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कभी इस तालाब में लगता था मछलियों का अंबार, आज अपनी बदहाली पर बहा रहा आंसू

कहा जाता है कि पहले इस तालाब में व्यापक स्तर पर मछलियों का पालन होता था. मछलियों की कई प्रजातियां यहां उपलब्ध होती थी. लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि यह तालाब महज एक डंपिंग जोन बनकर रह गया है.

तालाब बना डंपिंग जोन
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Published : Jun 12, 2019, 11:34 AM IST

नवादा: एक ओर जहां सूबे की सरकार तालाब को संरक्षित करने की बात करती है. वहीं दूसरी ओर कई ऐसे तालाब हैं जो अपने अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में है. कुछ ऐसी ही स्थिति है नवादा शहर के मध्य हरिश्चंद्र स्टेडियम से सटे पुराने तालाब की.

तालाब बना डंपिंग जोन
इस तालाब में अब शहर के गंदे नाले का पानी और कूड़े-कचड़े का डंपिंग किया जाता है. प्रशासन की लापरवाही और शहरवासियों की मनमानी के कारण ऐसा हो रहा है. तालाब दिन-ब-दिन सिकुड़ता जा रहा है.

nawada
स्थानीय

मछली के शौकीनों के लिए था सबसे पसंदीदा अड्डा
मछलियों की अलग-अलग प्रजातियां इस तालाब से निकलती थी. यही वजह थी कि लोग सुबह उठते ही इस तालाब की ओर रुख करते थे. अपनी मन पसंदीदा मछली जैसे रेहू, केतला आदि के लिए लोगों की लाइन लगती थी. लेकिन अब सबकुछ खत्म चुका है.

पेश है रिपोर्ट

पानी दूषित होने के कारण बंद हो गया मछली पालन
महज दो दशक पहले तक यहां ताजी मछलियों का अंबार लगा होता था. लेकिन जब से शहर के कूड़े-कचरे और नाले का पानी इसमें छोड़े जाने लगा है तब से यह तालाब काफी दूषित हो गया है. पानी दूषित होने के करण मछलियां मर गई. इससे मतस्य पालकों को काफी नुकसान हुआ है.

nawada
मतस्य अधिकारी

क्या कहते हैं मत्स्य पदाधिकारी
इस बाबत मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपाल अभियंता इक़बाल हुसैन का कहना है कि मामले पर संज्ञान लिया गया है. तालाब के सौंदर्यीकरण और मतस्य पालकों के हित के लिये काम किये जायेंगे. इसके लिए अधिकारियों के प्रस्ताव भेजा गया है.

नवादा: एक ओर जहां सूबे की सरकार तालाब को संरक्षित करने की बात करती है. वहीं दूसरी ओर कई ऐसे तालाब हैं जो अपने अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में है. कुछ ऐसी ही स्थिति है नवादा शहर के मध्य हरिश्चंद्र स्टेडियम से सटे पुराने तालाब की.

तालाब बना डंपिंग जोन
इस तालाब में अब शहर के गंदे नाले का पानी और कूड़े-कचड़े का डंपिंग किया जाता है. प्रशासन की लापरवाही और शहरवासियों की मनमानी के कारण ऐसा हो रहा है. तालाब दिन-ब-दिन सिकुड़ता जा रहा है.

nawada
स्थानीय

मछली के शौकीनों के लिए था सबसे पसंदीदा अड्डा
मछलियों की अलग-अलग प्रजातियां इस तालाब से निकलती थी. यही वजह थी कि लोग सुबह उठते ही इस तालाब की ओर रुख करते थे. अपनी मन पसंदीदा मछली जैसे रेहू, केतला आदि के लिए लोगों की लाइन लगती थी. लेकिन अब सबकुछ खत्म चुका है.

पेश है रिपोर्ट

पानी दूषित होने के कारण बंद हो गया मछली पालन
महज दो दशक पहले तक यहां ताजी मछलियों का अंबार लगा होता था. लेकिन जब से शहर के कूड़े-कचरे और नाले का पानी इसमें छोड़े जाने लगा है तब से यह तालाब काफी दूषित हो गया है. पानी दूषित होने के करण मछलियां मर गई. इससे मतस्य पालकों को काफी नुकसान हुआ है.

nawada
मतस्य अधिकारी

क्या कहते हैं मत्स्य पदाधिकारी
इस बाबत मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपाल अभियंता इक़बाल हुसैन का कहना है कि मामले पर संज्ञान लिया गया है. तालाब के सौंदर्यीकरण और मतस्य पालकों के हित के लिये काम किये जायेंगे. इसके लिए अधिकारियों के प्रस्ताव भेजा गया है.

Intro:नवादा। एक ओर जहां सूबे की सरकार तालाब बचाने की बात हो उसे संरक्षित करने की बात कर रही है वहीं, दूसरी ओर कई ऐसे तालाब हैं जो अपनी अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में लगी हुई है । ऐसे एक तालाब है नवादा शहर के मध्य हरिश्चंद्र स्टेडियम से सटे पुरानी तालाब की। इसके बारे में कहा जाता है कि,पहले इस तालाब में व्यापक स्तर पर मछलियां पाले जाते थे। मछलियों की अलग-अलग किस्में यहां उपलब्ध हो जाती थी लेकिन अब इसके हालात ऐसे हैं कि यह महज डंपिंग जोन बनकर रह गया।

सिमट गया साढ़े चार एकड़ का तालाब

प्रशासन की लापरवाही और कुछ स्थानीय शहरवासियों की मनमानी की वजह से यह तालाब अब शहर गंदे नाली के पानी और शहर के कूड़े-कचड़े का डंपिंग जोन बनकर रह गया है। तालाब दिनोंदिन सिकुड़ती ही जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है मानो तालाब अब डबड़ा का रूप ले लिया हो।

मछली के शौकीन के लिए था सबसे पसंदीदा अड्डा

मछलियों की अलग-अलग किस्में इस तालाब से निकलती थी। यही वजह थी कि लोग सुबह उठते ही इस तालाब की तरफ कूच कर जाते थे। और अपनी पसंद के मछलियां जैसे रोहू, केतला आदि के लिए लाइन लगते थे। लेकिन अब सबकुछ खत्म हो चुका है।


पानी दूषित होने के कारण बंद हो गई मछली पालन

महज दो दशक पहले तक यहां ताजी मछलियों का अंबार लगा होता था और मछली के शौकीनों की लंबी लाइन। लेकिन जब से शहर के मोहल्ले की सारी गंदी पानी इसमें छोड़े जाने लगे तब से यह तालाब काफी दूषित होता चला गया। जिसके कारण इसमें मछली पालन करनेवाले जलकारों को पूंजी का काफी नुकसान होने लगा। तबसे मछली पालन इस तालाब में बंद ही हो गया।


क्या कहते हैं मिथिलेश केवट

मछुआरे मिथिलेश केवट का कहना है कि, पहले यहां काफी मछलियां हुआ करती थी लेकिन शहर के अस्पताल कॉलोनियों के गंदे पानी से इस तालाब का पानी काफी दूषित हो गया कुछ वर्ष पूर्व इसमें मछली पाला गया था पर पानी दूषित होने के करण मछलियां मर गई थी जिसके बाद से मछली पालन बिल्कुल बंद ही हो गया।


क्या कहते हैं पदाधिकारी


मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपाल अभियंता इक़बाल हुसैन का कहना है अभी पुनर्जीवित करने का मौका है हमलोग इसके लिए प्रस्ताव भेजे हैं।







Body:म


Conclusion:सवाल ये उठता है आखिर तालाब के इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है? क्या तालाब उड़ाही या संरक्षण के दिशा में किए जा रहे सरकार के कार्य से एकबार फिर यह तालाब पुनर्जीवित हो पाएगी?
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