सहरसा: सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की चाहे लाख दावे कर ले पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सहरसा जिले में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति बदहाल है. जिले के सरकारी अस्पतालों में जहां 222 चिकित्सकों की तैनाती होनी चाहिये, वहां 32 डॉक्टरों के सहारे अस्पताल चल रहा है. हालांकि सिविल सर्जन डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने डॉक्टरों की कमी को लेकर सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजा है.
सरकार की उदासीनता
सहरसा जिले की जनसंख्या लगभग 19 लाख है. लोगों के इलाज के लिए सदर अस्पताल के अलावे सिमरी बख्तियारपुर में एक अनुमंडलीय अस्पताल है. सभी दस प्रखंडों में एक-एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 14 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी है. इतनी बड़ी आबादी पर मात्र 32 डॉक्टर ही तैनात हैं.
222 की जगह महज 32 डॉक्टर तैनात
डॉक्टर की कमी को लेकर समाजसेवी प्रवीण आनंद ने बताया कि दस प्रखंड के इस जिले को 222 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन यहां सिर्फ 32 डॉक्टरों की तैनाती है. यहां एक ड्रेसर का पद लगभग पंद्रह साल से खाली है. आज तक एक भी ड्रेसर की बहाली नहीं की गई. प्रवीण आनंद ने चिंता जताते हुए कहा कि आखिर 32 डॉक्टरों के सहारे पूरे जिले का अस्पताल कैसे चलेगा?
नीतीश सरकार पर हमला
राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए समाज सेवी प्रवीण आनंद ने कहा कि नीतीश कुमार को शर्म आनी चाहिए. स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर सरकार लोगों को बेवकूफ बना रही है. गरीबी की मार झेल रहे मरीजों के लिए निजी नर्सिंग होम में इलाज कराना कठिन है. इतनी बड़ी आबादी के बीच कम डॉक्टर होने की एक मात्र वजह सरकार की उदासीनता और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मनमानी है.
सरकार को भेजा गया त्राहिमाम संदेश
वहीं इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ. ललन सिंह ने बताया कि जिले में वैसे तो 67 डॉक्टर पोस्टेड हैं. लेकिन कुछ लंबी छुट्टी पर चले गए हैं, तो कुछ एजुकेशनल लीव पर हैं. ऐसे में पूरे जिले को चलाना बहुत मुश्किल है. इस बावत सरकार को त्राहिमाम संदेश भेजा गया है.