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AES को लेकर डेंजर जोन में पूर्वी चंपारण, लोगों में जानकारी का है अभाव - hospital

बिहार में एईएस का कहर लगातार जारी है. रोजाना दर्जनों बच्चें मौत की नींद सो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी की जानकारी लोगों को है. लेकिन इसके लक्षण और बचाव के तरीके की जानकारी का अभाव है.

AES को लेकर डेंजर जोन में पूर्वी चंपारण
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Published : Jun 18, 2019, 8:20 AM IST

मोतिहारी: बच्चों के लिए जानलेवा बनी एईएस को लेकर पूर्वी चंपारण जिला को डेंजर जोन में रखा गया है. मुजफ्फरपुर से सटे सीमा क्षेत्र के प्रखंड इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित हैं. जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट रहने का दावा कर रही है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी की जानकारी होने के बावजूद इसके लक्षण और बचाव के तरीके की जानकारी का अभाव है.

लोगों में जानकारी का है अभाव
एईएस से जिले में मचे तांडव से ग्रामीण क्षेत्र के लोग अनभिज्ञ नहीं हैं. लेकिन उनके बीच जागरुकता का अभाव है. इस बीमारी के क्या लक्षण है और इस बीमारी से अपने बच्चों को कैसे बचाया जाए, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज की व्यवस्था से अनभिज्ञ लोग प्राईवेट नर्सिंग होम में महंगा इलाज कराने को मजबूर हैं.

लोगों के बीच जागरूकता का अभाव

सरकार की ओर से नहीं दी गई जानकारी
ग्रामीणों का कहना है कि केवल अखबार और टीवी से इस बीमारी के बारे में जानकारी मिल रही है. सरकारी स्तर पर किसी ने भी इस बीमारी के लक्षण,बचाव या इलाज के बारे में नहीं बताया है.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इधर सिविल सर्जन का कहना है कि गरीब तबके के लोगों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है. उन्होनें लोगों से अपील की कि वो अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं और रात को खाना जरूर खिलाएं. इस बीमारी का लक्षण बुखार और चमकी है. अभी तक इसके वायरस का पता नहीं चल पाया है. यह बीमारी अभी तक लाइलाज है.

मोतिहारी: बच्चों के लिए जानलेवा बनी एईएस को लेकर पूर्वी चंपारण जिला को डेंजर जोन में रखा गया है. मुजफ्फरपुर से सटे सीमा क्षेत्र के प्रखंड इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित हैं. जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट रहने का दावा कर रही है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी की जानकारी होने के बावजूद इसके लक्षण और बचाव के तरीके की जानकारी का अभाव है.

लोगों में जानकारी का है अभाव
एईएस से जिले में मचे तांडव से ग्रामीण क्षेत्र के लोग अनभिज्ञ नहीं हैं. लेकिन उनके बीच जागरुकता का अभाव है. इस बीमारी के क्या लक्षण है और इस बीमारी से अपने बच्चों को कैसे बचाया जाए, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है. सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज की व्यवस्था से अनभिज्ञ लोग प्राईवेट नर्सिंग होम में महंगा इलाज कराने को मजबूर हैं.

लोगों के बीच जागरूकता का अभाव

सरकार की ओर से नहीं दी गई जानकारी
ग्रामीणों का कहना है कि केवल अखबार और टीवी से इस बीमारी के बारे में जानकारी मिल रही है. सरकारी स्तर पर किसी ने भी इस बीमारी के लक्षण,बचाव या इलाज के बारे में नहीं बताया है.

पेश है रिपोर्ट

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इधर सिविल सर्जन का कहना है कि गरीब तबके के लोगों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है. उन्होनें लोगों से अपील की कि वो अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं और रात को खाना जरूर खिलाएं. इस बीमारी का लक्षण बुखार और चमकी है. अभी तक इसके वायरस का पता नहीं चल पाया है. यह बीमारी अभी तक लाइलाज है.

Intro:मोतिहारी।बच्चों के लिए जानलेवा बनी एईएस जेई बिमारी को लेकर पूर्वी चंपारण जिला को डेंजर जोन में रखा गया है।मुजफ्फरपुर से सटे सीमाई क्षेत्र के प्रखंड इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित हैं।जिले का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट रहने का दावा कर रही है।लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी के बारे में जानकारी होने के बावजूद बीमारी के लक्षण और बचाव के तरीके की जानकारी का अभाव है।


Body:एईएस के जिले में मचे तांडवसे ग्रामीण क्षेत्र के लोग अनभिज्ञ नहीं हैं।लेकिन उनके बीच जागरुकता का अभाव है।इस बीमारी के क्या लक्षण है और इस बीमारी से अपने बच्चों को कैसे बचायें इसकी जानकारी नहीं है।सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के ईलाज की व्यवस्था से अनभिज्ञ लोग प्राईवेट नर्सिंग होम में महंगा ईलाज कराने को मजबूर हैं।


Conclusion:ग्रामीणों का कहना है कि केवल अखबार और टीवी से इस बीमारी के बारे में जानकारी मिल रही है।लेकिन सरकारी स्तर पर किसी ने भी इस बीमारी के लक्षण और बचाव के अलावा ईलाज के बारे में नहीं बताया है।जबकि सीएस का कहना है कि गरीब तबके में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिल रहा है और यह अभी तक लाईलाज है।
बाईट.....श्रीपति देवी
बाईट.....कुसुम देवी
बाईट.....उमरावती देवी
बाईट......रामायण पासवान
बाईट......डा. बीके सिंह....सिविल सर्जन,पूर्वी चंपारण
पीटीसी
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