नई दिल्ली : बीरभूम हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल विधानसभा में टीएमसी और भाजपा विधायकों के बीच हुई मारपीट का मामले को संसद में उठाया गया है. बंगाल भाजपा ने इस मामले में केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की है. साथ ही भाजपा की तरफ से राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की भी मांग अब जोर पकड़ने लगी है. भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने इस संबंध में कहा कि परिस्थितियां पश्चिम बंगाल की दिन ब दिन बिगड़ती जा रही हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह स्थिति को काबू में लाए.
बता दें कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के रामपुर हाट में 21 मार्च को कुछ अज्ञात लोगों ने दस घरों में आग लगा कर आठ लोगों की हत्या कर दी थी. सोमवार को पेट्रोल बम हमले में (birbhum violence) झुलसी एक महिला की अस्पताल में मौत हो गई, जिससे इस घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर नौ (birbhum violence death toll rises) हो गई है. अब यह मामला संसद से लेकर पश्चिम बंगाल के विधानसभा तक गूंज रहा है. इस मामले को लेकर बंगाल विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों के बीच मारपीट हुई, जिसके बाद भाजपा के पांच विधायकों को एक साल के लिए विधानसभा से सस्पेंड कर दिया गया है.
इधर, भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने केंद्र से हस्तक्षेप की मांग उठाई है. भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने यहां तक आरोप लगाया है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष ने भी उन्हें मारने की धमकी दी है. भाजपा के पश्चिम बंगाल के नेता कानून व्यवस्था पर केंद्र से हस्तक्षेप की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मार्च निकालने की बात कही है.
बीरभूम हिंसा पर विधानसभा में हुई मारपीट को लेकर पश्चिम बंगाल राज्य के भाजपा प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून का शासन पूरी तरह से खत्म हो चुका है. बीरभूम हिंसा जिस तरह से अंजाम दिया गया है, यह पहली बार नहीं है. चुनाव के समय से ही तृणमूल लगातार बीजेपी कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है और अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्टी के नेताओं पर भी निशाना साध रही हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा विधायकों के साथ विधानसभा में मारपीट और भाजपा के ही विधायकों को एक साल के लिए सस्पेंड करना, ऐसा क्या कभी किसी सदन में हुआ है. यह दर्शाती है कि पश्चिम बंगाल की सरकार कितनी निरंकुश हो चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल की कानून व्यवस्था में जो परिस्थितियां बनी हुई है, उसे इस बात से मना नहीं किया जा सकता कि यह परिस्थितियां राष्ट्रपति शासन के अनुकूल है. हालांकि, मैं इस तरह की कोई मांग नहीं उठा रहा, लेकिन वहां पर कानून का शासन रह ही नहीं गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी हमेशा से संवैधानिक पदों का भी माखोल उड़ाती रही है और यही वजह है कि उन्होंने राज्यपाल की गरिमा का भी उल्लंघन किया है.
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उन्होंने कहा कि शुभेंदु अधिकारी, मनोज तिग्गा, शंकर घोष, दीपक बर्मन और नरहरी महतो के अलावा महिला विधायकों के साथ भी बदसलूकी की गई. वहीं, बीरभूम हिंसा को लेकर संसद में भी हंगामा हुआ. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल के भाजपा सांसदों से बुधवार को नाश्ते पर मुलाकात भी करेंगे, जिसमें बीरभूम की घटना के बाद उठी परिस्थितियों पर भी सांसदों से चर्चा की जाएगी.