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समस्तीपुर: बिचड़े बोने की तैयारी में किसान, क्या मॉनसून होगा मेहरबान - बारिश

पिछले कुछ दिनों से जिले में हो रही बारिश को देखते हुए किसानों ने बिचड़े बोने का काम भी शुरू कर दिया है. लेकिन इनके चेहरे पर मायूसी है. इन्हें डर है कि अगर इस साल भी मानसून बेहतर नहीं रहा तो इस बिचड़े का भविष्य क्या होगा.

बिचड़े बोने की तैयारी में किसान
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Published : Jun 28, 2019, 4:39 PM IST

समस्तीपुर: देर से ही सही लेकिन मॉनसून की बूंदों से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. धान को लेकर बिचड़े बोने का काम भी शुरू हो गया. लेकिन अन्नदाता को यह चिंता सता रही है कि अगर इस साल भी मानसून बेहतर नहीं रहा तो इस बिचड़े का भविष्य क्या होगा.

बिचड़े बोने की तैयारी में किसान
जिले में इस साल पानी की एक-एक बूंद को लेकर त्राहिमाम मचा है. जल स्तर के कई फीट नीचे चले जाने से जहां बोरिंग भी फेल है, वहीं जिले में प्री मानसून ने भी पूरी तरह दगा दे दिया. वैसे बीते एक-दो दिनों से मॉनसून कुछ मेहरबान है. बारिश को देखते हुए किसान धान के खेती को लेकर बिचड़े बोने की तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन इनके पर चेहरे चिंता जरूर है. पिछले साल कम बारिश होने से इन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा था.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था की उम्मीद
किसानों की चिंता लाजिमी भी है. इस साल जिले में जलस्तर काफी नीचे चला गया है. इनके पास सिंचाई के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं दी जा रही है . हालांकि किसान सलाहकार के अनुसार, मानसून कमजोर होने के स्थिति में किसानों को पटवन के लिए डीजल सब्सिडरी से लेकर बिजली आदि की व्यवस्था दी जायेगी

समस्तीपुर: देर से ही सही लेकिन मॉनसून की बूंदों से किसानों के चेहरे खिल गए हैं. धान को लेकर बिचड़े बोने का काम भी शुरू हो गया. लेकिन अन्नदाता को यह चिंता सता रही है कि अगर इस साल भी मानसून बेहतर नहीं रहा तो इस बिचड़े का भविष्य क्या होगा.

बिचड़े बोने की तैयारी में किसान
जिले में इस साल पानी की एक-एक बूंद को लेकर त्राहिमाम मचा है. जल स्तर के कई फीट नीचे चले जाने से जहां बोरिंग भी फेल है, वहीं जिले में प्री मानसून ने भी पूरी तरह दगा दे दिया. वैसे बीते एक-दो दिनों से मॉनसून कुछ मेहरबान है. बारिश को देखते हुए किसान धान के खेती को लेकर बिचड़े बोने की तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन इनके पर चेहरे चिंता जरूर है. पिछले साल कम बारिश होने से इन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा था.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से वैकल्पिक व्यवस्था की उम्मीद
किसानों की चिंता लाजिमी भी है. इस साल जिले में जलस्तर काफी नीचे चला गया है. इनके पास सिंचाई के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. किसानों का कहना है कि सरकार की ओर से इन्हें कोई मदद नहीं दी जा रही है . हालांकि किसान सलाहकार के अनुसार, मानसून कमजोर होने के स्थिति में किसानों को पटवन के लिए डीजल सब्सिडरी से लेकर बिजली आदि की व्यवस्था दी जायेगी

Intro:देर से ही सही लेकिन मानसून की बूंदों से किसानों के चेहरे जरूर खिल गए हैं। धान को लेकर बिचड़े बोने का काम भी शुरू हो गया, लेकिन अन्नदाता को यह भी चिंता सता रहा है की, आखिर इन बिछड़े का भविष्य क्या होगा।


Body:चाहे आसमान हो या पाताल, जिले में इस साल पानी के एक-एक बूंद को लेकर त्राहिमाम मचा है। जल स्तर के कई फीट नीचे चले जाने से जहां बोरिंग आदि फेल है। वहीं जिले में प्री मानसून ने भी पूरी तरह दगा दे दिया। वैसे बीते एक-दो दिनों से मानसून जरूर कुछ मेहरबान है। बारिश को देखते हुए किसानों ने धान के खेती को लेकर बिचड़े बोने से लेकर खेत की तैयारी करने में जुट गए हैं। लेकिन इनके चेहरे पर यह चिंता जरूर है की, अगर इस साल भी मानसून बेहतर नहीं रहा तो इस बिचड़े का भविष्य क्या होगा।

बाईट- किसान।


वीओ- किसानों का चिंता लाजिमी भी है । क्योंकि इस साल जिले में जलस्तर काफी नीचे चले जाने की वजह से वैकल्पिक सिंचाई की व्यवस्था भी एक बड़ी समस्या है। वैसे किसान सलाहकार के अनुसार, मानसून कमजोर होने के स्थिति में किसानों को पटवन के लिए डीजल सब्सिडरी से लेकर बिजली आदि की व्यवस्था बेहतर की जायेगी।


बाईट- किसान सलाहकार।


Conclusion:वैसे मौसम के बेरुखी को देखते हुए, राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी पूसा ने, धान की सीधी बुवाई से लेकर कम पानी में बेहतर फसल वाले धान की कई किस्मों की जानकारी दिया है। बाहर हाल देखना होगा, इस साल अन्नदाता को यह मौसम राहत देता है या उन्हें परेशानी।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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