नवादा: एक ओर जहां सूबे की सरकार तालाब को संरक्षित करने की बात करती है. वहीं दूसरी ओर कई ऐसे तालाब हैं जो अपने अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में है. कुछ ऐसी ही स्थिति है नवादा शहर के मध्य हरिश्चंद्र स्टेडियम से सटे पुराने तालाब की.
तालाब बना डंपिंग जोन
इस तालाब में अब शहर के गंदे नाले का पानी और कूड़े-कचड़े का डंपिंग किया जाता है. प्रशासन की लापरवाही और शहरवासियों की मनमानी के कारण ऐसा हो रहा है. तालाब दिन-ब-दिन सिकुड़ता जा रहा है.
मछली के शौकीनों के लिए था सबसे पसंदीदा अड्डा
मछलियों की अलग-अलग प्रजातियां इस तालाब से निकलती थी. यही वजह थी कि लोग सुबह उठते ही इस तालाब की ओर रुख करते थे. अपनी मन पसंदीदा मछली जैसे रेहू, केतला आदि के लिए लोगों की लाइन लगती थी. लेकिन अब सबकुछ खत्म चुका है.
पानी दूषित होने के कारण बंद हो गया मछली पालन
महज दो दशक पहले तक यहां ताजी मछलियों का अंबार लगा होता था. लेकिन जब से शहर के कूड़े-कचरे और नाले का पानी इसमें छोड़े जाने लगा है तब से यह तालाब काफी दूषित हो गया है. पानी दूषित होने के करण मछलियां मर गई. इससे मतस्य पालकों को काफी नुकसान हुआ है.
क्या कहते हैं मत्स्य पदाधिकारी
इस बाबत मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपाल अभियंता इक़बाल हुसैन का कहना है कि मामले पर संज्ञान लिया गया है. तालाब के सौंदर्यीकरण और मतस्य पालकों के हित के लिये काम किये जायेंगे. इसके लिए अधिकारियों के प्रस्ताव भेजा गया है.