भागलपुर: त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसा (Trikut Ropeway Accident) में फंसे लोगों को निकालने के लिए तीन दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला. कई घंटों तक जिंदगी मौत के बीच झूले लोगों का दर्द अब बाहर आने लगा है. देवघर के त्रिकुट पर्वत पर हुए हादसे में भागलपुर के एक ही परिवार के बच्ची समेत 6 लोग फंसे थे. यह सभी तीन नंबर ट्रॉली में सबसे ऊंचाई पर थे. आज सपरिवार सकुशल वापस लौट आए हैं.
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भागलपुर के परिवार ने बयां किया दर्द: की मुखिया कौशल्या देवी ने दर्द बयां करते हुए बताया कि सबसे ज्यादा ऊंचाई पर हम 24 घंटे तक फंसे रहे थे. उम्मीद छोड़ दिये थे कि वापस भी जा पाएंगे या नहीं. लेकिन, सेना के जवानों के आने के बाद सोमवार को 4 बजे के करीब वापस लौटे. जब हम सभी निकल गए उसके बाद हमारे आगे वाली ट्रॉली से एक लड़का गिर गया था. उन्होंने कहा सरकार अगर व्यवस्था नहीं कर सकती है तो इस तरह ट्रॉली चलाने से क्या फायदा है. अब कभी नहीं जाएंगे. हम सैनिकों के शुक्रगुजार हैं, जिन्होंने मदद की.
24 घंटे से ट्रॉली में फंसे थे भूखे प्यासे: वहीं, बच्ची अनन्या ने बताया कि फंसने के बाद (Deoghar Ropeway Accident Jharkhand) कुछ नहीं मिला हम सभी भूखे प्यासे थे. ऐसा लग रहा था कि नीचे गिर जाएंगे. लेकिन, सेना के जवान हमें वापस लेकर आए हैं. सकुशल घर आने के बाद परिवार के सभी लोग खुश हैं और एक दूसरे को मिठाई खिला रहे हैं.
तीन दिनों तक चला ऑपरेशन: त्रिकूट पर्वत रोपवे हादसे में फंसे लोगों को निकालने के लिए तीन दिनों तक ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान 60 लोग सुरक्षित निकाले गए, जबकि तीन लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी. सेना ने दो दिनों में 34 लोगों को रेस्क्यू किया, इस दौरान दो लोगों की मौत हुई, जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल है. 11 अप्रैल को सुबह से एनडीआरएफ की टीम ने 11 जिंदगियां बचाईं, जिसमें एक छोटी बच्ची भी शामिल थी. इससे पहले हादसे के दिन 10 अप्रैल को रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
हादसा कब और कैसे हुआ: 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन बड़ी संख्या में लोग रोपवे के सहारे त्रिकूट पर्वत का भ्रमण करने पहुंचे थे. इसी बीच शाम के वक्त त्रिकूट पर्वत के टॉप प्लेटफार्म पर रोपवे का एक्सेल टूट गया. इसकी वजह से रोपवे ढीला पड़ गया और सभी 24 ट्रॉली का मूवमेंट रूक गया. रोपवे के ढीला पड़ने की वजह से दो ट्रॉलियां या तो आपस में या चट्टान से टकरा गईं. रोपवे का मेंटिनेंस करने वाले पन्ना लाल ने स्थानीय ग्रामीणों की मदद से 15 लोगों को बचाया था.
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