटर दवा प्रति दो लीटर पानी में और हैक्साकोनाजोल एक मिली. लीटर पानी या डाइनोकैप (46 ई0सी0) एक मिली. दवा प्रति एक लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से मधुवा का असर कम होगा.
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