भागलपुर: 5 साल बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने 12 जुलाई से अपने सचिवालय (Secretariat) में फिर से जनता दरबार (Janta Darbar) शुरू किया गया है. इस जनता दरबार में महीने के प्रत्येक सोमवार को बिहार के अलग-अलग जिले से फरियादी (Complainant) अपने फरियाद (Complaint) लेकर पहुंच रहे हैं. उसी कड़ी में भागलपुर से रविवार को दर्जनों फरियादी रवाना हुए.
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सभी फरियादियों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री के दरबार में उनकी समस्या का निदान हो जाएगा. अधिकतर फरियादी की शिकायत अधिकारियों के खिलाफ ही है, वहीं जिला प्रशासन द्वारा सभी फरियादी को भेजने के लिए मुकम्मल व्यवस्था की गई थी. सभी फरियादी को कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए एक बस से रवाना किया गया.
बस में खाने-पीने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई है. अब इस पर राजनीतिक शुरू हो गई है. कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने जनता दरबार में हो रहे खर्च पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि अधिकतर फरियादी की शिकायत अधिकारियों के खिलाफ ही होता है.
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'फरियादी को लाने ले जाने और पटना में ठहरने से लेकर खाने पीने की व्यवस्था सरकारी पैसे से किया जा रहा है. मुख्यमंत्री को चाहिए कि जो पदाधिकारी दोषी और लापरवाही बरतते हैं उनके वेतन में से काट कर खर्च-व्यय किया जाए.' : अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता
जनता दरबार में शामिल होने के लिए जा रही गोराडीह की ग्रामीण आवास सहायक रूबी देवी ने बताया कि गोराडीह प्रखंड में 3 साल तक काम करने के बाद स्थानांतरण शाहकुंड में कर दिया. उस समय छोटा बच्चा होने के कारण वहां आने-जाने में परेशानी हो रही थी, फिर स्थानांतरण के लिए जिला में आवेदन दिया.
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लेकिन आज तक स्थानांतरण नहीं हुआ. जिले में जब जानकारी लेने के लिए आते हैं तो बताया जाता है कि आवेदन को विभाग में भेजा गया है. निर्देश मिलने पर आगे बताया जाएगा. आज तक विभाग से निर्देश नहीं आया है. इसलिए आज जनता दरबार जा रही हूं. उन्हें उम्मीद है कि वहां समस्या का समाधान हो जाएगा.
'2019 में संपदा पदाधिकारी को नाम ट्रांसफर करने को लेकर आवेदन दिया था लेकिन अब तक नाम ट्रांसफर नहीं हो पाया है. इसलिए वे मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जा रहे हैं. जहां उनकी समस्या का समाधान हो जाएगा. जिस व्यवस्था के साथ उन्हें जनता दरबार भेजा जा रहा है. इसी तत्परता के साथ अधिकारी उनके आवेदन पर संज्ञान लेते हुए काम कर दिया होता तो इस व्यवस्था की जरूरत नहीं होती.' : समीर कुमार, फरियादी
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सनहौला प्रखंड के महेशपुर घनश्यामाचक पंचायत के रहने वाले गोपाल मंडल ने कहा कि 2010 में किसान सहायक को लेकर उन्होंने आवेदन भरा था लेकिन उसमें उनकी नियुक्ति नहीं हुई. उन्होंने कहा कि नियुक्ति के लिए जो नियम था, उस नियम को भागलपुर में अधिकारियों ने नहीं अपनाया
जिसके बाद उन्होंने आरटीआई किया. आरटीआई में अपर निदेशक पटना का जांच प्रतिवेदन प्राप्त हुआ. जिसमें बताया कि किसान सलाहकार के चयन में सरकारी निर्देशों का पूर्णता पालन नहीं हुआ. इसके बाद प्रधान सचिव द्वारा मेरे आवेदन पर कार्रवाई को लेकर संचिका भेजा गया.
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लेकिन आज तक डीएम कार्यालय में संचिका पड़ी हुई है और कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि इस उम्मीद से मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जा रहे हैं कि जो दोषी पदाधिकारी हैं, उस पर कार्रवाई होगी. न्याय मिलेगा. जो खातिरदारी अभी की जा रही है, यदि उनके आवेदन पर तत्परता के साथ काम कर दिया जाता तो आज यह जरूरत नहीं पड़ती .
'अधिकतर फरियादी का शिकायत अधिकारियों के खिलाफ होता है. अधिकारी अपने काम को सही तरीके से नहीं करते हैं. इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए कि जो अभी जनता दरबार में फरियादी के लाने ले जाने से लेकर रहने में जो खर्च हो रहा है. उस पैसे की उगाही दोषी पदाधिकारी के वेतन से किया जाए.' : अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता
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'सरकारी पैसे का खर्च दरबारी के ले जाने.और आने में हो रहा है. वह जनता का पैसा है, जबकि अधिकारी की लापरवाही से फरियादी के काम नहीं होते हैं. इसलिए जरूरी है ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए. उन्हें दंडित किया जाए.' : अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता
बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ने चुनावी सभा में कहा था कि फिर से जनता दरबार लगाऐंगे. जिसकी शुरुआत 12 जुलाई से हुई है. जनता दरबार 2016 में बंद हो गई थी. जो फिर से शुरू हुआ है. इस बार नियमों में बदलाव किया गया है. आवेदन ऑनलाइन मंगाया जा रहा है. फरियादी का चयन होने के बाद पटना मुख्यमंत्री जनता दरबार आने-जाने तक की सुविधा जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है. जिला प्रशासन द्वारा बस और खाने की व्यवस्था किया जा रहा है.
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